Charumati Ramdas

Horror Fantasy

3  

Charumati Ramdas

Horror Fantasy

शैतानियत - 5

शैतानियत - 5

9 mins
230


5.शैतान की चाल

 लेखक: मिखाइल बुल्गाकव

अनुवाद: आ. चारुमति रामदास  

 

करत्कोव की किस्मत अच्छी थी. एक ट्राम उसी पल “अल्पिस्काया रोज़ा” के सामने आई. सफलतापूर्वक उछल कर करत्कोव आगे की ओर बढ़ रहा था, कभी ब्रेक-व्हील से टकराता, कभी पीठों पर लटकी बैग्स से. उम्मीद का दिया उसके दिल में जल रहा था. मोटर साईकल को न जाने क्यों देर हो रही थी और अब वह ट्राम के सामने खड़खडा रही थी, और करत्कोव नीले धुएँ के बादल में कभी चौकोर पीठ को खो देता, तो कभी फिर से देखने लगता. करीब पाँच मिनट करत्कोव ट्राम के तख्ते पर कुचला जाता रहा, धक्के खाता रहा, आखिरकार ‘सपसेंट’ की भूरी बिल्डिंग के सामने मोटरसाइकल रुक गई. चौकोर जिस्म आने-जाने वालों से ढँक गया और गायब हो गया. करत्कोव चलती ट्राम से छिटक गया, गोल घूम कर गिर गया, घुटना चोट खा बैठा, उसने टोपी उठाई और कार की नाक के नीचे से लॉबी की ओर लपका 

फर्शों को गीले धब्बों से ढांकते हुए दर्जनों लोग करत्कोव की तरफ आ रहे थे या उसके आगे निकल रहे थे.

 सीढ़ियों के दूसरे मोड़ पर चौकोर पीठ की झलक दिखाई दी, और, हांफते हुए,   वह उसके पीछे लपका. कल्सोनेर अजीब, अप्राकृतिक वेग से चढ़ रहा था, और करत्कोव का दिल इस ख़याल से डूब रहा था कि वह उसे खो देगा. और हुआ भी ऐसा ही.

पांचवीं लैंडिंग पर, जब क्लर्क पूरी तरह पस्त हो गया, तो पीठ आकृतियों की, टोपियों की और ब्रीफकेसों की भीड़ में पिघल गई. करत्कोव बिजली के समान लैंडिंग पर उड़ा और एक दरवाज़े के सामने पल भर को हिचकिचाया, जिस पर दो इबारतें लिखी हुई थीं. पहली हरे पर सुनहरे अक्षरों में कठोर चिह्न के साथ:   

“डॉर्मेटरी ऑफ ट्रेनी गर्ल्स” 

दूसरी थी सफ़ेद पर काले अक्षरों में बिना कठोर चिह्न के:

डाइऑफ़एड्मेत्सप. (डाइरेक्टर ऑफ़ ऑफिस एड्मिनिस्ट्रेशन ऑफ़ मैटर्स ऑफ़ सप्लाय – अनु.) 

करत्कोव अंदाज़ से इन दरवाजों की ओर लपका और उसने कांच के भारी-भरकम पिंजरे और कई भूरे बालों वाली औरतों को देखा जो इनके बीच में भाग रही थीं. करत्कोव ने पहला कांच का पार्टीशन खोला और उसके पीछे नीले सूट में किसी आदमी को देखा. वह मेज़ पर लेटा था और टेलीफोन में खुशी से हँस रहा था. दूसरे सेक्शन में मेज़ पर शोलेर-मिखाइलोव की रचनाओं का पूरा संग्रह था, और संग्रह के पास स्कार्फ वाली एक अनजान, अधेड़ उम्र की महिला तराजू पर सूखी, बदबूदार मछली तौल रही थी. तीसरे में लगातार खटखटाहट भरे शोर और घंटियों का राज था – वहाँ छः टाइपराईटर्स पर छः गोरी, छोटे-छोटे दांतों वाली लड़कियां टाइप कर रही थीं और हँस रही थीं. और आख़िरी पार्टीशन के पीछे एक बड़ी खाली जगह थी, जिसमें फूले हुए स्तम्भ थे. चारों ओर टाइपराईटर्स की असहनीय खडखडाहट थी, और लोगों के सिर ही सिर दिखाई दे रहे थे – औरतों के और आदमियों के, मगर कल्सोनेर का सिर उनमें नहीं था. बौखलाकर और चकरघिन्नी की तरह घूम कर करत्कोव ने पहले जो दिखी, उस औरत को रोका, जो हाथों में आईना लिए भाग रही थी.

“आपने कल्सोनेर को तो नहीं देखा?

करत्कोव का दिल खुशी के मारे जैसे धम्म से गिर गया, जब औरत ने बड़ी-बड़ी आंखें करके जवाब दिया:

“हाँ. मगर वह अभी जा रहा है. पकड़िये उसे.”

करत्कोव स्तंभों वाले हॉल से होते हुए उस तरफ भागा, जिस तरफ चमकदार लाल नाखूनों वाले छोटे से हाथ ने इशारा किया था. हॉल को फांदकर वह एक संकरे, अंधेरे प्लेटफार्म पर पहुँचा और उसने लिफ्ट के खुले, प्रकाशमान जबड़े को देखा. दिल पैरों तक खिसक गया, - पकड़ लिया...जबड़े ने चौकोर, कम्बल वाली पीठ और काली, चमकदार ब्रीफकेस को भीतर ले लिया था.

“कॉम्रेड कल्सोनेर,” करत्कोव चीखा और जम गया. प्लेटफार्म पर कई सारे हरे-हरे गोले उछल रहे थे. जाली ने कांच के दरवाज़े को बंद कर दिया, लिफ्ट चल पडी, और चौकोर पीठ मुडी, और मुड कर विशाल सीने में बदल गई. सब कुछ, सब कुछ पहचान लिया करत्कोव ने : भूरी जैकेट भी, और कैप भी, और ब्रीफकेस भी, और आंखों की चमक. ये कल्सोनेर था, मगर सीने पर लहराती असीरियन-उलझी हुई दाढी वाला कल्सोनेर. करत्कोव के दिमाग में फ़ौरन एक ख़याल आया : “दाढी ऊग आई, जब वह मोटरसाइकल पर जा रहा था और सीढियां चढ़ रहा था, - ये क्या है, आँ?” और फिर दूसरा ख़याल आया : दाढी नकली है, - ये क्या बात हुई?

और इस बीच कल्सोनेर जाली वाली खाई में समाता जा रहा था.

पहले छिपे उसके पैर, फिर पेट, दाढी, आखिर में आंखें और मुँह, जो मीठी, कोमल आवाज़ में कह रहा था:

“देर हो गई है, कॉम्रेड, शुक्रवार को.”

“आवाज़ भी दबी-दबी है”, करत्कोव की खोपड़ी में हथौड़े चलने लगे.

करीब तीन सेकण्ड सिर दर्द से जलता रहा, मगर फिर, यह याद करके, कि किसी भी तरह का जादू उसे नहीं रोक सकता, कि रुकने का मतलब है – मौत, करत्कोव लिफ्ट की तरफ बढ़ा.

जाली में रस्सी से ऊपर आती हुई छत दिखाई दी. बालों में चमकीले मोती टाँके, एक सुस्त सुन्दरी पाईप के पीछे से बाहर आई और हौले से करत्कोव के हाथों को छूते हुए बोली:“कॉम्रेड, क्या आपके दिल में तकलीफ है?”

“नहीं, ओह नहीं, कॉम्रेड,” स्तब्ध करत्कोव ने कहा और जाली की तरफ बढ़ा, “मुझे मत रोकिये.”

“तब, कॉम्रेड, आप इवान फिनागेनविच के पास जाइए,” सुन्दरी ने लिफ्ट की ओर जाते हुए करत्कोव का रास्ता रोकते हुए अफसोस से कहा.

“मैं नहीं चाहता!” करत्कोव रोतली आवाज़ में चीखा, “कॉम्रेड! मैं जल्दी में हूँ. आप क्या कर रही हैं?

मगर महिला टस से मस नहीं हुई और दुखी ही रही.

“कुछ नहीं कर सकती, आप खुद ही जानते हैं,” उसने कहा और हाथ से करत्कोव को रोक लिया. लिफ्ट रूकी, उसने ब्रीफकेस लिए एक आदमी को बाहर थूका, जाली से बंद हो गई और फिर से नीचे चली गई.

“मुझे छोडिये!” करत्कोव चिंघाड़ा और, हाथ छुड़ाकर, गालियाँ देते हुए सीढ़ियों से नीचे लपका. संगमरमर के छः मोड़ तेज़ी से पार करके और टोपी पहनी, सलीब बनाती ऊँची बुढ़िया को करीब-करीब मार ही डालते हुए वह नीचे एक नई कांच की दीवार के पास आया जिस पर नीली पृष्ठभूमि पर चमचमाते हुए अक्षरों में लिखा था:

“क्लास लेडीज़ ऑन ड्यूटी” 

और नीचे पेन से कागज़ पर लिखा था:

 

“पूछताछ.” 


करत्कोव को खतरनाक खौफ़ ने जकड़ लिया. दीवार के पीछे से साफ़-साफ़ कल्सोनेर की झलक दिखाई दे रही थी.

कल्सोनेर – सफाचट दाढी वाला, पहले वाला और खौफनाक. वह करत्कोव के बिलकुल पास से गुज़रा, सिर्फ कांच की पतली दीवार ही उसे करत्कोव से अलग कर रही थी.

कुछ भी न सोचने की कोशिश करते हुए करत्कोव चमचमाते ताँबे के हैंडल की ओर झुका और उसे झकझोरा, मगर वह घूमा ही नहीं.

 

दांत किटकिटाते हुए उसने फिर से चमचमाते ताँबे को खींचा और तभी बदहवासी में छोटे-छोटे अक्षरों में लिखी हुई इबारत देखी:

“घूमकर, छठे प्रवेशद्वार से”.


कल्सोनेर की झलक दिखाई दी और वह कांच के पीछे अँधेरे कोने में गायब हो गया.

“छठा कहाँ है? छठा प्रवेश द्वार कहाँ है?” उसने कमजोर आवाज़ में चीख कर किसी से पूछा. आने जाने वाले उससे किनारा कर गए. बगल वाला छोटा सा दरवाज़ा खुला और उसमें से चमकदार काले कपडे पहने, नीला चश्मा लगाए हाथों में लम्बी-चौड़ी लिस्ट लिए एक बूढा प्रकट हुआ. चश्मे के ऊपर से करत्कोव की ओर देखकर वह होंठ चबाते हुए मुस्कुराया.

“क्या अभी तक घूम ही रहे हो?” वह बुदबुदाया, “या खुदा, बेकार ही. आप मेरी, बूढ़े की,बात मानिए, छोडिये. वैसे भी मैंने आपका नाम काट दिया है. ही-ही.”

“कहां से काट दिया?” करत्कोव बुत बन गया.

“ही-ही! ज़ाहिर है कहाँ से, लिस्टों से. पेन्सिल से – चिर्र, और बस – ही-खी.” बूढा मज़ा लेते हुए हँसने लगा.

“मा...माफ़...कीजिए...आप मुझे कैसे जानते हैं?

“ही-ही . आप जोकर हैं, वसीली पाव्लविच.”

“मैं – वर्फलमेय,” करत्कोव ने कहा और हाथ से अपना ठंडा और चिकना माथा छुआ, “पित्रोविच.”

एक मिनट के लिए भयानक बूढ़े के चहरे से मुस्कराहट गायब हो गई.

उसने लिस्ट पर आंखें गड़ा दीं और लम्बे नाखून वाली सूखी उंगली लाइनों पर फेरने लगा.

“आप मुझे क्यों उलझन में डाल रहे हैं? ये रहा वो – कलब्कोव, वे. पे.”

“मैं - करत्कोव हूँ,” करत्कोव आराम से चिल्लाया.

“मैं यही तो कह रहा हूँ : कलब्कोव,” बूढ़ा बुरा मान गया. “और ये रहा कल्सोनेर. दोनों का एक साथ ही तबादला किया गया है, और कल्सोनेर की जगह पर भेजा गया है – चिकूशिन.”

“क्या?” सब कुछ भूलकर करत्कोव खुशी से चीखा. “कल्सोनेर को भगा दिया?

“बिलकुल ठीक. सिर्फ एक ही दिन मुश्किल से काम कर पाया, और उसे भगा दिया गया.”

“गॉड!” करत्कोव खुशी से चहका, “मैं बच गया! मैं बच गया!” और उसने बेतहाशा बूढ़े का हडीला, लम्बे नाखूनों वाला हाथ पकड़ लिया. वह मुस्कुराया. पल भर के लिए करत्कोव की खुशी बुझ गई. बूढ़े की आंखों के नीले छेदों में कुछ अजीब-सा, डरावना-सा झाँक गया. नीले-से मसूड़ों को दिखाती हुई उसकी मुस्कुराहट भी विचित्र प्रतीत हुई. मगर करत्कोव ने फौरन अप्रिय विचार को अपने मन से भगा दिया और उत्तेजित हो गया.

“ मतलब, मुझे ‘मासा में भागना चाहिए?

“बेशक,” बूढ़े ने उसकी बात की पुष्टि की, “यहाँ भी लिखा है - ‘मासा में.

सिर्फ अपनी ‘सर्विस बुक दीजिये, मैं उसमें पेन्सिल से ‘नोट’ लिख देता हूँ.”

करत्कोव ने फ़ौरन जेब में हाथ डाला, उसका चेहरा फ़क हो गया, दूसरी जेब में भी हाथ डाला, और ज़्यादा पीला पड गया, पतलून की जेबों को थपथपाया और घुटी-घुटी चीख के साथ अपने पैरों के नीचे देखता हुआ वापस सीढ़ियों पर भागा. लोगों से टकराते हुए, बदहवास करत्कोव सबसे ऊपर पहुँच गया, वह मोतियों वाली सुन्दरी से मिलना चाहता था, उससे कुछ पूछना चाहता था, और उसने देखा कि सुन्दरी एक घिनौने, दुष्ट बालक में बदल गई है.

“प्यारे!” करत्कोव उसकी ओर लपका, “मेरी ‘बुक, पीली...”

“ये गलत है,” बालक ने दुष्टता से जवाब दिया, “मैंने नहीं ली, झूठ बोल रहे हैं.”

 

“अरे नहीं, प्यारे, मैं ये नहीं...तुमने नहीं...डॉक्युमेन्ट्स.”

बच्चे ने कनखियों से देखा और अचानक मोटी आवाज़ में बिसूरने लगा.

“आह, गॉड!” करत्कोव बदहवासी से चीखा और नीचे बूढ़े की ओर लपका.

मगर जब वह भागते हुए वहाँ पहुँचा, तो बूढ़ा नहीं था . वह गायब हो चुका था. करत्कोव छोटे दरवाज़े की ओर लपका और उसने हैंडल खींचा. दरवाज़ा बंद था. आधे अँधेरे में कुछ गंधक की बू आ रही थी.

करत्कोव के दिमाग में विचार बवंडर की तरह घूम रहे थे, और एक नया ख़याल उछल कर बाहर आया:

“ट्राम!” उसने सब कुछ साफ-साफ़ याद आया कि कैसे ट्राम के चौखटे पर उसे दो नौजवान दबा रहे थे, उनमें से एक दुबला-पतला था, काली मूंछों वाला, जो चिपकाई हुई लग रही थीं.

“आह, मुसीबत, मुसीबत आ गई है,” करत्कोव बुदबुदाया, “ये सारी मुसीबतों की मुसीबत है.”

वह बाहर रास्ते पर भागा, भागते हुए उसके छोर तक गया, गली में मुडा और उसने अपने आप को एक अप्रिय वास्तुकला की छोटी बिल्डिंग के सामने पाया.

एक भूरे, भेंगे और उदास आदमी ने, करत्कोव की ओर नहीं, बल्कि किनारे पर कहीं और देखते हुए पूछा:

“ये तू कहाँ घुसा चला आ रहा है?

“मैं, कॉम्रेड, करत्कोव हूँ, वी. पी, जिसके अभी-अभी डॉक्यूमेंट्स चोरी हो गए हैं...सारे के सारे...मुझे गिरफ्तार कर सकते हैं...”

“और बड़ी आसानी से,” पोर्च में खड़े आदमी ने पुष्टि की.

“तो, मेहेरबानी करके...”

“खुद करत्कोव को आना चाहिए...”

“मैं ही तो, कॉम्रेड, करत्कोव हूँ.”

“प्रमाणपत्र दो.”

“प्रमाण पत्र चोरी हो गया है, अभी अभी,” करत्कोव कराहने लगा, “चुरा लिया है, कॉम्रेड, मूंछों वाले नौजवान ने.” 

“मूंछों वाले? ये, हो सकता है, कलब्कोव हो. बेशक वही. वह हमारे भाग में ख़ास तौर से काम करता है. इस समय तुम उसे चायखाने में ढूंढो.”

“कॉम्रेड मैं नहीं ढूंढ सकता,” करत्कोव रो पडा, “मझे ‘मासा जाना है, कल्सोनेर के पास. मुझे छोडिये.”

“सुबूत दो, कि चोरी हो गए हैं.”

“किससे?

“बिल्डिंग इंचार्ज से.”

करत्कोव पोर्च से निकलकर रास्ते पर भागने लगा.

‘मासा’ जाऊँ, या बिल्डिंग इन्चार्ज के पास?” उसने सोचा. “बिल्डिंग इन्चार्ज सुबह से लोगों से मिलता है; हो सकता है ‘मासा में.”

इसी समय घड़ी ने दूर लाल टॉवर पर चार घंटे बजाये, और फ़ौरन सारे दरवाजों से लोग ब्रीफ केसेस लिए भागने लगे. अन्धेरा होने लगा, और आसमान से बिरली गीली बर्फ गिरने लगी.

 ‘देर हो गई है,’ करत्कोव ने सोचा, ‘घर जाना चाहिए.’


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