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Prafulla Kumar Tripathi

Drama Tragedy

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Prafulla Kumar Tripathi

Drama Tragedy

सुहाग, तेरे नाम का !

सुहाग, तेरे नाम का !

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फिल्मी कैरियर के सर्वश्रेष्ठ दौर से गुजर रहे युवा अभिनेता प्रशांत ने जिन परिस्थितियों में आत्महत्या की थी या उनकी प्रेमिका कनिका के साथ चरण गौहर ने जो कुछ किया था उन सबसे एक गहरी साज़िश की बू आती थी। बताते हैं कि देर रात की उस पार्टी में महाराष्ट्र सूबे के एक प्रभावशाली राजनेता के महत्वाकांक्षी युवा पुत्र चिरंजीवी भी शामिल थे। शराब और ड्रग्स उन पार्टियों का हिस्सा बन ही चुकी थीं अब सेक्स और वायलेंस भी जुड़ चला था। हालांकि इस प्रकार की छेड़छाड़ या ऐसी मौत यह पहली बार नहीं हुआ था। मुम्बई की फिल्म इंडस्ट्री ने इसे इससे पहले भी कई बार देखा है। कुछ दिन, हफ्ते या महीने की चीख़ पुकार, सी.आई.डी.या सी.बी.आई.के हवाले केस ...और फिर वही जो आका चाहें ! ऐसे हर एंगिल में सफेदपोशों का इन्वाल्व होना ही गारंटी हुआ करता है कि सच कभी भी सामने नहीं आ पाता है। प्रशांंत के मां बाप ने समझदारी से काम किया और अपनी अपनी दुनिया में लौट गये थे। अब पुलिस, प्रेस, मीडिया, नारकोटिक्स...तमाम विभाग और तमाम मोड़ आने शुरू हो गये थे। किसी ने फिल्मों में चल रहे नेपोटिज्म  (भाई भतीजावाद) को उछाला तो किसी ने मी टू का मसला। किसी ने ड्रग पेडलर्स की दखलंदाजी बताई तो किसी ने महज़ एक को इंसीडेंट वाली दुर्घटना। जब मसले को ठंढापन देना हो तो ऐसे ही उसे घुमाते रहना चाहिए, इस बात को राजनीति लोग अच्छी तरह जानते हैं। लेकिन इन सब में अलग थलग पड़ चुकी थी युवा कलाकार कनिका जिसने अपना शील खोया और लिविंग पार्टनर भी। उसकी हालत का अनुमान लगाया जा सकता है। उसने तो प्रशांत के नाम का सिंदूर भी लगाना शुरु कर दिया था। उसने भले ही प्रशांत के साथ अग्नि के सामने फेरे न लिये हों, लेकिन हृदय और मन से तो उसने उसे पति के रुप में स्वीकार ही कर लिया था। राजनीतिक हलकों में भी इस कांड को लेकर तेज हलचल थी। दिल्ली से मुम्बई के सम्बन्ध बहुत अच्छे नहीं थे लेकिन मामला बिरादरी का तो था ही । इसलिए किसी न किसी बहाने इस प्रकरण को लम्बे दौर तक चलाया जाने लगा। अन्ततः सी.बी.आई.ने भी अपनी क्लोजर रिपोर्ट लगा ही दी। चिरंजीवी के पिता को अपनी गद्दी जब जाने का डर सताने लगा तो उन्होंने ढेर सारे कूटनीतिज्ञों के यहां भी दस्तक दी। ऐसे मामलों के विशेषज्ञ एक गुजराती सलाहकार ए.के.देसाई ने तो पूरी चाणक्य नीति ही समझा डाली। मानो नीति निपुण चाणक्य ने जीवन के हर पहलू पर अपनी नीति शायद ऐसे संक्रमण कालीन अवसरों के लिए ही दी है। देसाई साहब बोले जा रहे थेे... "आचार्य चाणक्य की नीतियां अपनाने से आप जीवन में कभी भी किसी भी बड़ी दुविधा में नहीं फंसेंगे और अगर फंस भी गए तो चाणक्य नीति द्वारा बचा भी सकते हैं। आचार्य चाणक्य ने जीवन के हर पहलू पर अपनी नीति दी है। चाहे वह स्वास्थ्य से संबंधित हो या शिक्षा, मित्र, बिजनेस, आचार-विचार समेत कई महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार दिये हैं। अगर आपको अपने शत्रुओं से निपटना है तो इस विषय में भी चाणक्य की नीति है। चाणक्य की चाणक्य नीति पुस्तक में दुश्मन को परास्त करने का भी वर्णन मिलता है। चाणक्य के अनुसार शत्रु को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए। जब आप शत्रु से घिरे हों तो चाणक्य नीति के अनुसार क्या करना चाहिए। अपने शत्रु से एक खिलाड़ी की तरह निपटना चाहिए।  शत्रुओं से घिरे होने पर घबराना नहीं चाहिए और हर वक्त सतर्क रहना चाहिए। ...और यह भी कि उन पर पहले प्रहार नहीं करना चाहिए ...आदि ! "सब कुछ इसी धरातल पर हो रहा था और दिल्ली और मुम्बई इस मसले को लेकर और निकट आ गए थे। राजनीति का दोगलापन एक बार फिर अट्टहास करने लगा था।



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