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Vimla Jain

Inspirational

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Vimla Jain

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शगुन अपशगुन में झूलती मानसिकता

शगुन अपशगुन में झूलती मानसिकता

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हम हम इंसानों की जिंदगी में शगुन अपशगुन अंधविश्वास बहुत घर कर जाते हैं।जिनको दिमाग से निकालना बहुत मुश्किल होता है।मगर हम इतने पढ़े लिखे हो कर इसलिए प्रगतिवादी होकर अगर अंधविश्वासों को मानेंगे तो कैसे चलेगा।जैसे बिल्ली रास्ता काट गई तोलोग उस रास्ते को छोड़ देते हैं।जिस काम के लिए जाते हैं उस काम को जाना बंद कर देते हैं सब गलत है ।मैं कोई भी अंधविश्वास नहीं मानती हूं।


 रमेश और दिनेश दोनों बहुत पक्के मित्र थे। दोनों ने साथ में पढ़ाई करी। और साथ ही नौकरी का इंटरव्यू देने के लिए जा रहे थे । दोनों की परवरिश में रात दिन का फर्क था। दिनेश के घर में बात बात पर अंधविश्वास शकुन अपशकुन चलता था।बचपन से यह सब देख कर कि उसके दिमाग पर भी यह सब हावी हो गया था। जबकि सुरेश के घर एकदम बिंदास कोई शगुन अपशगुन में नहीं मानते थे। घर से निकलना।

साथ निकले दोनों मिले दिनेश बोला "मैं भगवान के दर्शन करके आया, मैंने मन्नत मांगी है कि मुझे नौकरी मिल जाए। घर से निकलते हुए शुभ शकुन हुए दही शक्कर खा कर आया हूं । मां नेआशीर्वाद दिया है सही चौघड़िया देखा है। आज तो नौकरी मुझे मिल ही जाएगी।"

सुरेश ने बोला "मैं तो मां ने ऑल द बेस्ट बोला और आ गया हूं।" देखते हैं मन में विश्वास है कि नौकरी तो मिलेगी। क्योंकि हमारा, इतने में एक काली बिल्ली दौड़ती हुई रास्ता काट कर चली गई । उसको देखते ही दिनेश का तो एकदम मुंह डर से सफेद पड़ गया। अब क्या होगा यह तो बहुत बड़ा अप सुगन हो गया हो गया। मेरी मां कहती है बिल्ली रास्ता काट जाती है तो कुछ भी अच्छा नहीं होता। मैं तो वापस घर जा रहा हूं । मुझे तो इंटरव्यू नहीं देना। मगर सुरेश उसको समझाता है , देख ऐसा कुछ नहीं होता। बिल्ली ने रास्ता काटा है तो क्या हुआ । वापस घर जाएगा तो उससे अच्छा है कि चल वैसे ही इंटरव्यू में सिलेक्शन नहीं होना है, तो क्यों ना इंटरव्यू देकर के नहीं हो ।

आज तू मेरे कहने पर मेरे साथ चल। और उसे जबरदस्ती और रास्ते भर समझाते हुए कि तू दिमाग से निकाल दे और पूरा कॉन्फिडेंस रख यह निकाल दे कि बिल्ली ने रास्ता काटा है अपशकुन हो गया है। और तू अपना ध्यान इंटरव्यू पर लगा । और ऐसे करते करते दोनों इंटरव्यू की जगह पहुंच जाते हैं ।

दोनों ही अपना इंटरव्यू देते हैं।इंटरव्यू लेते ही उनके जो इंटरव्यू ले रहे होते हैं ऑफिसर बहुत खुश होते हैं , और दोनों को ही नियुक्ति पत्र हाथ में दे देते हैं। कहते हैं कि तुम कल से जॉइन कर लो । दोनों पहले तो अंदर खुश होकर के उनको धन्यवाद करते हैं। और बाहर आकर दोनों एक दूसरे के गले लग जाते हैं । और दिनेश हाथ जोड़ करके और बार-बार में सुरेश से गले लगता है। और धन्यवाद बोलता है। और बोलता है तेरे कारण मुझे नौकरी मिली। अब मैं मानता हूं कि यह अंधविश्वास कुछ नहीं होता है । बिल्ली अपने रास्ते जा रही थी हम अपने रास्ते जा रहे थे तो कौन सा अपशकुन और कौन सा अंधविश्वास । आगे से अब मैं यह सब नहीं मानूंगा । तो देखा आपने अंधविश्वास करना और नहीं करना यह सब हमारी सोच पर निर्भर करता है। ऐसा कुछ होता नहीं है ।

लोग बात बात बात पर टच वुड टच वुड करते रहते हैं ।कभी भगवान की कसम खाएंगे ।

कभी कुछ कभी कुछ कांच टूट गया तो अपशकुन हो गया। छींक आ गई तो अपशकुन हो गया । पता नहीं अपशकुन कहां से आ गया है । कहीं तो नजर लग गई ,काला टीका लगाएंगे। मेरे को याद नहीं आता कि मैंने मेरी जिंदगी में कभी किसी छोटे बच्चे की नजर उतारी हो। काला टीका लगाया हो । कोई धागे बांधे हो या कोई शकुन अपशकुन देखा हो वैसे । यह अपनी अपनी सोच । क्यों सही है ना सब स्वतंत्र हैं अपनी सोच के लिए । मगर 21वीं सदी में हमको यह ढकोसला बाजी बंद करनी चाहिए ऐसा मेरा मानना है।



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