वो खुला आसमान
वो खुला आसमान
सास के ताने और घर वालों की बातें उसको चुभती थी मगर रूचिका को क्या पता था कि ये डॉक्टर इतने बड़े परिवार की बहू बनकर आएगी। लव मेर्रिज करने का भूत सवार था। घर वाले उसको पसन्द नहीं करते थे। मास मच्छी खाने वाली बोलते। बंगाली थी वो।
लड़का शुद्ध ब्राम्हण परिवार का। चलिए चलते हैं इस स्टोरी के करीब।
9 साल पहले एम बी बी एस करने के लिये रुचिका ने दिल्ली के मेडिकल कॉलेज को सेलेक्ट किया था। वहीं मिले दोनों। शिव सीनियर था। दोनों की केमिस्ट्री ने कब दोनों को इतने करीब ला दिया कि रुचिका जब तक शिव से मिल नहीं लेती उसको सुकून नहीं मिलता मगर प्
यार के दुश्मन कम नहीं होते।
रुचिका की बुआ ले आयी एक से बढ़कर एक रिश्ते। रोज रोज की खिच खिच से परेशान होकर उसने शिव के बारे में बता दिया घर में। बातें हुईं तरह तरह की और अंत मे फैसला हुआ कि शिव ही रुचिका के हम सफर बनेंगे। रुचिका ने पढ़ाई पूरी कि और इधर शादी की तैयारी होने लगी।
मन्दिर से वापिस आ रही थी कि अचानक एक कार से उसका एक्सीडेंट हो गया। नई जिंदगी मिलीं थी रुचिका को। रूचिका के घर वाले खुश थे कि उनको इतना अच्छा दामाद मिला। जब रूचिका खुद हार चुकी थी तब शिव ने रुचिका का साथ निभा कर ये साबित कर दिया कि प्यार कभी झूठा नही होता।