शिक्षा का महत्व
शिक्षा का महत्व
काममंजीत का जन्म पंजाब में हुआ था एक सिख परिवार से था।
उसके दादा अंग्रेज़ों के ज़माने में एक मशहूर डॉक्टर थे उसके पिता की दादा जी से नहीं बनती थी क्योंकि उसने एक विधवा औरत से उनकी इज़ाज़त के बिना शादी की थी। मंजीत के पिता अंग्रेज़ हुकूमत के दौरान पुलिस में थे और उन्होंने अंगेज़ों के हिन्दुस्तानियों पर जुल्म देखकर छोड़ दी थी और एक वकील के पास नौकरी करने लगें।
दिन गुजरते रहे और देश आज़ाद हुआ। पिता और दादा ने बहुत पढ़ाई की थी मनजीत और उसके भाई बहन पढ़ाई नहीं कर पाए।
मनजीत ने बड़े होकर पुलिस कि नौकरी जॉइन कर ली और ड्यूटी के चक्कर में जगह जगह तबादला होने लगा।
एक बार एक घर पर वो अपने अफसर के साथ रेड ढालने गया उस घर में शराब बनती थी। ऑफ़िसर ने उसको कहा अंदर के कमरों में तलाशी लेने को।
मनजीत जैसे ही आगे बढ़ा एक औरत ने अपनी सास के कहने पर उसे रोकने के लिए गले लगा लिया और छोड़ने का नाम ही नही लिया। बहुत मुश्किल से उसने पीछा छुड़ाया पर तब तक सास शराब गटर में बहा चुकी थी। मनजीत को बहुत डांट खानी पड़ी। उसने गुस्से में आकर वो नौकरी छोड़ दी और काम की तलाश में दिल्ली आ गया और अपने परिवार को भी ले आया। उसे दूसरे शहर आकर पढ़ाई की अहमियत का एहसास हुआ। उसने प्रण किया कि वो अपने पिता और दादा की ही तरह अपने बच्चो को उच्च शिक्षा दिलायेगा।
