STORYMIRROR

Prafulla Kumar Tripathi

Drama Tragedy Inspirational

2  

Prafulla Kumar Tripathi

Drama Tragedy Inspirational

सम्बन्ध, स्माग की चादर में ढंके !

सम्बन्ध, स्माग की चादर में ढंके !

4 mins
146

 नर्तकी कुमकुम पुड्डुचेरी  में धीरे - धीरे  अपने  मन और जीवन को संयमित करने की कोशिश में जुटी हुई थीं। प्रशांत उनके जीवन के दिवा स्वप्न थे और उनका अचानक और अप्रत्याशित रूप से जाना उनके लिए गहरे सदमे की बात थी। जब कोई अपना अज़ीज़  बिछड़ता  है तो परिजनों और रिश्तेदारों की सहानभूतियाँ दवा का काम करती हैं लेकिन वह ऐसा दुःख होता है जिसे आजीवन सहना और ढोना तो निकटस्थ को ही  पड़ता है ! वे डिप्रेशन की शिकार हो चली थीं। अभी नौकरी के दो- तीन साल शेष थे। 


उस दिन जाने क्या हुआ कि मिसेज कुमकुम जब सोकर उठीं तो उन्हें ऐसा लगा कि उनको सांस लेने में कुछ दिक्कतें हो रही है। जैसे तैसे वे घड़ी की सुइयों के दस बजने का इंतज़ार करने लगीं। ड्राइवर आ चुका था।  वे  तैयार होकर अपने  मनो चिकित्सक  के क्लिनिक  पहुँच गईं। वे तेजी से हांफ रही  थीं और ऐसा  लग रहा था मानो उन्हें दमा का अटैक पड़ गया हो ! पल भर को तो उनके डाक्टर भी घबरा गए। उन्होंने आक्सी पल्स मीटर से जांच किया तो पाया कि उनके शरीर को पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन मिल रही थी। उन्हें महसूस हुआ कि मिसेज कुमकुम अपने अकेलेपन और पुत्र के निदान से उपजे दुःख के कारण गहन मानसिक दबाव में हैं।

              दरअसल  डिप्रेशन  एक  डिसआर्डर  होता  है  जिसमें  उदासी की भावना किसी इंसान को हफ्तों या इससे अधिक दिनों तक घेरे रहती है। कभी कभी इंसान को अपना एनर्जी लेवल लगातार  घटता महसूस होने  लगता है और उसको लगता है कि वह ठीक तरह से सांस तक नहीं ले पा रहा है। चूंकि मिसेज कुमकुम पढ़ी लिखी महिला थीं और उनको अवसाद से जुड़े तथ्यों को बताना भी आवश्यक था इस लिए डाक्टर अग्रवाल ने उनको इस बीमारी के बारे में बहुत सारी जानकारियाँ देते हुए इससे बचाव के तरीके भी बताये। उन्होंने बताया कि शरीर में न्यूरो ट्रान्समीटर स्वाभाविक रूप से मस्तिष्क के रसायनों को आपके मस्तिष्क और शरीर के अन्य हिस्सों में ले जाते हैं। जब इन रसायनों से जुड़े तंत्रिका तंत्र ठीक से काम नहीं किया करते हैं तब तंत्रिका रिसेप्टर्स और तंत्रिका तन्त्र में परिवर्तन आने लगता है जिससे डिप्रेशन होता है। यदि इसे नियंत्रित नहीं किया जाता है तो यह आपके जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

             उन्होंने  आगे बताया कि वे फिलहाल संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी द्वारा उनका उपचार करेंगे और उन्हें उम्मीद है कि इसका परिणाम सकारात्मक होगा।डा.अग्रवाल ने कुछ दवाइयां लिखकर दीं। मैडम कुमकुम वहीं से अपने काम पर चली गईं।

            इस बार मिसेज कुमकुम में कुछ मानसिक और व्यवहारात्मक बदलाव भी देखने को मिल रहा था। उन्होंने प्रोफ़ेसर दवे से फोन पर बातचीत लगभग बंद ही कर दी थी। उनको ना जाने क्यों ऐसा लग रहा था कि प्रोफ़ेसर दवे की भूमिका भी उनके वर्तमान तनावपूर्ण जीवन के लिए कुछ कम नहीं है।  उनकी  डायरी  में लिखा यह संदेश उनकी मन:स्थिति को अच्छी तरह बयान कर रहा था,

" मैं अपनी चीख को जगा कर 

पूछना चाहती हूँ ....

कि, अभी और कितने दिन ,

इसी तरह अकेले तिल-तिल कर ,

गुमसुम रहकर ...

सदियों का संताप सहना है ...

सदियों का संताप सहना है ...? "

          लेकिन प्रोफ़ेसर दवे ?... उनको कुमकुम के न तो फोन न आने का सबब जानना था और न उनको अपने पुत्र के सामयिक और दुखद निधन से किसी तरह का गंभीर सदमा पहुँचने पाया था। इसका कारण उनके मन का मजबूत होना था और जीवन के सच को गहराई तक समझना था। वे दिल्ली , अपनी दिल्ली की कम्पनी को खूब इंज्वाय कर रहे थे। पेंशन पर्याप्त थी ही और पुराने यार दोस्त भी !  शराब और कबाब की महफ़िलें उनकी दिनचर्या बन चुकी थीं।

          दिल्ली की ऐसी ही एक शाम को रंगीन करने की हसरत लिए  वे मिसेज करीना के घर में मौजूद थे। मिसेज  करीना  उनकी एक्स गर्ल फ्रेंड थीं और युवावस्था में ही विधवा भी। निस्संतान और आगे पीछे किसी के ना होने के कारण वे भी जिम्मेदारियों से मुक्त हो चुकी थीं। उनका एक नर्सिंग होम था। खुले मन और विचारों की इन महिला पर उनका एक बहुत बड़ा एहसान भी था ..जिसे वे आज तक कैश भी कराते रहे थे। उस  घटना की कहानी असल में है तो बहुत ही रोमांचक और विस्तृत भी लेकिन उसे जानना भी जरूरी है , खास तौर से उस दौर में जब बासठ की उम्र में पहुँच चुके प्रोफेसर दवे और पैंतालिस के आसपास की मिसेज करीना तन और मन से बेहद करीब आ रहे हों।

         बात उन दिनों की है जब वे दोनों जे.एन.यू. में युवा छात्र छात्राओं के बीच पापुलर हुआ करते थे। उनकी यारी के किस्से सबकी जुबां पर हुआ करती थी। घटना जिस दिन की है उस दिन संयोग से देर रात तक चले किसी फंक्शन में करीना ने अपना डांस ख़त्म करके अकेले ही अपने घर के लिए निकल लिया था। प्रोफ़ेसर दवे उर्फ़ उनका के.के. जब तक उसको एस्कोर्ट करने के लिए हाल से बाहर आता उस अपने ने घर के लिए अकेले ही कूच कर दिया था। उन दिनों दिल्ली युवा लड़कियों के लिए बहुत सुरक्षित नहीं रह गया था। दुर्भाग्य से रास्ते में उनको कुछ गुंडों ने घेर लिया था और उनको स्कूटी से उतार कर उन्हें पास की झड़ी में बलात्कार और लूटपाट की नीयत से खिंच ले गए थे। तीन चार की संख्या में गुंडे उनके साथ जब जबरदस्ती करने की कोशिश में लगे थे कि पीछे से के.के. अपनी बाईक लेकर आ गए थे। सड़क पर लावारिस हालत में करीना की स्कूटी पड़ी देखकर ही के.के. का माथा ठनका था और वह अपनी बाईक की लाइटें फोकस करते झाड़ियों में जब घुसा तो उसे सारा दृश्य देख कर क्रोध जाग गया। उनका खून खौल गया और वे उन बदमाशों पर टूट पड़े थे। अस्त व्यस्त हालत में पड़ी करीना अपनी असहाय अवस्था में थी और अपने साथ हो रहे इस अप्रत्याशित चीर और शील हरण के लिए वे मानो उसके लिए महाभारत कालीन कृष्ण के समान थे क्योंकि उनकी अस्मत अब लुटने ही वाली थी। युवा और हट्ठे कट्ठे के.के. की बाडी लैंग्वेज और आक्रामक रूप देखकर बदमाश इधर उधर भाग निकले। करीना का बैग बदमाशों ने लूट लिया था ...तब तक पुलिस भी आ चुकी थी और आगे की औपचारिकताओं में जुट गई थी। के.के. ने अपनी शर्ट देकर निर्वस्त्र करीना की लाज बचाई थी।

        दिल्ली के आसमान में ही नहीं प्रोफेसर दवे और कुमकुम के सम्बन्धों पर भी स्माग की चादर ढंकती जा रही थी।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama