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Risha Gupta

Others

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Risha Gupta

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कॉलेज होस्टल वाला मानसून

कॉलेज होस्टल वाला मानसून

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"नहीं पापा, मैं नहीं जाऊंगी आपको छोड़कर, कैसे रह पाओगे आप मेरे बिना, मेरे पीछे से आपका कौन ध्यान रखेगा?"


" नहीं बेटा, तुझे तेरी मां का सपना पूरा करना है, तुझे जाना ही होगा, वो अपने अधूरे सपने तेरे पास छोड़ कर गई हैं, तुझे उनके लिए जाना ही होगा"!


आखिर मुनमुन को दिल पर पत्थर रखकर दूसरे शहर आगे की पढ़ाई के लिए आना ही पड़ा!


उफ्फ कितना कठिन समय था वो,  जब पापा उसको ट्रेन में बिठाने आए थे, ऊपर से ऐसे दिखा रहे जैसे बहुत खुश हैं, उन्हें कोई दुख नहीं है, पर उनकी चिंता उन की हिदायतो में साफ दिख रही थी, 


"ट्रेन में अपने सामान का ध्यान रखना, सब सामान रख तो लिया, कुछ भूली तो नहीं, आस पास नजर दौड़ा रहे, लोग कैसे बैठे हैं, पहली बार अकेले सफर करगी, दूसरे शहर में अकेली कैसे रह पाएगी, थोड़ा ध्यान रखना, अच्छे लोगो से दोस्ती करना, फोन पर खबर करती रहना"!


पता नहीं कितनी हिदायते, पर ये हिदायते नहीं, उसके पापा की चिंता थी उसके लिए, और वह भी कौन सी कम थी!


" पापा समय से खाना खा लेना, दवाई समय से लेना, अपना ध्यान रखना, आप को मेरी कसम है "!


और जैसे ही ट्रेन का सायरन बजा,  इधर ट्रेन स्टेशन छोड़ रही, उधर पापा अपना सब्र, छुपाते छुपाते भी उनकी आंखों के कोने पर आंसू छलक ही आये ! भले दोनों एक दूसरे से दूर जा रहे, पर दिल एक दूसरे के पास ही अटका था !


हॉस्टल आकर दिन में दोनों दस बार एक दूसरे से बात करते थे, मुनमुन का तो मन ही नहीं लगता था यहां, हमेशा अपने पापा की फिकर रहती, कैसे   होंगे, अपना ध्यान रख पाएंगे या नहीं, वहां पर कौन है उनके पास जो उनका ध्यान रखेगा ! 


आज उसके पापा का जन्मदिन था, उसने सुबह ही पापा को विश किया, और कसम दी कि आज कुछ अच्छा खाओगे, उसको लग रहा था की वो उड़ कर अपने पापा के पास पहुंच जाये !


वो अपने कमरे की खिड़की से बाहर देख रही थी, काले बादल आसमान में घिर आए थे,  आज फिर वह 5 साल पुरानी यादों में चली गई, कुछ 13 साल की होगी जब उसकी मम्मी उन दोनों को छोड़कर चली गई, 10 साल किडनी की बीमारी से जूझी,  आखिर में इस बीमारी से हार गई, जाते समय उसकी मम्मी ने कितना कुछ कहा था उसे, 


" खूब पढ़ना है, पापा का और खुद का ध्यान रखना है, और हमेशा खुश रहना है, हमेशा सही दिशा में जाना है"!


13 साल की उम्र कोई ज्यादा नहीं होती, पर वो समय से पहले बड़ी हो गई !


जब उसकी मम्मी उनको छोड कर चली गई, उसके पापा ने उससे कोई घंटे भर बात करी, उन पलों में सब कुछ बता दिया की बस अब तू और मैं, यही छोटी सी दुनिया हैँ हमारी, हमें अच्छे से जीना है, हमारी ज़िंदगी को खूबसूरत बनानी है, मम्मी के हर सपने को पूरा करना है !


याद है उसको, रिश्तेदारों ने कितना दबाव डाला था उसके पापा को दूसरी शादी के लिए, पर उन्होंने साफ मना कर दिया, 


" मेरे लिए बस मैं और मेरी बेटी", 


सब ने बहुत कहा, जब ये चली जाएगी, तो क्या करेगा, पर वह टस से मस नहीं हुए !

उसने देखा था अपने पापा को अकेले में रोते हुए, भले ही उसके सामने बहुत हिम्मत दिखाते, पर वो जानती थी अंदर से कितने  कमजोर थे, मुनमुन भी ऐसी ही थी,  पापा के सामने जैसे हिम्मत वाली बनती , पर अकेले में खूब रोती !


अब वो अपने पापा की माँ भी बन गई थी, उनकी छोटी से छोटी हर चीज का ध्यान रखती, अब बस उसका एक ही लक्ष्य, अपनी मम्मी का सपना हर हाल में पूरा करना है, दिन रात एक कर दिया उसने, हमेशा स्कूल में टॉप किया, हर एग्जाम से पहले मम्मी की फोटो के आगे हाथ जोड़ती !


आज सारी पुरानी बाते उसकी आंखों के आगे आ रही हैँ, आज वो खुद को बहुत अकेला महसूस कर रही हैँ, पापा की बहुत याद आ रही हैँ, तभी बादलों की गड़गड़ाहट से उसकी तन्द्रा टूटी,   बाहर बारिश हो रही थी, उसने देखा बच्चे बारिश में भीग रहे हैं, मस्ती कर रहे हैं, उसकी रूममेट उसको जबरदस्ती बाहर ले जाने के लिए आई, उसका मन नहीं था, पर उसने उसकी एक नहीं सुनी !


इधर आसमान से बारिश हो रही थी, उधर उसकी आंखों से आंसुओं की बारिश, पर बारिश में किसी को उसकी आंखों की बारिश नहीं दिखी, अच्छा ही है, वह भी खूब रो लेना चाहती थी, अपना दिल थोड़ा सा हल्का करना चाहती थी !


पर क्या इतनी सी बारिश से उसके जीवन का सूखा कभी खत्म हो पायेगा, शायद कभी नहीं !



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