STORYMIRROR

Hardik Mahajan Hardik

Drama

4  

Hardik Mahajan Hardik

Drama

सोच रहा हूँ

सोच रहा हूँ

1 min
574

 "कुछ कमी रह गई मुझमें शायद कुछ या फिर जितनी कमी थी मुझमें वो काफ़ी हैं",नहीं समझ पाया मैं कभी तो मुझें अपनी जिंदगी ने समझा दिया होता या फिर जितना भी समझ पाया मैं वो काफी न था। हाँ मुझें शिकायत हैं, आज भी तुम्हारी तुमसे मुझे के तुम मुझें फिर जताते क्यूँ नहीं,प्यार हैं तुम्हें भी मुझसे गर तो तुम मुझें बताते क्यूँ नहीं"।

यह कभी हमें तुमने बताया क्यूँ नहीं, अरे मुहब्बत की नुमाईृइश मैं तुमसे कर लेता तुम्हारी आँखों में मैं जितना तुम्हें नज़र आया क्या वो पल काफ़ी नहीं था तेरा मेरा।

सोच रहा हूँ,

क्या कमी रह गईं मुझमें शायद कुछ या फिर जितनी कमी थी मुझमें वो काफी हैं। टूट चुका हूँ अब तुमसे बिखरना मुझें हैं बाकी बचा कुछ अहसास तुझमें आज जो तुझें मुझें जीतना बाकी हैं। तुम्हारी हमारी यह चंद साँसें जिनका साँसों से साँसों में घुलमिलना बाक़ी हैं, मौत तो आज भी मेरे सिरहाने पर खड़ी मुझसे पूछती हैं, भाई आ जा पास मेरे अब क्या तुझें देखना बाकी हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama