संयुक्त परिवार की बेटी

संयुक्त परिवार की बेटी

1 min
424


छह-सात माह की गर्भवती प्रतिमा सुबह से ही भाग दौड़ मे लगी थी..शादी के बाद पहली बार मौसेरे जेठ जेठानी जो आये थे।सुबह की भागादौड़ी, नाश्ते और दोपहर के कामकाज से प्रतिमा थक कर चूर हो गयी थी। रसोई समेट कर प्रतिमा उमस भरी दोपहरी मे कमर सीधी करने अपने कमरे आ गयी। आत्मियता बढ़ाने के लिए प्रतिमा अपनी जेठानी को भी ले वहीं बुला लायी....दोनों अपने पीहर, पढ़ाई और इधरउधर की बातें कर रही थीं। थोड़ी ही देर मे सासू मां भी बहू के कमरे मे आ गयीं...अपने कमरे मे सासूमां को देख उत्साहित हो कर प्रतिमा ने थोड़ा सरक कर उनके लिए भी जगह बना दी। झल्लाती सासूमां बोली.."अरे....सयुंक्त परिवार की बेटी हो....इतना नही जानती तुम्हें पायताने बैठना चाहिये...."

सास-जेठानी पलंग पर लेटी थी और प्रतिमा पायताने बिना सहारे बैठी थी, जिससे उसके सयुंक्त परिवार की इज्ज़त बनी रहे..।

......

वृद्धा जमीन पर चित्त पड़ी थीं.... अपनी ही गंदगी से सनी हुई। प्रतिमा दौड़ती हुई आयी और संभालते हुये बोली "कोई बात नही..सब ठीक है...आप उठने की कोशिश कीजिये धीरे धीरे...."

वृद्धा सास को उठा कर कपड़ें बदल कर, साफ करके पलंग पर लिटाया। उन को चद्दर उढ़ाती प्रतिमा आज 23 वर्ष बाद भी सयुंक्त परिवार से मिले संस्कार निभा रही थीं...


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama