Shreeya Dhapola

Tragedy

5.0  

Shreeya Dhapola

Tragedy

सोलमेट

सोलमेट

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कितने महीने बीत गए अंकुर ने प्रिया की कुछ खबर नहीं ली | 

कैसी है ठीक है भी या नहीं ?


अंकुर ने एक दफा फोन करके उसका हाल पूछना ज़रूरी भी नहीं समझा |


मगर वो पूछता ही क्यों ,उसने ही तो प्रिया को घर से निकाला था | बिजनेस में फायदा नहीं होने की वजह से उसने प्रिया को उसके पिता से पैसे मांगने को कहा था | वैसे ही अंकुर और उसका परिवार दहेज और सब मिलाकर पचास लाख से भी ज्यादा मांग चुका था उससे, अब और बीस लाख कहां से लाती वो | घर, ज़मीन , दुकान सब तो गिरवी रख चुके थे उसके पिता | अब बचा ही क्या था उनके पास कर्ज़ के सिवा | अपनी बेटी के ससुराल वालों पर सब लूटा चुके थे वो |


उसके मना करने पर अंकुर ने उसे उसके घर वापस जाने को कह दिया और उससे सभी रिश्ते तोड़ दिए | ससुराल वालों ने ना जाने उसे कितने ताने सुनाए की उसकी ज़िद्द की वजह से आज उसका रिश्ता टूटा है | अगर वो चाहती तो उनकी बात मान कर सब सही कर सकती थी | मगर उन्हें अपना लालच और अहंकार कहां दिखा?


और आज ना जाने कितने महीनों बाद जब प्रिया को अंकुर की तरफ से खत मिला तो उसकी खुशी सातवें आसमान पर थी | जैसे ही उसने लिफाफा खोला उसमें तलाक के काग़ज़ देख कर उसके जैसे होश ही उड़ गए |उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई ,ऐसा लग रहा था मानों किसी ने उसे बहुत ऊंचाई से नीचे फेंक दिया हो | उसकी उम्मीद उसका इंतज़ार सब एक झटके में ख़तम हो गए | 


वो हाथ में अंकुर के दिए तलाक के काग़ज़ और दीवार पर टंगे सोलमेट के फ्रेम पर अपनी और अंकुर की तस्वीर बस एक टक देखती रह गई |


दिन बीत गए महीने बीत गए मगर वो अपने जहन से बीतें लम्हों को निकाल नहीं पा रही थी।तलाक के काग़ज़ पर साइन तो कर दिए थे उसने मगर अब भी वो मायूस रहती |

मगर हद तो तब हो गई जब कोर्ट रूम में अंकुर के परिवार वालों ने उसके माता पिता की बेइज्जती कर दी।

उस दिन उसने सोच लिया कि बस अब वो खुद को कमज़ोर नहीं समझेगी वो लड़ेगी अपने और अपने परिवार के हक के लिए।

उसने जितने हो सके सबूत इखट्टा किए अंकुर के परिवार के ख़िलाफ़ और कोर्ट रूम में पेश किए। और जब फैसला उसके हक में आया तब जाकर उसने चैन कि सांस ली।

इस हादसे के बाद सबसे पहले उसने खुद के लिए नौकरी ढूंढी जो उसका हमेशा से मन था खुद के पैरों पर खड़े होने का | MBA होने के बाद भी उसके ससुराल वालों ने उसे नौकरी नहीं करने दी थी मगर अब उसने दृंड निश्चय कर लिया था कि उसे उसके सपनों की उड़ान भरने से अब कोई नहीं रोक सकता |

उस दिन नौकरी पर जाने से पहले उसने उस सोलमेट के फ्रेम को दीवार से हटाकर कचरे में फेकां और अपने जीवन की नई शुरुवात के लिए मां के हाथ से दही चीनी खाया |



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