Priyanka Verma(bulbul)

Drama Tragedy Inspirational

4.7  

Priyanka Verma(bulbul)

Drama Tragedy Inspirational

सरहद

सरहद

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ये कहानी पाक अधिकृत कश्मीर के एक छोटे से गांव तुरतुक की है जो सन 1971 से पहले पाकिस्तान के कब्जे में था लेकिन सन 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान ये गांव भारत के नियंत्रण में आ गया और इसके पास के तीन गाँव पर भी भारतीय सेना का कब्जा हो गया।

 नुब्रा नदी के आखिरी छोर पर बसे इस गाँव के एक तरफ ऊंची ऊंची काराकोरम पर्वत की ऊंची चोटियां दिखाई देती है और दूसरी तरफ श्योक नदी बहती है।

यहां की जिंदगी बेहद मुश्किल है।सर्दियों में इतनी ठंड पड़ती है कि तापमान करीबन माईनस पच्चीस डिग्री तक चला जाता है। 

लेह के रास्ते तुरतुक गाँव तक पहुंचा जा सकता है।लेकिन रास्ता बेहद मुश्किल और संकरा है। दो सौ पांच किलोमीटर के रास्ते को पार करने में करीबन छह से सात घण्टे का समय लग सकता है।

सन 2010 से पहले इस गांव मेंबाहरी लोगों का आना जाना निषेध था लेकिन अब ऐसा नहीं है।

तो तुरतुक गाँव मे एक बार एक भारतीय लड़का माधव गलती से रास्ता भटक कर उधर चला गया।उस समय वो गाँव पाकिस्तान के अधीन होने के कारण वहां पाकिस्तानी सेना का कब्जा था।

ट्रेकिंग का शौक़ रखने वाला माधव को अकेले पहाड़ों पर घूमने का बेहद शौक था।यही शौक़ उसे यहां तक ले आया था।

अब जब उसने पाकिस्तान का झंडा देखा तो अपनी गलती का एहसास हुआ।

सामने ऊंचाई पर पाकिस्तानी चौकी दिख रही थी।

और वो वहां चौकी पर जाकर नहीं बता सकता था कि मैं गलती से रास्ता भटक कर यहां आया हूँ वरना पाकिस्तानी सैनिक उसे बिना पूछे ही गोली मार देते। 

भारत पाकिस्तान का संबंध तो हमेशा से अच्छा नहीं रहा और उस समय भी गहमा गहमी चलती रहती थी।

अब माधव छुप तो गया था लेकिन रात बिताने के लिए उसे एक आश्रय चाहिए था जिसके लिए वो छुपते छुपाते तुरतुक गांव की तरफ चल पड़ा। 

उस समय सर्दियों के मौसम की शुरुआत हुई थी ।

तापमान फिर भी चार डिग्री सेल्सियस के आसपास था। हर जगह बस बर्फ की सफेद चादरें बिछी हुई थी। 

माधव ने एक काम अच्छा किया था ।उसने सफेद रंग की ही ट्रैक पैंट और गर्म जैकेट पहनी हुई थी जिसके कारण वो बर्फ में आसानी से नजर नहीं आ रहा था। 

लेह लद्दाख का निवासी होने की वजह से उसे भी ठंड बर्दाश्त करने की आदत थी । आगे एक घर में बाहर से नजर डाली तो दो आदमी खाना खा रहे थे और एक बूढ़ी औरत खाना परोस रही थी।

रोटी देखकर उसे भी भूख लग आई थी लेकिन इस समय जान बचाना ज्यादा जरूरी था सो वह आगे दूसरे घरों में ताकझांक करने की कोशिश करने लगा। 

दो चार घर छोड़कर उसे कुछ दूरी पर एक घर दिखा जिसके आगे अलाव जल रही थी वह उस तरफ जा ही रहा था कि पीछे से किसी ने उसे

 टोका - " कौन हो तुम? यहाँ क्या कर रहे हो? " देखा तो एक बूढ़ा आदमी हाथ में लालटेन लिए हुए उससे पूछ रहा था।

माधव सकपका गया लेकिन उसने सच बता दिया कि वो रास्ता भटक कर इस तरफ आ गया है और अब क्या करे?

सुनकर बूढ़ा आदमी सोच में पड़ गया।

उसने कहा मेरे साथ मेरे घर की ओर चलो वरना अभी पाकिस्तानी सैनिक इस तरफ गश्ती पर आने वाले होंगे तो तुम फौरन पकड़ लिए जाओगे। "

माधव चुपचाप उनके साथ चल पड़ा। उसे एक बात हैरान कर रही थी कि इस बूढे का घर गांव के सबसे अंतिम छोर पर था और उसके आसपास कोई घर नहीं था। 

घर जाकर बूढे के आवाज लगाने के पहले एक सुंदर सी लड़की ने दरवाजा खोल दिया और दोनों को अंदर बुलाया।

माधव उस लड़की को देखता रह गया। माधव को बड़ा आश्चर्य हो रहा था कि उस लड़की ने उसके बारे में बूढ़े आदमी से कुछ पूछा क्यूँ नहीं ? 

जल्दी से अलाव जलाकर उसके पास उस बूढ़े ने एक पुरानी कालीन बिछाते हुए उसे बैठने को कहा। वह चुपचाप बैठ गया।

उसने बताया कि यह उसकी बेटी है।इतना कहकर वह चुप हो गया।

माधव भी थके होने की वजह से ज्यादा बातचीत नहीं कर रहा था।

उसने अपने दिमाग पर ज्यादा जोर न लगाया लेकिन उसे अब काफ़ी ठंड भी लग रही थी। ज्यादा चढ़ाई चढ़ने की वजह से हाथों पैरों में दर्द भी हो चला था।

 तभी वही सुंदर लड़की वहां एक थाली में रोटी सब्जी लेकर आई तो उसने बूढे आदमी की तरफ देखा तो उस आदमी ने बताया कि वो और बेटी पहले ही खा चुके हैं और वो भी जल्दी से खा ले फिर वह उसे एक छोटे रास्ते की तरफ से लेह की तरफ छोड़ देगा। 

माधव को भूख तो बड़ी तेज लगी ही थी सो चुपचाप खाना खा लिया और दोनों को हाथ जोड़कर बहुत धन्यवाद भी कहा।

खाना खाकर और थकान से अब माधव को नींद आने लगी थी लेकिन उस बूढ़े ने कहा कि रात को ही बाहर निकल सकते हैं दिन के उजाले में कल से मुश्किल हो जाएंगी क्योंकि कल पाकिस्तान के आला अधिकारी इस गाँव की तरफ आ रहे हैं। 

उसने आज सुबह की गश्ती के समय ही सैनिकों को बातचीत करते हुए सुना था।

अब माधव तो घबरा ही गया लेकिन उसे रास्ता याद नहीं था। ऊपर से हल्की बर्फबारी भी शुरू हो चली थी । बूढ़ा आदमी उसकी उलझन समझ गया था। सो उसने कहा -

" परेशान न हो बेटे ! मुझे रास्ता पता है। ये आँखे कमजोर जरूर हुई है लेकिन समझ में सबकुछ आता है। जीवन के काफी साल यही बिताए है मैंने ।

अंधेरे में भी रास्ता पहचान सकता हूँ ।अब चलो देर मत करो।" 

कहते हुए बूढे ने पहले उस लड़की को दरवाजा बंद करने को कहा फिर लाठी और एक हाथ में लालटेन लेकर माधव के साथ निकल पड़ा। 

उसने एक पुरानी काली शॉल माधव को ओढ़ने के लिए दी औऱ कहा कि मैं आगे आगे चलता हूं तुम मुझसे कुछ दूरी बनाकर चलना।

अगर कोई सैनिक रास्ते में मिल जाता है तो मैं दो बार खांसने लगूंगा तो तुम समझ जाना।

माधव उसकी समझदारी और दूरदर्शिता देखकर हैरान परेशान हो रहा था। सत्तर साल की उम्र में भी वो बिल्कुल फिट लग रहा था।माधव को अपनी तरफ तकता देखकर वह बूढ़ा हँस पड़ा।

" जानता हूँ क्या सोच रहे हो! कि इस बूढ़े ने तुमसे कोई सवाल क्यूँ न किया औऱ इस उम्र में भी ये इतना फिट कैसे हैं और बिना जाने तुम्हारी इतनी सहायता क्यूँ कर रहा है।यही न!" 

माधव सकुचा गया। " हे भगवान ये बूढ़ा तो अंतर्यामी निकला! इसे कैसे पता चला कि मैं क्या सोच रहा हूँ?"

तभी फिर से बूढ़े आदमी की आवाज आई " चलते रहो बेटा ! यहां रुकना तुम्हारे लिए खतरे से खाली नहीं! रास्ते में सब बता दूंगा।अभी चलो " माधव चुपचाप चल उसके पीछे चल पड़ा।

" वो आपकी जान को भी खतरा हो सकता है बाबा !"

" नहीं ,क्योंकि मुझे यहां सब पागल समझते हैं और मुझसे दूर रहते हैं।"

" पागल!"

" लेकिन बाबा आप तो "

" हाँ, क्योंकि मैं पागल नहीं हूँ तो लोग मुझे पागल क्यूँ समझते हैं यही पूछना चाहते हो न!तो सुनो बेटे तुम भले आदमी लगते हो इसलिए बता रहा हूँ मैं ये सब अपनी बेटी को बचाने के लिए कर रहा हूँ पागल समझ कर कोई मेरे घर नहीं आता और मेरी बेटी इन दरिंदों से बची रहती हैं।ये पाकिस्तानी सैनिक का कोई ठिकाना नहीं होता कभी भी किसी की बेटियों को उठाकर ले जाते हैं और कोई कुछ नहीं कर पाता! पता न मेरे बाद मेरी बेटी का क्या होगा? " कहते हुए बूढे आदमी की आँखों में आँसू आ गए।

" बाबा आप कोई अच्छा लड़का देखकर उसकी शादी करवा दीजिये न!"

"नहीं मिल रहा उसके योग्य कोई ! पता नहीं ईश्वर को क्या मंजूर हैं!"

माधव के दिल में आया कि वो उसकी बेटी को खुद के लिए मांग ले लेकिन उसके लिए ये समय ठीक न लगा।

माधव ने भले ही एक झलक देखी थी उस लड़की की लेकिन वो उसके दिल में बस गई थी।

काफी देर चलने के बाद उस बूढ़े ने एक पहाड़ी से नीचे की तरफ इशारा किया और कहा -" बस बेटे आधे से ज्यादा रास्ता अब पार हो चुका है बस यहाँ से नीचे उतर कर बाई तरफ चलते जाना।

वही एक और छोटी सी संकरी रास्ते पर चलते हुए तुम अपने देश में पहुंच जाओगे।" 

माधव ने आगे बढ़कर उस बूढ़े के पैर छुए और आशीर्वाद लिया। 

कहा -" एक बार और मिलने आऊंगा आपसे और एक प्रार्थना है कि आप एक साल और अपनी बेटी के शादी के लिए रुक जाय। मैं जानता हूँ कि यह सही समय नहीं है इनसब बातो के लिए लेकिन मैं आपकी बेटी से शादी करना चाहता हूं।

बूढे ने कहा -" यह संभव नहीं बेटे क्योंकि हमलोग इस समय पाकिस्तान में है और तुम हिंदुस्तान में ! ये सरहदे बाधा है इन सभी मे, लेकिन फिर भी तुम कहते हो तो मैं एक साल तक तुम्हारे लिए इंतजार करूंगा।फिर ही कही शादी की बात करूंगा। ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे।"

कहकर बूढ़ा वही रुक गया और माधव को चलने का इशारा किया।माधव उसके बताए अनुसार आगे चलता गया और करीबन चार घंटे के बाद लेह पहुंच गया।अपनी धरती पर आते ही उसे बड़ा सुकून जैसा महसूस हुआ लेकिन शरीर बुरी तरह थककर चूर चूर हो गया था।अब और चलने की हिम्मत नहीं बची थी उसमें इसलिए

 माधव ने एक पेड़ के तने पर उसी बूढ़े के दिये कंबल को ओढ़कर बाकी की रात गुजारी।वाकई बहुत गर्म कंबल था।बहुत हद तक ठंड रोक दिया था उसने!

सुबह घर पहुंचते ही वह फिर से उन यादों में खो गया। घर में कोई उसकी बातों पर यकीन न कर पा रहा था।

वह मन ही मन सोचता कि कैसे वहाँ दुबारा जाऊ।जाने में बहुत खतरा था।एक बार तो वह किसी तरह बच गया था लेकिन जरूरी नहीं कि किस्मत हर बार साथ ही दे।

वह रोज सुबह भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना किया करता था कि उसकी उस लड़की से हुई पहली मुलाकात को आखिरी मुलाकात न रहे और तरह तरह की योजनाओं के बारे सोचता रहता था कि कैसे उस लड़की से दुबारा मिलूं?

संयोग की बात देखिए, 

उसी साल भारत पाकिस्तान का युद्ध शुरू हुआ और तुनतुन गांव भारत में शामिल हो गया।

वो साल सन 1971 का था। भारत के अधीन होते ही माधव खुशी से उछलकर उस गाँव में जा पहुंचा और उस बूढ़े आदमी को ढूंढ निकाला और उसे और उसकी बेटी को अपने परिवार से मिलाया। 

माधव के परिवार ने उसकी शादी ख़ुशी ख़ुशी उस लड़की से करवा दिया और उसके बूढ़े पिता को भी अपने ही साथ रख लिया।इस प्रकार दोनों देशों के बीच युद्ध के एक सुखद अंत के साथ माधव के जिंदगी की नई शुरुआत हुई।

सच कहा है - 

" अगर किसी चीज को पूरी शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे मिलाने में लग जाती हैं ! " 


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