सुनामी : एक प्रेम कथा
सुनामी : एक प्रेम कथा
बज़्ज़्ज़्ज़,,,,,,,बज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ की आवाज़ के साथ रमा का फ़ोन उसके हैंडबैग में लगाया वाइब्रेट कर रहा था।
'अजीब बात है ' उसने सोचा। दरअसल उसने फ्लाइट में चढ़ने से पहले ही अपने फ़ोन को एयरप्लेन मोड पर डाल दिया था। वो यह सब सोच ही रही थी उसकी सीट के नज़दीक आकर एक नीले रंग का सफारी सूट पहने लगभग ३० ३५ वर्ष का एक आदमी आया और उससे बेहद विनम्रता से पूछने लगा अगर उसे कोई मदद चाहिए समान को सरकाने में।
रमा ने मुस्कुराकर आदमी की उदारता का जवाब दिया। ना में अपना सर हिलाते हुए उसकी आँखों में आदमी के प्रीति धन्यवाद की एक झलक भी थी। उसी क्षण रमा का फ़ोन एक बार फिर झनझना उठा और इस बार वो काफी देर तक विबरते होता रहा ,ऐसा लग रहा था की फ़ोन करने वाला अपने फ़ोन से निकल , इस फ्लाइट में पहुँच जाएगा और खुद रमा के कानों में फ़ोन का स्पीकर ऑन कर देगा।
बहरहाल रमा पर इस वाइब्रेशन की मूक हिंसा व मेन्टल टार्चर का भी कोई ख़ास प्रभाव नहीं हुआ।
'कुछ देर रुक जाओ' रमा फ़ोन की और देखते हुए बोली ,फ़ोन अभी भी बज ही रहा था। यह रमा की छुटियों का वक़्त था जो एक साल में एक बारी ही उसे नसीब हो पाती थी और यही वो वक़्त होता था जब वो अपनी फॅमिली से मिल पाती थी। पूरे साल उसे हर पल इन्हीं छुट्टियों का इंतज़ार रहता था।
' तुम्हारे जो भी मेल्स ,जो भी बिज़नेस रिलेटेड मेसेजस हैं वो कम से कम फ्लाइट लैंड होने तक का तो वेट कर ही सकते हैं मिस्टर बॉस '! उसने मन ही मन कयास लगते हुए कहा की हो ना हो यह सारा रायता उसके बॉस का फैलाया हुआ है , उसके बॉस का ही काम है लगातार इतने कॉल्स करना '।
अब फ्लाइट लैंड हो चुकी थी। रमा ने अपना सूटकेस संभाला और अपना समान लेने पहुँच गई बैग्स कलेक्ट होने वाले हॉल में।
पांच घंटे का लगातार हवाईजहाज़ का सफर ,और वो भी इकॉनमी क्लास में कमज़ोर दिल के लोगों के बस की बात नहीं। उसने अपने सुन्न पड़े पैरों को समझाते हुए कहा । एग्जिट तक पहुँचते-पहुँचते उसके पैरों में वापस जान आने लगी थी। वो टैक्सी लेने के लिए मुड़ी ही थी की उसने अपने साथी पैसेंजर जिसने उससे प्लेन में विनम्रता से समान उतारने को पूछा था , वह हांफता हुआ उसके पास से निकला और कुछ ही दूरी पर जाकर एयर ट्रैक्स पर गिर गया और मर गया।
" ओह माय गॉड " उसके मुँह से बरबस ही निकल गया। थोड़ी देर पहले जो हवाईअड्डा शांति की मूरत था वहां अभी कोलाहल और चीत पुकार का दिल दहला देने वाला मंज़र था।
रमा को अंदेशा हो गया था की कुछ तो बहुत भयंकर और खतरनाक घटित या तो हो चूका है या होने को है।
आनन-फानन में उसने सूटकेस तो छोड़ा और बाएं कंधे पर लटका हैंडबैग हाथ में लिया । जल्दी से उसने फ़ोन निकला और देखा तो फ़ोन आउट ऑफ़ चार्ज था। उसने एयरपोर्ट के ही लाउन्ज रूम में फ़ोन को चार्ज पर लगाया और फटाफट स्विच ऑन किया।
226 मेसेजस और 509 नोटिफिकेशन्स सोशल मीडिया पर थे फ़ोन की स्क्रीन पर उसके।
उसने जैसे ही मैसेज ओपन किया , उसका कलेजा मुँह को आ गया।
मैसेज था :
इमरजेंसी अलर्ट : सुनामी वार्निंग
बैकुंठ नगर के आसपास के सभी एरिया को चेतावनी .,समुद्री तट और सीमाओं से दूर हो जाएं । शहर के भीतरी भाग से जल्द से जल्द निकलें और हाई -ग्राउंड पर जल्द से जल्द पलायन करें।
कहानी जारी रहेगी .....
