रंगत का हल दहेज
रंगत का हल दहेज


रोशनी एक सेल्स गर्ल है जो घर घर जाकर ब्यूटी प्रोडक्ट बेचती है।
सुबह सुबह रोशनी तैयार होकर घर से निकलती है मां मैं ऑफिस जा रही हूँ। समय से आ जाऊँगी।
माँ अब तू हफ्ते भर की काम से छुट्टी लेकर घर क्यों नहीं बैठ जाती है। तुझे बताया तो है इतवार को लड़के वाले तुझे देखने आ रहे हैं। लेकिन तुझे तो हमारी एक नहीं माननी है। बस अपनी मनमानी करनी है। बस वो किए जा। कौन सुनता है मेरी?
अच्छा ठीक है माँ दो दिन पहले से नहीं जाऊँगी अब काम है करना तो पड़ता है वरना मैं अपनी नौकरी गवां दूँगी।
माँ कहती हैं तू तो इतने सजने संवरने के सामान बेचती है तो तू अपने चेहरे पर क्यों नहीं लगाती है शायद तेरा भी रंग साफ़ हो जाये। लोग तेरे साँवले रंग को देख कर क्या क्या कहते हैं।
माँ फिर वही बात रंग रूप मेरे हाथ में थोड़े है। ये तो कुदरती है। और भला जो मेरे रंग को देखकर मुझे पसंद करें वो लोग मुझे नहीं चाहिए आखिर जो मेरे हाथ में है ही नहीं उसको कैसे बदलूँ।
ठीक है ठीक है, तू तो ज्यादा समझदार है नौकरी है मेरी कहाँ सुनेगी।
इस उधेड़ बुन में सारे दिन निकल गए। आखिर वो दिन आ ही गया जब लड़के वाले रोशनी को देखने आये।
लेकिन ये क्या उन्होंने तो रोशनी के रंग पर सवाल ही खड़ा कर दिया और उसका हल भी उनके सामने खुद ही रख दिया।
देखिए भाईसाहब आपकी बेटी तो साँवली है, हम उसको अपने घर की बहू बनाएंगे तो लोग क्या कहेंगे कि कैसी बहु लाए हैं और ना जाने क्या क्या? और आप दहेज भी इतना कम दे रहे हैं। लोग कहेंगे कि कुछ मिला भी नहीं है और बहू भी सुन्दर ना ला सके। ऐसा कीजिए आप हमको 20 लाख रुपये दे दीजिए हम आपकी बेटी को अपने घर की बहू बना लेंगे। आखिर हमारा बेटा काबिल है भगवान की कृपा से सरकारी नौकरी करता है।
जानकारी :- ये कहानी पूर्णतया काल्पनिक है। लेकिन ऐसा हमारे समाज में होता है।
सलाह :- रंग रूप देखकर ही शादी करोगे तो रूपवती तो मिलेगी लेकिन गुणवती नहीं।