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Risha Gupta

Children Stories Inspirational

4  

Risha Gupta

Children Stories Inspirational

यूनिफार्म

यूनिफार्म

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शहर के माने हुए विद्यालय में बच्चों के एटीट्यूड की वजह से ग्यारहवीं कक्षा में नया आया छात्र रोहित अवसाद में आ गया l हालत ये हो गए उसे स्कूल जाने से डर लगने लगा l वो खोया खोया रहने लगा l घर में भी किसी से बात नहीं करता l पढ़ाई में होशियार होते हुए भी पढ़ाई से जी चुराने लगा l उसके मम्मी पापा ने उससे हर तरीके से कारण पूछा l पर उसके पास कोई कारण ही नहीं होता l बस ये कहता,

"स्कूल में अच्छा नहीं लगता, बच्चे ऐटिटूड में रहते है, दोस्त नहीं बनाते l उनका रहन सहन, पहनावा सब अलग होता है l जिससे मुझ में हीन भावना आती है l मै खुद को उनसे कम आंकता हूँ ।"

उसके मम्मी पापा ने स्कूल जाकर उसकी क्लास टीचर और प्रिंसिपल से बात करी l पर प्रिंसिपल और टीचर्स सबका यही कहना था,

"स्कूल में सब बच्चे एक जैसी ड्रेस में आते हैं, यहां किसी से कोई भेदभाव नहीं होता l सब बच्चों के साथ एक सा व्यवहार किया जाता है l किसी को विशेष दर्जा नहीं दिया जाता l और फिर दूसरे बच्चे भी तो आते है,उन्हें तो कोई समस्या नहीं l हमें लगता है आपके बच्चे के साथ ही कोई समस्या है"l

सब रोहित का साथ छोड़ सकते थे पर उसके मम्मी पापा नहीं l आखिर जब समस्या का कोई हल नहीं निकला तो उसके मम्मी पापा उसे एक बहुत ही जानी मानी मनोवैज्ञानिक डॉक्टर सुकृति के पास लेकर गए l जब सुकृति ने रोहित से बात की तो उन्हें समस्या की असली जड़ पता करने में ज्यादा समय नहीं लगा l उन्होंने अगले दिन रोहित के स्कूल प्रिंसिपल से भी उनके क्लिनिक आने की प्रार्थना की l

अगले दिन प्रिंसिपल,रोहित और उसके मम्मी पापा सब डॉक्टर सुकृति के सामने बैठे थे l प्रिंसिपल सुकृति से बोली,

"देखिये मैं पहले भी रोहित के पेरेंट्स को कह चुकी हूँ हमारे स्कूल में यूनिफार्म है l सब बच्चे एक जैसे हैं l किसी से कही कोई भेदभाव नहीं होता।"

सुकृति ने प्रिंसिपल की बात सुन उनसे सवाल किया ,

"आपके स्कूल में बच्चे हाथ में घड़ी पहन कर आते हैं"?

प्रिंसिपल ने हां में गर्दन हिलाई l डॉक्टर का अगला सवाल था,

"उनकी घड़ी कौन सी होती है, स्मार्ट वॉचेस?"प्रिंसिपल ने फिर से हां में गर्दन हिलायी और हॅसते हुए कहा,

"आजकल ये घड़िया आम बात है l कोई बड़ी बात नहीं।"

डॉक्टर अपने दोनों हाथो को टेबल पर रखते हुए खुद को आगे की तरफ झुकाती हुई बोली,

"आपका कहना गलत है मैडम l क्योंकि हर बच्चा तो इतनी महंगी घड़ी कैरी नहीं कर सकता l फिर घड़ी ही क्यों आपके स्कूल में बच्चों के शूज महंगे ब्रांड्स के होते हैं, क्यूंकि आपने जूतों का एक नॉर्मल स्टैण्डर्ड निश्चिंत नहीं किया l इसीलिए बच्चे दिखावे के लिए एक से बढ़कर एक ब्रांड्स के शूज पहन कर आते हैं l स्कूल में बच्चे पढ़ाई की जगह लेटेस्ट ब्रांड्स और गाड़ियों की बातें करते हैं l और जो बच्चे इसे अफोर्ड नहीं कर पाते वह अवसाद में आ जाते हैं l एक सी यूनिफार्म कपड़ो में है.... पर बाकी जगह नहीं l बच्चे भले कपडे एक से पहनते है पर दूसरी कई जगह पर अपने स्टेटस का दिखावा करते है।"

रोहित के मम्मी पापा और प्रिंसिपल को सुकृति के बाते समझ नहीं आयी तो सुकृति अपनी बात और स्पष्ट तरीके से बताने लगी,

"एम एस धोनी पिक्चर देखी थी l याद है आपको धोनी की टीम मैच कब हारी थी जब उन्होंने युवराज को देख लिया था l युवराज का एटीट्यूड,उसकी बॉडी लैंग्वेज, उसका हाई स्टेटस देख कर ही वो लोग हीन भावना के शिकार हो गए और मैच खेलने से पहले ही वह हार मान गए l वो खेल से नहीं सिर्फ उस बन्दे से हारे थे l पहले ही खुद को उससे कमतर आंक लिया था l सुपर थर्टी पिक्चर में हिंदी मीडियम के बच्चे इंग्लिश मीडियम के बच्चों के आगे खुद को कम आंकने लगे और अपने आप ही उनसे होशियार होते भी उनके सामने घुटने टेक दिए।"

प्रिंसिपल, रोहित और उसके मम्मी पापा सब डॉक्टर को ध्यान से सुन रहे थे l डॉक्टर आगे बोली,

"ये छोटी छोटी बातें जो हमें दिखती नहीं है,कोई समस्या लगती ही नहीं पर यही बाते कब किसी बच्चे के मन में घर कर जाये पता नही चलता l और अगर बच्चा भावुक हो तो उसे ज्यादा फर्क पड़ता हैँ l यही सब रोहित के साथ हुआ l वो खुद को सबसे कम आंकने लगा और अवसाद में आ गया।"

सुकृति प्रिंसिपल से मुख़ातिब होती हुई बोली,

"प्रिंसिपल के रूप में ये आपका फर्ज है कि सब बच्चों को स्कूल में एक समान आने के लिए कहे, एक समान व्यवहार करने के लिए कहे l मैडम यूनिफार्म सिर्फ ड्रेस में ही नहीं व्यवहार में और हर चीज में लागू हो l इसके लिए समय समय पर बच्चों की कॉउंसलिंग हो l नये बच्चों को ऐसा वातावरण मिले की वो जल्दी सबसे घुल मिल जाये।"

फिर सुकृति रोहित से बोली,

"बेटा सबसे पहले दूसरों के बारे में सोचना बंद कर दो l लोग क्या कहेँगे, क्या सोचेंगे? ये सब तुम मत सोचो l तुम बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो l लोगो को उनके पहनावे और रहन सहन से नहीं उनकी मानसिकता से आंको।"

सुकृति की बात प्रिंसिपल को समझ आ गयी थी l उन्हें जो समस्या लग ही नहीं रही थी असल में वो बहुत गंभीर समस्या थी l अब उन्हें अपनी गलती का अहसास था l उन्होंने वादा किया कि अब उनके स्कूल में इन बातो पर ध्यान दिया जायेगा l वास्तव में कुछ समस्याएं जो सामान्य दिखती है पर इतनी गहरी होती हैं, उसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए l यूनिफार्म केवल कपड़ो में नहीं व्यवहार में भी होना चाहिए l

प्रिंसिपल ने सुकृति से इस शर्त पर विदा ली की उनके स्कूल के बच्चों की काउंसलिंग सुकृति करेंगी l रोहित अब ख़ुश था और उसके मम्मी पापा इस उम्मीद पर थे की शायद अब चीजें जल्दी सही हो जाये l



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