स्याह सफेद
स्याह सफेद
आज हम दोस्तों की बातचीत में एक दोस्त कहने लगा,"जिंदगी में न जाने कितने रंग होते है,नहीं? सचमुच हमारी जिंदगी कितनी रंगबिरंगी और खूबसूरत है।"
किसी ने कहा,"छोड़ो तुम ये सब बातें।मुझे तो जिंदगी हमेशा ही स्याह सफेद का कोई खेल लगती है।"
पहले वाला बोल पड़ा,"कोठे पर जाकर जिंदगी बड़ी रंगीन लगती होगी,नही?"
"यही तो मै कह रहा हूँ की कभी यही बात उस कोठे वाली लड़की से भी जरा पूछके देखो।वह भी यही कहेगी,"मेरे लिए जिंदगी का हर उजला दिन भी रात की तरह स्याह होता है।"
"अरे यार, छोड़ो ये स्याह सफेद की सारी बातें तुम।यहाँ हर कोई अपने अपने पैसों को सफेद बनाने में लगा हुआ है।"
मेरे दोस्त को अपनी बात मनवाने की जिद पड़ी थी,वह फिर बोलने लगा,"सच मे मोहब्बत जिंदगी को रंगीन बनाती है।"
मैं फिर से अपनी बात पर जोर देते हुए कहने लगा,"तुम सही नही कह रहे हो।क्योंकि तुमने खाप फरमानों को नही देखा है।उस खौफ को महसूस नही किया है जो सिर्फ अपने एक फरमान से ही मोहब्बत के सारे खूबसूरत रंगों को स्याह रंग में बदल देते है।
मैं तुम्हे रंगों के बारे में और क्या कहूँ? तुमने भी महसूस किया होगा कि औरतें अपने अपने घर में हर वक़्त adjustments वाला सफ़ेद झंडा लेकर चलती है। आप की क्या राय है इस बारे में?