Akanksha Gupta

Tragedy

5.0  

Akanksha Gupta

Tragedy

सरहद पार होली।

सरहद पार होली।

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सभी सैनिक होली की तैयारी कर रहे थे। तभी कैप्टन हाथो में गुलाल की तश्तरी लेकर आ गए।

“होली की लख लख बधाई।"

“थैंक्यू सर।”

“और क्या तैयारी चल रही हैं होली की?”

“बस इस बार होली तो सरहद पार ही खेली जाएगी सर।”

“वेरी गुड।”

“आपको होली की बधाई जल्द ही मिलेगी सर।”

“आप सभी याद रखें कि जिस तरह की होली की बधाई सरहद पार से हमारे देश में भेजी गई थी उससे कही बेहतर होली की बधाई हमें उस पार भेजनी है।”

“आप चिन्ता ना करें सर। आपको निराश नहीं करेंगे हम सर।”

“रण में मिलते है।”


और उस होली की याद आज भी सरहद पर जिंदा है।


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