सीरियल
सीरियल
मेरी अम्मी और खाला बहुत देर से अकेले बैठ कर कुछ गंभीर मसले पर बहस कर रही थी. तो मैंने सोचा चल कर देखा जाए आखिर मसल क्या हैं, जो इतनी देर से बहस हो रही हैं.
वो सिमरन का ही पति हैं बस उसकी शकल बदल गई हैं, तब मेरी समझ मैं आया तो ये था गंभीर मसला. जिसपर इतने देर से बहस हो रही थी. इसी तरह का एक और वाकया हैं.
मैं ऑटो से कही जा रही थी मेरी बगल मैं बैठी औरत किसी के बारे में बहुत लम्बी जिक्र कर रही थी. देखना उसकी शादी निमकी से होगी पर अनारो नहीं चाहती की ये शादी हो, पर शादी जरूर होगी. देखना तुम... मुझे ये बाते सुन कर हँसी आ गई.
टीवी सीरियल का हमारे निजी जिंदगी पर भी असर पडता हैं. अच्छे किरदार हमारे दिलों पर अच्छे छाप छोड़ते हैं. औरतें और लडकिया सीरियल के माध्यम से ड्रेस एअर्रिंग बँगल्स कॉपी करते हैं. सीरियल के समय मैंने अक्सर घरों मैं देखा हैं पूरी फॅमिली एक साथ सीरियल देखती हैं.
पर अफ़सोस की बात हैं सीरियल भी अब अश्लीलता की हदे पार कर रही हैं. सीरियल में एक नायिका की कितनी बार शादी दिखाई जाती हैं. ऐसा लगभग अब हर सीरियल में तो दिखाया ही जाता हैं. अपनों के खिलाफ साज़िश और फालतु चीज़े जिसकी कोई जरूरत ही नहीं रहती.
स्टोरी को इतना लम्बा खींचते हैं की बोरियत होने लगती हैं. सीरियल महिला और लड़कियों के जीवन पर भी छाप छोड़ता हैं. इसलिए ऐसा सीरियल बनाइये जिसको देख कुछ करने की प्रेरणा मिले.
जब किसी सीरियल में कोई नायिका मजबूत किरदार निभाती हैं तो उसको देख आम लड़की को भी हिम्मत मिलती हैं. हमें पता हैं की सीरियल की दुनिया काल्पनिक हैं, पर वो छाप वास्तविक मैं छोडती हैं. ये मेरी राय हैं बाकि का मुझे नहीं मालुम...