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Maneesha Agrawal

Inspirational

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Maneesha Agrawal

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एक दीवाली ऐसी भी

एक दीवाली ऐसी भी

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सुबह बहुत सुहावनी थी, मोना हर दिन की तरह सुबह जल्दी ही उठ गई थी। गुलाबी ठंड दस्तक दे चुकी थी। पर मोना को तो रोज़ ही चार बजे तक उठना ही होता है। वो अपने परिवार का आर्थिक बोझ कम करने और अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देने के लिए अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की कोशिश में दोहरी जिंदगी और जिम्मेदारी उठा रही थी।

जल्दी-जल्दी तैयार होकर स्कूल के लिए निकली। आज स्कूल में दीवाली का सेलीब्रेशन रखा गया। मीडिया भी आने वाली थी। मोना प्री प्रायमरी टीचर थी जो के.जी.के छात्र छात्राओं को पढ़ाती थी।

स्कूल पहुॅंच कर ही तैयारी में लग गई। दिये रंगना, रंगोली बनवाना, स्कूल के ऑंगन में डेकोरेशन करवाने में उत्साह से सभी की मदद कर रही थी।

बच्चे भी आज सज-धज कर आये थे। छोटे-छोटे बच्चे मोना से बहुत हिले हुए थे। सभी ने उसको घेर लिया।

हेडमिस्ट्रेस मैम भी जोर शोर से गाइड कर रहीं थीं। आखिर उनको भी तो प्राचार्य महोदय को अपना काम दिखाना था।

निश्चित समय पर सेलीब्रेशन शुरू हुआ। शहर के सभी न्यूज़ एजेंसीज से पत्रकार आ चुके थे।

सबसे पहले गायन शिक्षिका द्वारा दीवाली के लिए तैयार करवाया गाना बच्चों द्वारा गाया गया...

दीप जलाएं खुशी मनाएं

हम सब मिल दीवाली मनाएं

महके ऑंगन,घर द्वारे सारे

फूलों के बंदनवार सजाए प्यारे 

रंगोली से सजी है धरती... हो...

लगती बड़ी ही रंग-बिरंगी

सब मिल जुल कर गाएं आज

खुशियों की दीवाली... खुशियों की दीवाली

सभी ने बड़े ही प्रसन्न मन से बच्चों का हौसला बढ़ाया।

जल्दी ही बच्चों के संग पटाखे जलाने के तैयारी की गई। एक दो टीचर्स और भी आईं कोई फुलझड़ी जला रहा था तो कोई अनार। 

मीडिया शूटिंग करने के लिए बहुत जल्दी कर रही थी। ऐसे में मोना ने ध्यान ही नहीं दिया और उसने एक अनार उठाया और पास ही जलते दिये से सीधे उस अनार को जला दिया। 

एकदम से कुछ फटने की आवाज आई तब सबका ध्यान उस ओर गया। मोना अपना दाहिना हाथ पकड़कर वहीं बैठ गई थी। जैसे ही आर्ट टीचर की नज़र उस पर गई वैसे ही उसने देखा एक अनार जलता हुआ मोना के हाथ में ही फट गया था। वो एकदम से घबरा गई।

मोना ने अपना हाथ अपने ऑंचल में छुपा लिया और जल्दी से मेडिकल रूम की ओर भागी। मीडिया तो सारी कवरेज कर रहा था। अचानक एक प्रेस फोटोग्राफर मोना के पीछे-पीछे मेडिकल रूम तक आ गया।

मोना अपने स्कूल की बहुत ही सीनियर टीचर थी और अपने कर्तव्य के प्रति सतर्क। उसको पता था यदि मीडिया में जरा सी भी बात पता चल गई तो तिल का ताड़ बनते देर नहीं लगेगी।

उसने जल्दी ही उन फोटोग्राफर महोदय को धन्यवाद दिया और बोली "आप बिल्कुल चिंता ना करें मुझे कुछ नहीं हुआ है। कृपया आप यहॉं से जाएं।"

बहुत कोशिश करने के बाद भी उसे कुछ पता नहीं चल सका तो वो दूसरी कवरेज के लिए चला गया।

जब स्कूल प्राचार्य को पता चला तो वो दौड़कर मोना को देखने आए। बड़े होने के नाते उन्होंने उसे बोला "ऐसी क्या जल्दी थी जो आपने हाथ से ही अनार जला दिया। अरे फुलझड़ी से जलाना चाहिए था ना।"

फिर तुरंत ही स्कूल वैन से एक महिला शिक्षिका के साथ मोना को अस्पताल भेजा। जब तक मोना को इलाज नहीं मिल गया वो बराबर फोन पर अपडेट लेते रहे।

मोना जो अपने प्राचार्य महोदय को कठोर हृदय समझती थी उनके इस रूप को देखकर भावुक हो गई।

इलाज के बाद उसे अस्पताल से घर भेज दिया गया। साथ ही ये भी कहा कि आप घर पर ही आराम करें। घर में उस वर्ष का त्योहार भले ही बिगड़ गया था। पर मोना के कर्तव्य के आगे सब एक ओर ही था।


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