Manju Umare

Romance

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Manju Umare

Romance

समर्पण...

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सबसे पहले तो यह कहना चाहते हैं हम कि यह कहानी काल्पनिक है और किसी जीवित व्यक्ति या स्थान से इसका संबंध नहीं है हां एक कहानी की मांग के हिसाब से परिस्थितियों का चयन किया है हमने


डियर रोमी,

आज तुम्हें गए पूरे 2 साल हो गए फिर भी तुमसे मिलना जैसे कल की बात लगती है ।हर दिन हर पल मैं तुम्हारे साथ गुजारे हर लम्हे को जीती हूं ।जैसे हर पल में तुम मेरे साथ होते हो ।तुम्हारी हंसी तुम्हारी बातें वो मुझे देख कर जानबूझकर अनदेखा कर देना सब इन आंखों के सामने जैसे आने लगता है ।याद है तुम्हें वह कॉलेज का पहला दिन जब हमारे सीनियर्स ने मुझे रैगिंग में तुम्हें थप्पड़ मारने का टास्क दिया था ।सच में बहुत बुरा लगा था उस टास्क की बात सुनकर मैं नहीं कर पाऊंगी कहते हुए मैं कितना रोई गिड़गिड़ाई थी उस दिन ।जब मैंने मना किया तो मुझे दिनभर ग्राउंड के चारों ओर चक्कर लगाने की सजा मिलेगी यह सुनकर तुम खुद उठकर मेरे सामने आकर खड़े हो गए और मुझे खुद को थप्पड़ मारने को कहा था ।सच कहूं उस वक्त अगर मुझे थप्पड़ भी पड़ जाता तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता पर ऐसे तुम्हें थप्पड़ मारना मुझे मंजूर नहीं था ।कितना रोई थी उस दिन मैं बाद में। जिंदगी में पहली बार किसी पर हाथ उठाया था मैंने और तुम कैसे सह गए थे सब कुछ चुपचाप जबकि जवाब दे सकते थे तुम भी उन लोगों को। लेकिन बाद में मुझे कोई प्रॉब्लम ना हो इसलिए सह लिया था तुमने सब कुछ है न??

तुम हमेशा मुस्कुराते रहते, हंसते रहते जैसे सारी दुनिया की खुशियां हो तुम्हारे पास पर दिल में ना जाने कितने राज छुपाए हुए थे यह कोई नहीं जानता था। मुझे वह शाम भी याद है जब तुम्हें और मुझे मिस्टर फ्रेशर व मिस फ्रेशर का प्राइस मिला था। सब ने कितनी हूटिंग की थी उस दिन ।फिर तुम्हारा अपने ग्रुप में सबसे आगे और फेमस रहना ।हर लड़की का सपना थे तुम जैसे। सच कहूं तो चोरी-चोरी देखा करती थी तुम्हें मैं। हर बार किस्मत जैसे तुम्हें मेरे पास ही ले आती या यूं कहूं मुझे तुम्हारे पास ले जाती थी। चाहे वह केमिस्ट्री लैब हो या कॉलेज की सबसे शांत जगह लाइब्रेरी। मैं हमेशा किताबों की दुनिया में रहने वाली कम बोलने वाली। मेरी तो आवाज भी शायद किसी ने सुनी नहीं थी कभी पर तुम ना जाने कैसे जान गए थे कि गाने का शौक है मुझे भी। कंपटीशन में जबरदस्ती नाम लिखवा दिया था तुमने जैसे भरोसा किया हो तुमने मुझपर कि गा सकती हूं मैं भी सबके सामने कॉन्फिडेंस से और मैंने भी तुम्हारे भरोसे को बनाए रखा । उस दिन बस तुम्हें ही देखकर हिम्मत कर पाई थी ।फिर कभी रुकी भी नहीं थी मैं ।जैसे सपनों को पंख लग गए थे मेरे । तुम्हारा मुझ पर मुझसे ज्यादा भरोसा देखकर मैं भरोसा करना सीख गई थी खुद पर पहली बार ।सच कहूं तो किसी ने कभी एहसास पहली बार दिलाया था मुझे कि मैं भी कुछ हूं अस्तित्व है मेरा सपने है मेरे जो मैं पूरे कर सकती हूं।

देखते ही देखते 1 साल गुजर गया अब तुम से मेरी बातें कुछ कुछ होने लगी थी ।पर हमेशा यही लगता था जैसे कुछ कहना चाहते हो तुम मुझसे पर कह नहीं पा रहे थे। वह क्या था जो तुम्हें रोके हुए था बहुत कोशिश की जानने की उस समय पर जान नहीं पा रही थी मैं और ना ही कुछ कह पा रही थी तुमसे ।शायद समझते तो तुम भी थे मेरी हालत कि मैं क्या कहना चाहती थी तुम्हें पर एक डर एक झिझक हम दोनों को ही रोके हुए थी ।फिर एक दिन जब हम सब ग्रुप में बैठे हुए थे और हर कोई अपने फ्यूचर प्लान और कैरियर डिसकस कर रहे थे तो तुमने बताया था कि तुम फौज में जाना चाहते हो। एक सोल्ज़र बनना चाहते हो। जब तुम बता रहे थे हर एक शब्द में तुम्हारे सपने की चमक तुम्हारी आंखों में देख पा रही थी मैं और समझ गई थी कि तुम्हारा पहला प्यार देश है और उसकी सुरक्षा है। उस दिन दुख नहीं हुआ था मुझे बल्कि बहुत खुशी हुई थी बहुत ज्यादा कि तुम्हें चाहा है मैंने ।बहुत गर्व हुआ था तुम पर ।रोज यही सोचती थी कि उन माता-पिता से एक बार जरूर मिलूंगी जिन्होंने तुम्हें ऐसे संस्कार दिए। ऐसी देशभक्ति का जज्बा दिया।

यूं ही वह साल भी बीत गया।ना मैं कुछ कह पाई और ना ही तुम कुछ कह पाए। हम दोनों ही अपने दिल का हाल एक दूसरे से कहने से शायद डरते रहे और हमारे फ्रेंड सब जान गए थे। हम से पहले। वह कहते हैं ना यह चाहते आंखों से समझ में आ जाती है। कॉलेज का वह आखरी साल था उसका एक एक दिन ऐसा लगता जैसे पर लगाकर उड़ रहा हो और मन में तुमसे दूर होने का डर बढ़ते जा रहा था पता था मुझे तुम्हारा हाल भी कुछ ऐसा ही था। यह उस दिन पता चला था जब मैं बीमार थी और तुम मुझे पूरे कॉलेज में ढूंढते फिर रहे थे। तुम्हारी वह बेचैनी दूसरे दिन तुम्हारी आंखों की लाली में नजर आई थी मुझे । सोए नहीं थे रात भर तुम। और मुझे देखते ही उन खूबसूरत गहरी आंखों में जैसे आंसुओं का सैलाब उतर आया था। उस दिन मुझे खुद पर बहुत घमंड आ गया था। कॉलेज के जिस लड़के का सपना हर लड़की देखती थी वह मेरे लिए फिक्रमंद था। सच कहूं उस दिन कई बार देखा था खुद को आईने में। तुम्हारी उस खामोशी ने मेरे सारे सवालों के जवाब दे दिए थे मुझे। फिर वह दिन भी आया जिस दिन कॉलेज में हमारा फेयरवेल था ।सब कितने खुश थे उस दिन पर शायद एक तुम और मैं ही थे जो अपनी हंसी के पीछे अपना दर्द छुपाए बैठे थे। आखिर तुम से रहा नहीं गया तो अपने दिल का हाल बता दिया था मुझे सबके सामने ।सब बस देख रहे थे और मेरी दुनिया तो जैसे थम ही गई थी उस समय उस पल में उस लम्हे में। शायद इतनी खुशी पहली बार मिली थी मुझे। क्या करती बचपन में माता पिता के प्यार को तरसती रही। हर चीज के लिए हर रिश्ते के लिए तरसती रही क्योंकि कुछ नहीं मिला था मुझे तब तक किस्मत से मेरी ।पर उस दिन इस अनाथ की दुनिया जैसे खुशियों से भर दी थी तुमने ।जीने की वजह दे दी थी तुमने। सच कहूं उस दिन का हर एक लम्हा में हजार बार जीती हूं। बहुत मुस्कुराती हूं। हर पल मैं बहुत खुश हो लेती हूं। जब तुमने बताया था की घर तबाह तुम्हारा भी हुआ था। उन जालिम आतंकियों ने घर के सभी लोगों को तुम्हारे सामने ही मार दिया था ।उस दिन मैं समझ गई थी रोमी की तुम फौज में क्यों जाना चाहते हो। सच कहूं बहुत खुशी हुई थी उस दिन जिस दिन तुम्हारा सिलेक्शन हुआ था। और कॉलेज में भी हमेशा की तरह तुमने टॉप किया था। सारी मेहनत तुमने की थी और सारा का सारा क्रेडिट मुझे दे दिया था कि मैं जब से आई हूं तुम्हारी जिंदगी में सब कुछ ठीक हो चला था तुम्हारे साथ।

जिस दिन तुम जा रहे थे उस दिन उस 1 घंटे में न जाने क्या-क्या हिदायतें दे दी थी मुझे ।पढ़ाई करना पीसीएस की। इस बार सिलेक्शन में तुम्हारा नाम देखना चाहूंगा मैं और उस अनाथालय के बच्चों का ख्याल रखना जिसने तुम्हारा ख्याल रखा था कि तुम मेरी जिंदगी में आ सको। तुम्हारी बातें सुनकर मैं बस मुस्कुरा रही थी और तुम बस बोले जा रहे थे बोले जा रहे थे। फिर तुम ट्रेनिंग पर चले गए। रोज रात में हमारी बातें होती और जाने कितने सपने हम साथ मिलकर बुन लेते थे। फिर तुम्हारी पोस्टिंग जम्मू में हो गई और रोज तुम मुझे यही कहा करते थे की हम यही अपना घर बसाएंगे क्योंकि यह पूरा देश ही हमारा है और मैं भी तुम्हारे सपनों की उस दुनिया में शामिल हो जाती थी। रेडियो पर बजने वाला वो गाना जो मैंने पहली बार स्टेज़ पर भी गाया था

"पिया बसंती रे काहे सताए आजा......."

हमेशा तुम्हारी याद दिलाता रहता था।

रोज तुम बताया करते कि कैसे रोज ही तुम्हें और तुम्हारे साथियों को खतरों का सामना करना पड़ता है फिर भी तुम सब मिलकर उन परिस्थितियों में भी खुश रहते हो। और वो दिन हम कैसे भूल सकते हैं जब तुम्हें प्रमोशन मिला था कितना खुश थे तुम की इतनी जल्दी तुम्हें प्रमोशन मिल गया। दीपावली मैं जब तुम आए थे और मुझे ऑफिशियल प्रपोज किया था सब कितने खुश थे मेरा वह परिवार वह अनाथालय उसके सदस्य सब बहुत खुश थे मेरे लिए की एक अनाथ की जिंदगी में भी इतनी खुशियां आ सकती हैं कभी ।और दूसरे दिन ही मेरा पीसीएस का रिजल्ट आया था यह तोहफा था मेरा तुम्हारे लिए ।मैंने सच में टॉप किया था उस दिन तुम्हारी आंखों की नमी और चेहरे की मुस्कुराहट में मैंने जो खुशी देखी थी अपने लिए उस खुशी के लिए मैं बचपन से तरसती थी कि कोई हो जो मेरे लिए भी खुश हो वह मेरा और सिर्फ मेरा हो ।तुम्हारा वह पहली बार मुझे गले लगा कर माथे को चूमना वह एहसास अभी बाकी है माथे पर मेरे ।इतने साल साथ रहकर भी हमने अपनी हदें पार नहीं की थी भले ही परिवार पास नहीं थे हमारे हम दोनों के पर अपनी हदों में रहना हम दोनों ही जानते थे।

फिर तुम दूसरी बार जब वापस आए थे किसी काम की वजह से हां अनाथालय की मरम्मत के काम के सिलसिले में बस दो दिन ही रूक पाए थे। उस दिन जब तुम जा रहे थे पता नहीं मन कुछ बेचैन सा हो रहा था मेरा मेरी घबराहट को देखकर शायद तुम समझ गए थे कि मैं फिक्रमंद हो रही हूं ।पास आकर तुमने मुझसे कहा था" विल यू माय वैलेंटाइन " ‌ "ऐ सिमरन मुझसे शादी करोगी???" और मैंने शर्म से अपनी आंखें झुका कर हामी भर दी थी ।तुमने कहा था जिंदगी में अब कभी आंखों में आंसू नहीं आने देना ।कसम दी थी तुमने मुझे अपनी और मैंने मुस्कुराकर तुम्हारी बात मान ली थी उस दिन ।फिर वह 14 फरवरी की सुबह जिसने एक बार फिर मेरी जिंदगी को तबाह कर दिया। सब कुछ छीन लिया मुझसे। मेरी रूह मेरी खुशी मेरी हंसी मेरी दुनिया सब कुछ। उस दिन कुछ कायर आतंकवादियों की हरकतों की भेंट चढ़ गए थे तुम। कभी ना वापस आने के लिए छोड़ गए तुम । पर मैंने यह जीवन तुम्हें समर्पित किया है रोमी ।तुम्हारे सपनों को जो साथ देखे थे हमने पूरे कर रही हूं आज ।मैंने अपना पीसीएस मेंस क्लियर कर लिया और ज्वाइन भी कर चुकी हूं । किस्मत तो देखो मेरी उसी जगह जहां हम पहली बार मिले थे वहीं उसी कॉलेज में मुझे आज बुलाया गया है ।स्पीच देने के लिए पर सच कहूं मैं अधूरी हूं तुम्हारे बिना पर पूरी हूं मैं तुम्हारी यादों और सपनों के सहारे ।बस अब ये जिंदगी तुम्हारे सपनों को पूरा करने में बिताना है। ताकि फिर कोई रोमी अपने परिवार से न बिछड़े और न कोई सिमरन अपनों के प्यार को तरसे।बस अब यही सपना है मेरा कि उस अनाथालय के बच्चों को लायक बना पाऊं और वो आगे बढ़ पाएं कुछ कर पाएं इतना उनके लिए कर जाऊं।

                     तुम्हारी यादों और सपनों को समर्पित।

                              

                                    

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