Deeksha Chaturvedi

Classics Fantasy

2.9  

Deeksha Chaturvedi

Classics Fantasy

सपनों की दुनियाँ

सपनों की दुनियाँ

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रात का सफर यूँही चलता रहता है

दिन यूँही गुज़रता रहता है

उम्र गुज़रती जाती है

हम बड़े होते रहते हैं


जिंदगी में बहुत कुछ हासिल होता है

बहुत कुछ ऐसा भी है जो पीछे छूट जाता है

कितनों के बग़ैर हम खुश रहना सीख जाते हैं

क्यों कोई एक शख्स हमें फिर भी याद आता है


कभी कभी भीड़ में भी हम तन्हा नजर आते हैं

और कभी तो तन्हाई में भी व्यस्त हो जाते हैं

समझ नहीं आता जिंदगी की ये कैसी कशमकश है

जो हमें भूल बैठे वही क्यों हमारे दिल पर राज़ करते हैं


जो कभी पूरे नहीं हो सकते क्यों आँखें वो ख़्वाब देखती हैं

माना हसरत उन्हें चाँद की है

पर सभी हसरतें पूरी हो ये जरूरी नहीं है 

मिलने की ख्वाहिशें तो दिल कबसे संजोए बैठा है 


लेकिन पैरों को उठकर खड़ा होना तक मंजूर नहीं है 

उन्हें वहाँ तक का सफर भी नहीं करना है 

जहां से कभी मंजिल भी एक थी 

ना सफर में पीछे लौटने की ख्वाहिश है 


ना तेरे बगैर आगे बढ़ने की तमन्ना है 

अधूरी ख्वाहिश लेकर जाना भी कहाँ है 

सपनों की दुनियाँ है बस जाग जाना है

सपनों की क्या हकीकत होती है 


फसाने तो हकीकत के होते हैं 

सपनों के तो बस अफ़साने होते हैं। 


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