षडयंत्र
षडयंत्र
सरिता नामक एक हिंदी अध्यापिका दस साल के बाद एक स्कूल में काम पर गई। इस हिंदी विभाग के सहकर्मचारियों के बीच एकत्व नहीं होने के कारण सरिता बहुत परेशान हो गई थी। और इस स्कूल में उन्नताधिकारी को से हिंदी नफरत होने के कारण सरिता को बहुत सताती थी। क्लास लेने के समय जासूसी करने के लिए व्यक्तियों को भेज रही थी। वह लोग भी षडयंत्र कर सरिता के बारे में कुछ तो कुछ आरोपण करने लगे।
तीन महीने में हर रोज सुबह सुबह बुलाकर सरिता को बाॅस डाँटने लगे थे। एक दिन उसको बहुत गुस्सा आकर उसमे कहा की, अगर मुझपर आरोपण किया है तो उसको भी बुलाइए मै भी आऊँगी, दोनों आपके सामने ही पाठ पढाएँगे। आप देखकर फैसला कीजिए। आपको भाषा मालूम हो या नहीं लेकिन पढाने की तरीका आपको मालूम है, बोलकर वह वापस आई।
अगले दिन पूरी हिंदी विभाग के अध्यापिका ओम को बुलाकर उसे एक कक्षा में बिठा दिया और क्लास लेने के लिए बता दिया। सारी अध्यापिकाएँ गधगधकर ही पाठ पढाया मुझे बहुत आश्चर्य हुआ की बीएड की अध्यापिका जो आठ साल से वही ही काम करती है वो भी उसी तरह लेती है गधगधकर। और जो सरिता पर आरोपण किया था वो पाँच मिनट भी पूरी तरह से हिंदी में बात भी नहीं कर पाई। बस सरिता ने अच्छी तरह से पाठ पढाया और सारी कर्मचारियों ने पहली बार देखा था उसकी प्रसंशा की।
पूरा वर्ष सरिता ने बहुत संघर्ष झेलकर काम किया और अगले साल स्कूल से बाहर आकर अपने मन की इच्छा से एक कहानीकार बन गई।अब भी बेचारी अपनी ओर हुए षडयंत्रों को भूलकर सारी मित्रों के संग खुश थी।