शिक्षक का योगदान
शिक्षक का योगदान
और बस्ट स्पीच का अवार्ड जाता है प्रतीक को '
पूरा स्कूल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजने लगा I डॉक्टर प्रतीक ने वीडियो वही रोक दिया,न जाने कितनी बार अपनी स्पीच के इस वीडियो को देखते I हर बार उनकी आंखें नम हो जाती I और हर बार अपने संजीव सर के प्रति नतमस्तक हो जाते I ये उन्ही की मेहनत और विश्वास का नतीजा था,जो वो इतने प्रभावी तरीके से स्पीच दे पा रहे थे I
अनायासा वह अपनी पुरानी स्कूल की यादों में खो गए I प्रतीक एक डरपोक,आत्मविश्वास की कमी से जूझता बच्चा, किसी के भी सामने वो पसीने से लथपथ हो जाता, और इसी डर के कारण उसको बोलने में घबराहट होने लगी,और वो हकलाने लगा I
कक्षा में बच्चे उसका मजाक बनाते I उसको हकला हकला कह चिढ़ाने लगे I धीरे-धीरे वह बिल्कुल चुप रहने लगा I सबसे कटा कटा रहने लगा I कोई भी उसका दोस्त नहीं था I
स्कूल में सांस्कृतिक गतिविधि के एक नये शिक्षक आये थे संजीव सर I उन्होंने एक भाषण प्रतियोगिता के लिए बच्चों के नाम मांगे I सब बच्चें बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे, पर प्रतीक चुपचाप पीछे की बेंच पर मानो सबसे छिप कर बैठा था I
जब संजीव सर की उस पर नजर पड़ी और पूछा,
'तुम क्यों नहीं ले रहे हिस्सा ',
सब बच्चें हॅसने लगे,
'सर ये तो हकला हैँ, इसको तो सही से बोलना ही नहीं आता, ये क्या भाषण देगा 'I
सर ने सब बच्चों को डांट कर चुप कराया और प्रतीक को अपने पास बुलाया I कितना डरा हुआ था वह उस दिन भी I पर सर ने अपने प्यार और अपनत्व से उसका डर दूर करा I उसको विश्वास दिलाया कि वह कुछ भी कर सकता है, उसके अंदर छिपे आत्मविश्वास को बढ़ाया I और आखिरकार उनकी मेहनत रंग लायी I आगे जाकर वो चुप रहने वाला प्रतीक एक सफल वक्ता बन गया I स्टेज पर चढ़ते ही शब्द अपने आप उसके मुंह से निकलते I
बस उसने ठान लिया वह एक बहुत बड़ा स्पीच थैरेपिस्ट बनेगा I क्यूंकि वो ऐसे लोगो की समस्या की जड़ को अच्छे से जानता था I आज वह अपने सर की बदौलत ही शहर का नंबर वन स्पीच थैरेपिस्ट हैँ I और ना जाने कितने ही बच्चों की समस्या को अपने प्यार और विश्वास से दूर करता हैँ I
सच अगर आज संजीव सर उसकी जिन्दगी में नहीं आते तो वह तो कब का अपने आप को इस दुनिया के डर से समेट चुका होता I
