सुरक्षित कहाँ ?

सुरक्षित कहाँ ?

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"रीवा, जल्दी रेडी हो जाओ बेटा, तुम्हारे चाचा आते ही होंगे तुम्हे लेने", नेहा ने अपनी बेटी से कहा।


“माँ कितनी बार बोलूं तुम्हे, मुझे चाचा के साथ नहीं जाना उनके घर। वो मुझे यहाँ वहाँ टच करते है, जो मुझे पसंद नहीं, आप समझती क्यो नहीं माँ?”, रीवा ने कहा।


“मुझे कुछ नहीं सुनना है। तंग आ गई हूँ मैं तुम्हारे रोज़ के झूठ से रीवा। अब बस भी करो, वो तुम्हारे पापा के भाई है। वो क्यो ऐसा कुछ करेंगे? तुम्हे बस पढ़ना है ही नहीं इसीलिये बहाने बनाती हो और कुछ नहीं। चुप चाप रेडी हो जाओ वो ज्यादा टाइम नहीं रुकेंगे। तुम्हे ले कर उन्हें शाम तक घर भी पहुंचना है”


कुछ देर बाद रीवा के चाचा आ गए। चाय नास्ते के बाद वे निकल पड़े कार से घर के लिए। नेहा ने रीवा को अच्छे से समझाया कि कुछ उल्टी पलटी हरकत न करें, मुझे तुम्हारी एक भी कंप्लेन नहीं चहिये। रीवा ने भी हां में सर हिला दिया और बैठ गई गाड़ी में। चाचा ने उसे पीठ पर छुआ तो उसने विरोध किया, तब चाचा ने कहा


“ज्यादा बनो मत नहीं तो अच्छा नहीं होगा। अब तुम्हे मेंरे साथ ही रहना है, तरीके से रहोगी तो तुम्हारे लिए ही अच्छा हैं, समझी। और एक बात किसी को कुछ बताने की हिम्मत भी मत करना क्योकि कोई नहीं मानेगा”


रीवा सहम गई। गाड़ी बीच में रोक के चाचा वाशरूम गए तब मौका देख के रीवा जंगलो के बीच भाग गई। शाम होने वाली थी, वो थी भी बच्ची। एक जगह बैठ के रोने लगी। थोड़ी देर में उसे कुछ आवाज़ आई। सर उठा के देखा तो गोरिल्ला खड़ा था। उसे देख के रीवा डर गई, पर उसने उसे केले दिए। भूखी तो थी ही, सारे केले खा लिए रीवा ने। फिर कुछ देर तक उसे देखती ही रही। गोरिल्ले ने उसके सर पर हाथ फेरा, रीवा को बहुत अच्छा लगा, बहुत अपनापन लगा। वो उस गोरिल्ले के पीछे पीछे चल दी।


वहाँ उसकी मम्मी नेहा का रो रो कर बुरा हाल था। उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई। सुबह होने पर पुलिस भी रीवा की खोज में निकल गई। उधर रीवा बड़े मजे से उस गोरिल्ले के साथ रह रही थी। उसे उसके साथ बहुत अच्छा लग रहा था, बहुत सुरक्षित। 5 दिन बीत गए पर रीवा का कही पता नहीं चला। बहुत खोज के बाद, 12वें दिन रीवा मिली, पर वो जंगल से घर नहीं जाना चाहती थी। बहुत जोर जबरदस्ती से उसे उस गोरिल्ला से अलग करना पड़ा। पुलिस सीधा उसे पुलिस स्टेशन ले आई क्योंकि उसे घर नहीं जाना था। पुलिस ने उससे पूछताछ शुरू की, “क्या बात है बच्चे? क्यो घर नहीं जाना? तुम्हारे मम्मी पापा तुम्हारा वेट कर रहे है। तुम्हारी मम्मी का तो रो रो कर बुरा हाल है, बताओ बेटा क्या हुआ?”


इतना सुनते ही रीवा रोने लगी, उसने कहा "सब बकवास है कोई प्यार नहीं करता मुझे। किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुझ पर क्या बीत रही है। कोई मेरी बात नहीं सुनता, कितनी बार बोला माँ को कि मुझे चाचा के साथ उनके घर नहीं जाना। वो मुझे इधर उधर टच करते है। मना करने पर भी करते है और मम्मी को मेरी बात झूठी लगती है तो मैं क्या करती? मुझे उस जानवर के साथ डर नहीं लगा जितना मुझे चाचा के साथ लगता है। मुझे उस गोरिल्ले के साथ मज़ा आया जितना मुझे मेरे घर में नहीं आता क्योकि माँ पापा दोनो के पास मेरे लिए समय नहीं है। तो क्या करती मैं सर, आप ही बताये? घर से ज्यादा तो मैं उस गोरिल्ले के साथ सुरक्षित थी, आप ही बोलिये मैं सुरक्षित कहाँ ? अपने घर में जहाँ जब कोई चाहे आ जाये और मुझे टच करे या वहाँ जहाँ सच में मैं सुरक्षित हूँ। इंसानो से ज्यादा अब इंसान जानवरो के बीच सुरक्षित है सर”


पुलिस भी निःशब्द सा रीवा को देख रही था। कुछ गलत नहीं कहा बच्ची ने। आज हम अपनो के बीच सुरक्षित नहीं है, अपनो के बीच खुश नहीं है।


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