सोच समझकर फ़ैसला लो

सोच समझकर फ़ैसला लो

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कई बार मेरे और मेरे पापा के बीच बाते होती है।

पापा...चिंता मत करो तुमने किसी का कभी बुरा नही किया तुमारा कोई बुरा नहीं करेगा।

मैं... पापा क्यों आप हमको छोड़ कर चले गए आप का हमारे पास होना कितना जरूरी था।

पापा... बेटा जाना तो सब को एक दिन होता है, कोई आज तो कोई कल तुमने जो इस घर के लिए किया वो तो बेटे ने भी नहीं किया...मैं हर पल तुमारे साथ हूँ कोई आफत कोई मुसीबत तुम पर नहीं आएगी, मेरी दुआ हमेशा तुमारे साथ रहेगी...खुद को बचाकर रखा है हमने ज़माने की हवाओं से, रोज़ दिन ब दिन जमाना बदल रहा है और हम आज भी अपने आप को बदल नहीं पाये।

दुनिया बन गयी है खुदगर्ज और हम आज भी अपनों के लिए जीते हैं....बहुत मुश्किल होता है फैसला लेना, जब अपनी और अपनों की खुशियो में से एक हो चुनना हो...आज हमारा चुना हुआ फैसला हमारी पूरी जिंदगी बदल देता है, हम अपनी खुशी चुनते हैं तो अपने नाराज़ हो जाते हैं।

हम अपनो की खुशी चुनते है तो पूरी जिंदगी दिल में एक कसक रहती है।अपनी खुशियों का त्याग करके हम शायद अपनों के चेहरे खुशी ले आते हैं लेकिन जब वो अपने स्वार्थी हो जाते हैं तब अपने ही फैसले हमको गलत लगने लगते हैं, तब पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता इसलिए जो भी फैसला लो सोच समझकर।


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