सोच
सोच
प्रीति व मिता एक ही फैशन कंपनी में काम करती थी दोनों का व्यक्तित्व अपने आप में आकर्षक व दिखने में सुंदर था। साथ ही वह अपने कार्य में कुशल व दक्ष थी। प्रीति विनीता में अंतर था तो उनकी सोच का।
एक बार फैशन कंपनी की बॉस ने 2000 एंप्लाइज में नए प्रोजेक्ट के लिए प्रीति नीता दोनों को चुना। और दूसरे शहर में अपने प्रोडक्ट लॉन्च करने के लिए इसमें कार्य करने के लिए दोनों को कहा। साथ में शहर में जाकर यह सर्वे भी करना था कि वहां के लोग फैशन को लेकर कितने सचेत हैं।
प्रीति को जैसे ही प्रोडक्ट और शहर के बारे में पता पड़ा तब प्रीति ने पहले ही सोच लिया कि कंपनी बस समय और रुपए दोनों खर्च कर रही है साथ में हमारी भी मेहनत फालतू जाया कर रही है।
जबकि नीता ने यह सोचा कि प्रोजेक्ट कठिन जरूर है लेकिन अगर उसको नई सोच के साथ किया जाए तो शायद कंपनी को सफलता तो मिलेगी साथ में आगे उसके भी सफलता प्राप्त करने के कई चांस मिल जाएंगे।
दोनों नए प्रोजेक्ट के लिए दूसरे शहर को निकल गई वहां उन्होंने सर्वे किया तो प्रीति ने जैसा सोचा था वैसा ही पाया।
और अपनी रिपोर्ट में वही ही तैयार किया कि वहां पर अपनी कंपनी के प्रोडक्ट का कोई भी स्कोप नहीं है।
जबकि नीता ने इस प्रोजेक्ट पर पूरा काम करके उसको वहां लांच करने की सोची वहां के ही लोगों को भी रोजगार के अवसर प्राप्त हो ऐसा प्रोफॉर्मा तैयार किया साथ में वहां पर जो वनस्पति थी उनको फैशन प्रोडक्ट में साथ में इस्तेमाल कर उनकी सस्ते दरों पर कंपनी को लॉन्च करने का प्रोजेक्ट रखा।
नीता के प्रोजेक्ट को बॉस ने पारित कर दिया और जैसा नीता ने सोचा था वैसा ही शहर में कंपनी का फायदा हुआ। और नीता को उस कंपनी का हेड बनाकर जिम्मेदारी सौंपी उसको प्रमोशन दे दिया गया।
जबकि प्रीति आज उसी पोस्ट पर उसी कंपनी पर कार्यरत है और वह अपनी नकारात्मक सोच के कारण आगे के प्रोजेक्ट नहीं ले पाती।
दोस्तों मेरी कहानी का उद्देश्य आपकी सकारात्मक नकारात्मक सोच पर निर्भर करता है। हम पहले से नकारात्मक सोच का मानस बनाएंगे सफलता और कठिन हो जाएगी। किसी भी क्षेत्र में कार्य करने में सकारात्मक सोच की सख्त आवश्यकता है।