हम मिले तो सही

हम मिले तो सही

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रोजी को काम पर जाते 8 महीने हो गए थे।वही रोज की तरह सुबह जल्दी उठना थोड़ी देर बालकनी में सुबह की सूरज की किरणों का ताकना फिर बाकी काम मे जुट जाना। एक अनाथ लड़की जिसका कोई नहीं था। मगर जिसका कोई नहीं होता उसका रब होता है।बचपन कैसे गुजर गया कुछ याद नहीं है।हां 10 साल की उम्र में मारिया और डेविड ने उसको अपने घर मे जगह दी ।जब उस उस अनाथालय में भीषण आग लगी और कब क्या हुआ रोजी को कुछ याद नहीं ।आज भी वो जब उस दिन को याद करती तो एक धुंधली सी याद आ जाती।


"रोजी?"

रोजी जब ख्यालो की दुनिया से बाहर आयी तो उसे केली आंटी की आवाज सुनाई दी।डेविड और मारिया को गुजरे 10 महीने हो गए थे। तब से रोजी की दिनचर्या ही बदल थी।न ही खुद ही सुध थी न खुद का ख्याल।


रोजी-गुड मॉर्निंग आंटी सॉरी वो मैं कुछ काम मे व्यस्त थी सो आपकी आवाज नहीं सुन पायी।


केली आंटी-कोई बात नहीं !आज ऑफिस से जल्दी आ जाना एक पार्टी अरेंज की है. तुम भी आना वेट

करुँगी।


रोजी- ओके कोशिश करती हूँ।


"ओके अपना ख्याल रखना।"

कहकर केली आंटी चली गयी।

उसको याद है कि कैसे उस कार एक्सीडेंट ने उसका सब कुछ छीन लिया।

माँ बाप और एडवर्ड जो उसके दिल के बहुत करीब था। आज तक उसने एडवर्ड को दिल से अलग नहीं कर पाई ।सुबह भी एडवर्ड के साथ होती। लोग उसे पागल समझने लगे थे।कुछ लोग ही उससे बातचीत करते थे।पूरी सोसाइटी उसे सनकी लड़की समझते थे।मगर केली आंटी उसे बहुत प्यार करती थी।


उफ्फ 7 बज गए केली आँटी के घर भी जाना है। ऑफिस डेस्क को समेटकर उसने जल्दी से स्कूटी स्टार्ट की और घर की तरफ चल दी।


केली आँटी के घर खूब चहल पहल थी।उसने स्कूटी पार्क की और जल्दी से घर मे घुसी।और शावर लेकर खुद को फ्रेश किया। फिर एक अच्छी सी ड्रेस पहन कर आँटी के घर पहुँच गयी।सब उसको घूर रहे थे।मगर केली आँटी ने उसका स्वागत किया। आज अमेरिका से केली आँटी के भाई का लड़का भी आया था।रॉबर्ट जो कि हूबहू एडवर्ड की तरह लगता था। रोजी चौंक गयी ऐसा कैसे हो सकता है।वो बिना कुछ बोले ही अपने घर वापिस आ गयी।कमरे में जाकर रोने लगी।किसी ने छुआ उसे।


एडवर्ड ऐसा कैसे हो सकता है।वो लड़का तुम्हारे जैसे कैसे दिख सकता है

एडवर्ड आज कुछ नहीं बोला।

बस मुस्कुराया और फिर गायब हो गया और कभी नहीं दिखा।आज 5 दिन हो गये। मगर एडवर्ड की याद से रोजी मानो पागल सी हो गयी थी।


"हेल्लो कोई है घर में ?"

"कौन.........?"


"मैं रॉबर्ट मुझे केली आँटी ने भेजा है।आप ठीक हो?"


रोजी- मैं ठीक हूं।

रॉबर्ट- आप उस दिन ऐसे ही क्यों चली आयी।


रोजी- कुछ सवाल थे जो आज अधूरे है।

कि जैसे ही आप यहाँ आये मैंने देखा आपको।और मेरा एडवर्ड मुझे छोड़कर चला गया। और वो रोने लगी।


रॉबर्ट- आई एम सॉरी। लेकिन मैं भी आपको देख कर हैरान हूं।हर रोज आप मेरे सपने में आती थी। जबकि मैंने आपको कभी नहीं देखा।




और किसी का मिलना युं इत्तेफाक नहीं होता।

और ये सपना करीब 10 महीने से परेशान कर रहा था।

मगर जब से आप मिली है।कोई सपना नहीं आता।


और रोजी आँटी ने पूरी कहानी बताई है।आप चाहे तो मैं आपका जिंदगी भर साथ निभा सकता हूँ।

और आपको कभी छोड़कर नहीं जाऊंगा।


ये कहकर वो रोजी की आंखों से बहते आँसुओ को पोछने के लिये बढ़ा और रोजी भी कब उसकी तरफ बढ़ गयी पता ही नहीं चला।


कोई था अद्रश्य जो ये सब देख कर खुश था.....






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