सलोनी
सलोनी
आज कहानी मेरी "सलोनी" की, एक बेहद भावुक और शर्मीली बच्ची। जब आंगन बाडी में थी तो ये सारा दिन झूलों पर होती या फिर मेरी कक्षा में खिड़की से ताका झांकी करती।
जब पहली में(मेरी अन्य कक्षाओं में से एक कक्षा) सलोनी आयी तो शुरू की पाली में जब तक कविता कहानी और खेल होते रहते वो कक्षा में रुकती मगर फिर उसे झूलों से दूर रख पाना मुश्किल होता। उसे कक्षा में ले कर आते तो वो डबडबायी आंखें लिए कक्षा में तो होती मगर खिड़कियों से आंगन बाडी के बच्चों को झूलों पर झूलते खेलते देखती रहती। इसलिये मैंने उसे इनटरवल के बाद खेलने के लिए मुक्त छोड़ देना उचित समझा।अब जब उसका मन करता वो कक्षा में आती और धीरे से कहती "मैंम जी मुझे भी काम दे दो।" में उस से पूछती की उसे कैसे काम चाहिए?, "रंग भरने वाला?! इस तरह से उसकी मर्जी से चल कर मैं कुछ हद तक उसे अक्षरों की पहचान और लिखना सिखा पाई।
एक दिन हिंदी भाषा मे एक गतिविधि कराई जिसमे दो समूह बनायेऔर प्रतियोगिता करवाई।अब तक सलोनी थोड़ा मुझसे बात करने लगी थी। इसलिये इस गतिविधि में सलोनी ने भी उत्साह से भाग लिया ।उसे लगा की वह ही जीतेगी मगर जब उसकी बारी आई तो जल्दी बाजी में उसने गड़बड़ कर दी और हार गयी। उफ्फ ! वो दिन सलोनी जो रोई तो उसे चुप कराने में नानी याद आ गयी।उसे पानी पिलाया ,टॉफ़ी दिलाई ,गोदी में उठा कर पुचकारा।जब वह कुछ थमी तो उसे कहा "सलोनी पता है !! कल तुम ही जितोगी !",
"कैसे ?" उसने बड़ी ही मासूमियत से कहा।" मुझे पता है सलोनी अगली बार जल्दी-जल्दी नही आराम से समझ कर करेगी। करेगी न !" उसने सर झुका दिया और आंसू पोछे और मुह में टॉफी डाल ली।
अगले दिन छुट्टी होने से आधे घंटे पहले वो मेरे पास आई" मैम जी ! गेम खेलना है।" सो सब बच्चों के साथ फिर खेल शुरू किया गया।सलोनी की बारी आई, उसके प्रतिद्वंदी जतिन ने जल्दी-जल्दी लिख दिया। सलोनी धीरे धीरे बोल कर लिख रही थी। बच्चों ने शोर मचा दिया " जतिन जीत गया मैंम जी।" सलोनी ने मेरी ओर देखा,"सलोनी पूरा करो" मैने कहा। सलोनी फिर लिखने लगी।बच्चे शोर मचाते रहे "सलोनी हार गई, सलोनी हार गई"। इधर जतिन उसे लिखते देख रहा था, उसने देखा कि उसने जल्दी में गलत कर दिया है। उसने फौरन डस्टर उठाया और मिटा कर फिर लिखने लगा।तब तक सलोनी ने सही-सही लिख दिया। "मैम जी ?" सलोनी ने मुझे देखा और पूछा ," बच्चों ने फिर तालियां बजानी शुरू कर दीं।"सलोनी जीत गयी ,सलोनी जीत गयी।"जतिन अपनी गलती पर मुस्कराता हुआ सर खुजा रहा था।
सालोनी की आंखों में देखा ,उसमे आंसू भर आये थे और चेहरे पर मुस्कान थी।वह मेरे पास आकर लिपट गयी।
"मैं जीत गयी मैम जी !"
"हाँ सलोनी तुम जीत गयीं।