सीता की अग्नि परीक्षा कब तक
सीता की अग्नि परीक्षा कब तक
प्रीति एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी।
उसके पति भी उसी कंपनी में अच्छी पोस्ट पर थे। पति और बच्चो का काम निपटा कर जल्दी जल्दी तैयार हो कर ऑफिस पहुँचती।
इस भाग दौड़ में उसे अपने खाने पीने का होश ही नही रहता। पति की तरफ देखती तो वो कंधे उचका कर कहते मैंने थोड़ी कहा है जॉब करो तुमसे नहीं हो रहा है तो छोड़ दो
प्रीति रुआँसी हो उठती कि इतनी अच्छी जॉब कैसे छोड़ दे। अच्छी पत्नी
अच्छी माँ अच्छी गृहणी बनने में उसका दम निकला जा रहा था।
पति सोमेश से कहती कि लौटते समय सब्ज़ी ही ले लिया करो तो वो जवाब देता मै ये सब फालतू के काम नही करता
उसी ऑफिस में रजत भी था जो रोज़ शाम को सब्ज़ी लेते हुए घर जाता था और उसका घर भी प्रीति के घर के पास ही था
उसने प्रीति से कहाँ चलो मुझे भी सब्ज़ी लेनी है चलो साथ मे ।। प्रीति उसके साथ बाजार चली गयी औऱ खूब सारी सब्ज़ियां ले कर घर पहुँची।
सोमेश की तो त्यौरी ही चढ़ गई रजत को देख कर। बाद में वो प्रीति से खूब लड़ा भी की क्यों उसके साथ गयी थी। प्रीति का भी मूड खराब हो गया है और वो सोचने पर मजबूर हो गयी कि क्यों सीता को ही हर बार अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है कभी कोई राम से अग्नि परीक्षा क्यों नही मांगता ।