संयुक्त-परिवार
संयुक्त-परिवार
भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों कि संस्कृति में
सदियों से संयुक्त परिवार प्रथा कायम हैं।
सामाजिक पारिवारिक जीवन में लोग
आज़ भी संयुक्त परिवार में रहने वाले
ग्रामीण लोग बड़ा गर्व महसूस करते हैं।
परन्तु संयुक्त परिवारों मेंआपसी सहमती
से पारिवारिक निर्णय लेने कि मुख्य व्यक्ति
कि समझ में कमी हो रहीं हैं।
इसलिएआधुनिक युग में पारिवारिक
सदस्यों को मुख्य व्यक्ति चयन में
परेशानी हो रही हैं।
क्योंकिआधुनिक युग में लोगों के
स्वार्थी स्वभाव में बढ़ोत्तरी हुई हैं।
इससे स्पष्टता संयुक्त परिवार प्रथा
समाप्त होने का खतरा बढ़ रहा हैं।
पहले जैसा भाईचारे का माहौल नहीं रहा हैं।
आधुनिकता कि हौड़ में लोगों के दिलों दिमाग़
में नफ़रती लोग नफ़रत भर रहे हैं।
कई लोग पारिवारिक सदस्यों में गुटबाजी
कराके भाई भाई कोआपस में लड़ा रहे हैं।
कई घरों मेंऔरतों काआपसी लड़ाई-झगड़ा
लोगों के लिए नाटक बन जाता हैं।
यदि भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों कि संस्कृति बचानी हैं।
तों हम संयुक्त परिवार प्रथा कायम रखियेगा।