Khemi Garg

Romance

4.8  

Khemi Garg

Romance

स्वयं से प्यार

स्वयं से प्यार

7 mins
333


साॅंवले रंग की बड़ी-बड़ी ऑंखें, सुतवाॅं नाक, साॅंचे में ढले बदन और ऊॅंचे कद की रूमा जब काम करने बिन्दिया जी के घर पहुॅंची तो सुजल अपने कमरे में अपना कैमरा साफ कर रहा था।

रूमा ने उसके कमरे के बाहर से ही डरते हुए आवाज़ लगाई "क् क्..क्या.. मैं.. अंदर.. आ जाऊॅं?"

सुजल अपने काम पर जाने की ज़ल्दी में था।आज उसका बहुत ही महत्वपूर्ण छाया चित्रण(फोटो शूट) था। उसने अंदर से ही कहा " ज़रा रूको अभी!"

बिन्दिया जी बैठक में बैठी अखबार पढ़ रही थी। बोलीं "तब तक मेरे कमरे की सफाई कर ले बेटा।"

रूमा ने जल्दी-जल्दी झाड़ू-पोछा किया और बिंदिया जी के घर से चली गई।रास्ते में रूमा सुजल के बारे में सोच कर ही मुस्कुरा रही थी। पर सच तो यह था कि आमना-सामना होने पर उसकी आवाज़ ही नहीं निकलती थी क्योंकी रूमा को सुजल से डर लगता था, एक दो बार उसके कमरे में मौजूद होने पर वह गई थी सफाई करने।

सुजल उसको देखकर बोलता था, "यह किस तरह से आती हो न ठीक से बाल बनाती हो न ही बिन्दी लगाती हो। लड़कियों की तरह सजने का शौक नहीं है क्या तुमको?"

रूमा डरते हुए कहती "काली हूॅं, मुझे पर क्या सजना सॅंवरना अच्छा लगेगा।"

सुजल एक व्यवसायिक (प्रोफेशनल) छायाकार (फोटोग्राफर) है। उसको बड़ी-बड़ी कंपनियों से छायाकारी के लिए बुलाया जाता है, वह बड़ी-बड़ी मॉडल्स के साथ काम करता है।

सुजल को रुमा में भी एक मॉडल दिखाई पड़ती थी, एक बार रुमा की मॉं सुरना से भी उसने बोला था, "काकी रूमा को मॉडलिंग के लिए प्रशिक्षण दिलवा दो देखो इसका रूप-रंग, कद-काठी बिल्कुल मॉडल जैसी ही है।"

सुरना ने कहा "भईया जी कहाॅं हम लोग अनपढ़ गंवार,हमको कौन पूछेगा कहीं भी? हमारे समाज में तो लड़कियों को पढ़ाने-लिखाने की प्रथा ही नहीं हैं, तभी तो बहुत ही कम उम्र में मुझे इसको भी काम पर ही लगवाना पड़ा था।और अब जब ये विवाह के लायक हो गई है अब इसको पढ़ने भेजूॅंं... न बाबा, समाज के लोग तो मुझे जीने ही नहीं देंगे।"पर रूमा का मन तो कुछ और ही था...

एक दिन रूमा कमरे की सफाई करने पहुॅंची तब कमरे में कोई नहीं था। सुजल जा चुका था एवं बिंदिया जी रसोई में काम कर रहीं थीं।

रूमा श्रृंगार मेज की सफाई कर रही थी, उसने आईने में अपने आपको देखा, उसे अपना ही चेहरा कुछ अलग लगा। आज उसने बालों का जूड़ा बनाया हुआ था उसे हमेशा अपनी ऑंखें सूनी लगती थीं, आज उसने उसमें काजल लगाया हुआ था। बड़ी-बड़ी ऑंखें काजल लगने से बहुत ही सुंदर लग रहीं थीं।

वह रोज़ ही सुजल के कमरे में लगी हुई, उसके द्वारा खींची गई तस्वीरों को बहुत ध्यान से निहारती रहती थी। उसको सभी तस्वीरें आकर्षित करती थीं।

वह भी बहुत बार उनके जैसे खड़े होने व मुद्राएं (पोज़) बनाने की कोशिश करती थी।

आज भी वह आईने के सामने खड़ी होकर वही करने की कोशिश कर रही थी, कि अचानक सुरना ने उसे जल्दी काम पूरा करने के लिए आवाज़ दी। और उसको ढूॅंढते हुए सुजल के कमरे में आ गई।जैसे ही उसने रूमा को अजीब-अजीब मुद्राएं बनाते देखा गुस्से से बिफर गई।

"दिन में जागती ऑंखों से सपने देख रही है क्या लड़की?? तेरी जैसी काली छछूंदरी को कोई इस तरह का काम कभी नहीं देगा, समझी!! तेरा जन्म यही झाड़ू-पोंछा, बर्तन माॅंजने के लिए हुआ है,समझती क्यों नहीं?"

अपनी मॉं की जली-कटी बातों से रूमा सहम जाती थी।

उसको अपने-आप से नफ़रत सी होने लगी थी।

उसका मन साफ-सफाई के काम में लगता ही नहीं था।

बचपन से ही वह सुजल को देखते हुए ही बड़ी हुई है। उसका काम और वह दोनों ही उसको अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं।

इधर सुजल कुछ दिनों से काफ़ी परेशान था। उसे एक बड़े विज्ञापन के लिए एक मॉडल चाहिए थी,एक कंपनी को सौंदर्य प्रसाधन सामग्री हेतु एक साॅंवली लड़की की आवश्यकता थी, कारण था वह रंग-भेद मिटाने हेतु बहुत से उत्पाद बाज़ार में लाना चाहती थी।

सुजल की पूरी टीम ने बहुत सी लड़कियों से संपर्क किया पर कोई भी कंपनी प्रमुख को पसंद ही नहीं आ रही थी।

एक दिन बिंदिया जी ने सुजल को इतना परेशान देखा तो पूछा "क्या बात है? पिछले कुछ दिनों से तुमको परेशान देख रही हूॅं!"

सुजल ने उनको पूरी बात बताई, सुनकर बिंदिया जी बोलीं "तुमको रूमा में ऐसा हुनर लगता है न!"

सुजल खुश होते हुए बोला "अरे!वाह मॉं आपको कैसे पता?"

वह बोलीं "मॉं हूॅं, तुम्हारी सब बातें जानती हूॅं, परन्तु सुरना तो राज़ी नहीं है, कैसे होगा?"

अगले दिन सुजल ने सीधे रूमा से ही पूछा, "रूमा मेरे साथ एक विज्ञापन में काम करोगी?"

रूमा को तो "जैसे काटो तो खून नहीं बहुत डरते-डरते बोली मॉं तो मुझे मार ही डालेगी।"

बिंदिया जीं वहीं खड़ी बातें सुन रहीं थीं बोलीं "किसी को कुछ पता नहीं चलेगा।"

"कैसे?" सुजल और रूमा एक साथ बोल पड़े।

वह बोलीं "वह सब तुम लोग मुझ पर छोड़ दो और इसको प्रशिक्षण के लिए भेज दो।"

रूमा तो मन ही मन डर रही थी परन्तु सुजल ने उसे समझाया कि "सब ठीक होगा तुम डरो मत।"

जल्दी ही सुजल की टीम के सदस्यों ने रूमा को प्रशिक्षण देना आरंभ कर दिया।

इधर जब सुरना घर आई तो बिंदिया जी ने उससे कहा कि "मेरी भाभी की तबियत बहुत खराब हो गई है तो थोड़े दिनों के लिए रूमा को वहाॅं भेजना होगा क्योंकि भाभी अकेली हैं।"

रूमा पहले भी एक दो बार ऐसे ही बिंदिया जी के मायके में काम करने जा चुकी थी पर इस बार आठ दस दिन लगेंगे सोच कर सुरना घबरा रही थी।

बिंदिया जी ने समझाया "घबराओ मत वह समझदार है सबका ध्यान रख लेगी।"

सुरना, बिंदिया जी के यहॉं सालों से यही काम करती आ रही थी अतः उसे सभी का व्यवहार पता था। वह बेफिक्र हो गई।

तीन चार दिन में ही रूमा मॉडल्स के जैसे चलना सीख गई प्रशिक्षक भी आश्चर्य चकित रह गए तब रूमा बोली "मैं हमेशा से ही सुजल साहब के कमरे में लगी तस्वीरों को देखती आ रही हूॅं इसी कारण मुझे जल्दी ही समझ में आ गया कि क्या करना है।"


अब बारी थी उसके रूप को निखारने की, उसे पार्लर ले जाया गया दो तीन दिन की बैठक में ही उसका तो पूरा व्यक्तित्व ही बदल गया आईने के सामने खड़ी रूमा को तो आज जैसे खुद से ही प्यार हो गया था। अपने ही रूप को देखकर वह ठगी सी खड़ी रही। तभी शीना जो सुजल की टीम की एक सदस्या थी, रूमा को देखकर बोली "तुम तो पूरी ही बदल गईं।"

रूमा भी शर्मा गई।

अब आई असली परीक्षा जो थी कैमरे का सामना करना। रूमा तो घबराकर कमरे में ही भाग गई।

किसी तरह समझा कर शीना उसे साथ लेकर आई।

सुजल कैमरे के पीछे था। जैसे ही मॉडल की रूप सज्जा में रूमा को देखा, उसके तो हाथ से कैमरा छूटते बचा।

सभी उसे इस तरह देखकर आश्चर्य कर रहे थे क्योंकि सुजल एक सख्त व्यवसायिक छायाकार था वह कभी भी किसी भी मॉडल को देखकर इस तरह की प्रतिक्रिया नहीं देता था।

खैर चित्रण शुरू हुआ और बहुत ही जल्द रूमा ने अपनी समझदारी से उसे पूरा कर लिया।

जब तक विज्ञापन पूरी प्रक्रिया के बाद बन कर आया तब तक रूमा वापस अपने घर आ चुकी थी।

सुरना ने जब उसका बदला हुआ रूप देखा तो गुस्से से तड़ातड़ चार-पॉंच चॉंटे जड़ दिए, और घसीटती हुई बिंदिया जी के घर ले आईं और वहीं चिल्लाने लगी।

तब बिंदिया जी ने पूरी बात बताई और बताया कि "अब रूमा बहुत बड़ी कंपनी में मॉडलिंग का काम करेगी।"

सुरना तो राज़ी ही नहीं हो रही थी, तब सुजल ने उसे अपने लैपटॉप पर वह विज्ञापन दिखाया और कहा "काकी सभी को यह उपलब्धि इतनी जल्दी नहीं मिलती है। रूमा की मेहनत है यह और इसके लिए उसको मेहनताने के जितने रुपये मिलेंगे वह आप महीनों की मेहनत से भी नहीं कमा सकोगी।"

"परन्तु अब अगर ये ऐसे वैसे कपड़े पहन कर यह सब काम करेगी तो इससे विवाह कौन करेगा, भईया जी यह तो बाताईये आप?" सुरना रोते हुए बोली।

"मैं करूॅंगा"!! सुजल की बात सुनकर सभी चौंक गए।

सुजल बोला "मैं तो बहुत समय से इसे चाहता हूॅं, परन्तु तब इसको अपने बारे में कुछ पता ही नहीं था। इसलिए मैंने इसे खुद से मिलवाने के बारे में सोचा।"

सुजल आगे बोला "काकी अब जबकि रूमा को स्वयं से ही प्यार हो गया न तो यह अपने आस-पास के सभी लोगों से भी प्यार करने लगेगी।"

"क्यों रूमा क्या कहती हो?" सुजल रूमा की ओर देख कर बोला। "करोगी मुझसे शादी?"

रूमा बोली "कहॉं मैं और कहॉं आप सुजल साहब?" लोग हमें कभी स्वीकार नहीं करेंगे।

इतनी देर से चुपचाप खड़ी बिंदिया जी बोलीं "कौन से लोग बेटा, वह जो मुझे अपने पति के मरने के दूसरे दिन ही छोड़ कर चले गए थे। और जिन्होंने कभी मुड़ कर भी नहीं देखा कि मैंने मेरे इकलौते बच्चे को कैसे पाला?"

"कोई कुछ नहीं कहेगा हम जल्दी ही आर्य समाज मंदिर में इन दोनों का विवाह कर देंगे।"

विवाह के बाद सुजल के कमरे में बैठी रूमा सुजल की आवाज़ सुनकर एकदम से खड़ी हो गई।

उसके कदमों में झुक कर पैर छूते हुए बोली "आपने मुझे खुद से प्यार करना सीखा ही दिया साहब।"

साहब नहीं।सुजल!! 


"रूमा अभी तो तुमको सफलता की बहुत सारी सीढ़ियाॅं पार करना है।" सुजल उसकी ओर बढ़ते हुए बोला।


"बस ऐसे ही हमेशा मेरा साथ देना रूमा।" कहते हुए सुजल ने रूमा को अपनी बॉंहों में भर लिया।रूमा तो इस अहसास से ही जैसे खो ही गई।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance