सप्तरंगी सावन- 1
सप्तरंगी सावन- 1
एक आसमानी इंद्रधनुष की तरह ..वो हमारी ज़रा सी पहचान....हलके से सफ़ेद रंग से ले कर आज तक कई रंगों में लिपटी, और एक ज़रा से रिश्ते ने ज़िन्दगियों को कैसे रंगीन बना दिया! ....इस बात का एहसास दिलाती हमारी ज़िन्दगी की खूबसूरत सच्ची कहानी का ये सबसे पहला पन्ना मेरे प्यार को उसकी प्रियतमा की और से बेपनाह मोहब्बत के साथ अर्पण!....
आज भी याद है इस दिल को क्या हुआ था उस रात जब ज़िन्दगी ने बड़ी खूबसूरती से करवट बदली थी. याद है मेरी धड़कने किस तरह एक गहरे विश्वास के साथ धड़कना सीखी थी. घावों से उभर न पायी थी जो धड़कने उन्हें किसीने बड़े ही प्यार से थामा था , संभाला था, बड़ी ही ममता से बड़े ही अपनेपन से ऐसे संभाला था जैसे कोई किसी मासूम बच्चे को संभालता और फिर उसकी बड़े प्यार से हिफाज़त करता करता. ....कानो में जैसे कहता: आजा छुपालूं तुझे दुनिया से, सीने से लगा लू तुझे , कोई न छूने पाए फिर तेरे दिल को, न दे पाए कोई दर्द तुझे कभी। कभी फिर तेरी आँखे आँसुओं से न भीगे। ......
कल तक जो सिर्फ अनजाना सा था वो आज एक नए रूप में सामने था , बेचैन था और बेताब था मेरे दर्द को देख कर. ..
जैसे उसके सीने में महसूस कर रहा था मेरे दर्द को. उसकी नज़रों में साफ़ दिख रहा था के कुछ था जो उसे खींचे जा रहा था मेरी और. उसकी नज़रें उसकी आवाज़ साफ़ बया कर रही थी उसका हाल दिल।
उसकी नज़रों में डूब कर मैंने अपनापन पाया था। ..एक ऐसा भरोसा नज़रों में था के मैंने अपनी किताब के सार
े पन्ने खोल के रख दिए उसके आगे... आँखे बहती गयी और दोनों की नज़रें कहानी को एक बन कर महसूस करती जा रही थी. आसपास की दुनिया थम सी गई थी. वो कौनसी जगह थी कौनसा शहर किसी बात का कोई अंदाज़ा ही न था।
रूह से रूह बांध रही थी. कुछ दिन मुलाकातों का यूँ ही सिलसिला चलता रहा एक नए बंधन से बांधने लगे हम सूरज की पहली किरण से ले कर रात चाँद निकलने तक होता था बस इंतज़ार। .पलकें झपकती अचानक से और दिल कहता देख कहीं कोई संदेसा आया होगा। यूँ ही दिन रात बीते जा रहे थे. और जब नजरों का इंतज़ार ख़त्म होता तो दिल ऐसे झूम उठते के हाल दिल नज़रों से बया हो ही जाता। एक अनोखा सिलसिला बन गया था ज़िन्दगी में.....हँसी , ख़ुशी ,दर्द ,आंसू। कवितायेँ।,ग़ज़लें ,शेरो शायरियाँ , कहानियाँ और फिल्मो के चर्चे , कभी बचपन की बातें और कभी आने वाली ज़िन्दगी के सुहाने सपने....
लगने लगा था ज़िन्दगी में मेघधनुष के सारे ही रंगो में साथ साथ ...भीग रहे थे हम। अगर वो रंग नहीं भरते ज़िन्दगी में तो ज़िन्दगी एक कोरे कागज़ या खाली कैनवास बन के रह जाती, जिसे देख कर ज़िन्दगी का सुना पैन धीरे धीरे जान ही ले लेता।
मेरी ज़िन्दगी में सही मायने में मेरी साँसे बन आकर तुम आये थे. एक मुरझाते हुए पौधे को तूने अपनी मोहब्बत से सींचा था , उसे ज़िंदा रखा था. उस पौधे को नयी ज़िन्दगी दे कर उम्मीदें भरने के लिए मेरी मोहब्बत तुझे दिल से लाखों सलाम! दिल की हर दुआ तेरे नाम ! तुझसे बेपनाह प्यार है और जनमो जनम रहेगा।
एक रूह को दूसरी रूह से सलाम ।