सोसायटी
सोसायटी
“हेलो, रमन्ना!”
“यस”
“बहुत नियम के पक्के… पक्चुयल हैं आप ,”मुस्कराते हुये प्रसाद ने कहा ।
“क्या गुस्ताखी कर दी मैंने”कहते हुए बढ़कर हाथ मिला लिया रमन्ना ने।
” रोज़ आपका वीडियो नियत समय पर अपलोड हो जाता है।आपकी तरह ही पॉजिटिव होने की जरूरत है ,इस संक्रमण- काल में।”
“हो हो हो हो”,रमन्ना ने चिरपरिचित ठहाके से जबाब दिया।
“आप बहुत सोशल हैं।इतना बड़ा सर्किल है।शायद ही सोसायटी में कोई हो जो आपको न पहचानता हो।”
हाहाहाहा
जबाब में रमन्ना का दूसरा ठहाका।
हफ्ते भर बाद ही; पुलिस बुलाई गई ,लोग इर्दगिर्द खुसर पुसर कर रहे थे।
“अकेले ही रहते थे ।परिवार दिल्ली में था।बहुत सज्जन ,मिलनसार थे।हमेशा हँसते रहते थे।सोसायटी के सभी ग्रुप में रोज अपना वीडियो अपलोड करते थे”
बदबू लॉबी तक आ रही थी ।पुलिस ने शव कब्जे में लेकर उनके सारे गेजेट्स इकट्ठे किये।फ़ोन चेक किया।
फोन में आखिरी ,(सोसायटी के सभी ग्रुप में )अपडेट था-
“तबियत अच्छी नही लग रही है।दो बार चलते -चलते लड़खड़ा गया हूँ । प्लीज ,कोई मुझे हॉस्पिटल ले चलो ।हेल्प …,हेल्प मी ! प्लीज़।”