Charumati Ramdas

Horror Fantasy

3  

Charumati Ramdas

Horror Fantasy

शैतानियत - 3

शैतानियत - 3

6 mins
218


3.गंजा प्रकट हुआ

                                                                         लेखक: मिखाइल बुल्गाकव 

                                                                           अनुवाद: आ, चारुमति रामदास

 अगली सुबह करत्कोव ने, पट्टी सरका कर, ये इत्मीनान कर लिया कि उसकी आंख करीब-करीब ठीक हो गई है. फिर भी अति सतर्क करत्कोव ने फिलहाल बैंडेज न हटाने का फैसला किया.

काम पर काफी देर से आने के बाद, चालाक करत्कोव, निचले कर्मचारियों को कोई गलत निष्कर्ष निकालने पर उत्साहित न करने के उद्देश्य से सीधे अपने कमरे में गया और उसने मेज़ पर एक ‘नोट’ देखा, जिसमें कर्मचारी- उपविभाग के प्रमुख ने ‘आधार के प्रमुख से पूछा था – क्या टाइपिस्टों को यूनिफॉर्म्स दिए जाएंगे. ‘नोट को दाईं आंख से पढ़ने के बाद, करत्कोव ने उसे उठाया और कॉरीडोर से होते हुए ‘आधार प्रमुख कॉमरेड चिकूशिन के कमरे की ओर चल पडा.      

 और चिकूशिन के कमरे के ठीक दरवाज़े के पास वह एक अजनबी से टकराया, जिसने अपनी आकृति से उसे चौंका दिया.

इस अजनबी का कद इतना छोटा था, कि वह ऊंचे करत्कोव की सिर्फ कमर तक पहुंच रहा था. ऊंचाई की कमी को अजनबी के अत्यधिक चौड़े कंधे पूरा कर रहे थे. चौड़ा धड मुडी हुई टांगों पर स्थित था, बाईं टांग लंगडाती थी. मगर सबसे लाजवाब था उसका सिर. वह बिलकुल किसी विशाल अंडे के मॉडल जैसा था, जिसे गर्दन पर आड़ा रखा था, नुकीले सिरा सामने की और था. वह अन्डे जैसा ही गंजा था और इतना चमकदार था, कि अजनबी की खोपड़ी पर बिना बुझे बिजली के बल्ब जलते रहते. अजनबी के छोटे से चेहरे की इतनी घिस-घिस के हजामत की गई थी कि वह नीला नज़र आ रहा था, और पिन के सिरों जैसी छोटी-छोटी, हरी आंखें गहरे गढ़ों में बैठी थीं. अजनबी के बदन पर भूरे रंग के कंबल से बना हुआ एक खुला जैकेट था, जिसके नीचे से ‘छोटे रूस की कढाई की हुई कमीज़ झाँक रही थी. पैर उसी कपडे की पतलून में थे और उसने अलेक्सांद्र के ज़माने के हुस्सार जैसे नीचे-जूते पहने थे.

“न-नमूना”, करत्कोव ने सोचा और गंजे से बचने की कोशिश करते हुए चिकूशिन के दरवाज़े की ओर लपका. मगर उसने पूरी तरह अप्रत्याशित रूप से करत्कोव का रास्ता रोक लिया.

“आपको क्या चाहिए?” गंजे ने करत्कोव से ऐसी आवाज़ में पूछा कि बेचारा नर्वस क्लर्क सहम गया. ये आवाज़ एकदम ताम्बे के तसले की आवाज़ जैसी थी और उसका लहजा इतना ख़ास था, कि जो भी उसे सुनता उसे यूँ महसूस होता कि हर लब्ज़ के साथ रीढ़ की हड्डी पर कोई खुरदुरा तार घूम रहा हो. इसके अलावा, करत्कोव को ऐसा लगा जैसे अजनबी के शब्दों से दियासलाइयों की गंध आ रही है.

इस सबके बावजूद, अदूरदर्शी करत्कोव ने वह कर दिया, जिसे किसी भी हाल में नहीं करना चाहिए था, - वह बुरा मान गया.

“हुम् ...अजीब बात है. मैं कागज़ लेकर जा रहा हूँ...और मेहेरबानी करके यह जानने की इजाज़त दीजिये, कि आप कौ...”

“और, क्या आप देख नहीं रहे हैं, कि दरवाज़े पर क्या लिखा है?

करत्कोव ने दरवाज़े को देखा और चिर-परिचित इबारत को देखा:

“बिना रिपोर्ट के भीतर न जाएँ”.

“ मैं रिपोर्ट के साथ ही जा रहा हूँ,” करत्कोव ने अपने कागज़ की ओर इशारा करते हुए कहा.

चोकौर गंजा अचानक गुस्सा हो गया. उसकी आंखों से पीली चिनगारियाँ फूटने लगीं.

“आप, कॉम्रेड,” उसने करत्कोव को बर्तनों की आवाजों से बहरा करते हुए कहा, “ इतने नासमझ हैं, कि सीधे-सादे सरकारी लब्जों का मतलब भी नहीं समझते. मुझे तो ताज्जुब होता है, कि आपने अब तक कैसे काम किया है. 

वैसे, आपके यहाँ काफी दिलचस्प चीज़ें हैं, मिसाल के तौर पर, हर कदम पर ये मार खाई आंखें. खैर, कोई बात नहीं, ये सब हम ठीक कर लेंगे. (“आ-आ!” करत्कोव ने खामोशी से आह भरी.)

इधर दीजिये!”

और इन शब्दों के साथ अजनबी ने करत्कोव के हाथों से कागज़ छीन लिया, उसे फ़ौरन पढ़ लिया, पतलून की जेब से एक चबाई हुई केमिकल पेन्सिल (रासायनिक पेन्सिल – अनु.) निकाली, कागज़ को दीवार से चिपकाया और कुछ शब्द घसीटे.

“जाइए!” वह भौंका और उसने कागज़ इस तरह करत्कोव पर गड़ाया कि उसकी बची हुई आंख भी बाहर निकलते-निकलते बची. कमरे का दरवाज़ा विलाप कर उठा और उसने अजनबी को निगल लिया, मगर करत्कोव भौंचक्का रह गया, - कमरे में चिकूशिन नहीं था.

आधे मिनट बाद परेशान करत्कोव होश में आया, जब कॉम्रेड चिकूशिन की पर्सनल सेक्रेटरी, लीदच्का द रूनी से टकराया.

“आ-आह!” करत्कोव चिल्लाया. लीदच्का की आंख भी बिलकुल वैसी पट्टी से बंधी थी, फर्क सिर्फ इतना था कि बैंडेज के सिरे एक फैशनेबल रिबन से बंधे हुए थे.

“आपके यहाँ ये क्या हो रहा है?

“दियासलाइयां!” लीदच्का ने चिडचिड़ाहट से जवाब दिया. “नासपीटी.”

“वहाँ वो कौन है?” आहत करत्कोव ने फुसफुसाहट से पूछा.

“क्या आपको मालूम नहीं है?” लीदच्का फुसफुसाई. “नया.”

“क्या?” करत्कोव की सीटी निकल गई, “और चिकूशिन?

“उसे कल भगा दिया,” लीदच्का ने कटुता से कहा और कमरे की और इशारा करते हुए आगे बोली: “ बत्तख, कहीं का. ये है नमूना. इतना घिनौना इंसान मैनें ज़िंदगी में आज तक नहीं देखा. चिल्लाता है! नौकरी से निकाल दूँगा!...गंजी अंडरपैन्ट!” उसने अचानक आगे जोड़ा, जिससे करत्कोव ने आंख निकालते हुए उसकी ओर देखा.

“क्या ना...”

करत्कोव पूछ ही नहीं पाया. दरवाज़े के पीछे भयानक आवाज़ गरजी:

“कुरियर!” क्लर्क और सेक्रेटरी फ़ौरन विभिन्न दिशाओं में उड़े. अपने कमरे में आने के बाद करत्कोव अपनी मेज़ पर बैठ गया और अपने आप से बोला:

“आय,याय,याय...तो, करत्कोव, तू तो गया काम से. इस हादसे को सुधारना होगा.....”जंगली”...हुम्बदमाश...ठीक है! तू देख ही लेना कि ये करत्कोव कैसा जंगली है.”

और एक आंख से क्लर्क ने गंजे की लिखी टिप्पणी पढ़ ली. कागज़ पर तिरछे अक्षरों में लिखा था:

सभी टाइपिस्ट लड़कियों और सभी महिलाओं को समयानुसार दी जायेंगी सैनिकों वाली अन्डरपैन्ट्स* ” (*यहाँ ‘कल्सोनी’ लिखा है – जिसका अर्थ होता है अन्डरपैन्ट्स- अनु.) 

“ये हुई ना बढ़िया बात!” करत्कोव तारीफ के सुर में चहका और सैनिकों वाली अन्डरपैन्ट्स में लीदच्का की कल्पना करके आनंद से थरथरा गया. उसने फ़ौरन एक कोरा कागज़ निकाला और तीन मिनट में लिख डाला:

“टेलिफ़ोनोग्राम:

प्रमुख कर्मचारी- उपविभाग के प्रति पूर्ण विराम

आपके नोट N O, 15015 (6) दिनांक 19, अल्पविराम  के जवाब में ‘आधार प्रमुख सूचित करते हैं अल्पविराम, कि टाईपिस्टों को और सभी महिलाओं को समयानुसार सैनिकों वाली अन्डरपैन्ट्स दी जाएंगी विराम.

प्रमुख डैश हस्ताक्षर

क्लर्क डैश हस्ताक्षर वर्फलामेय करत्कोव विराम”. 

उसने घंटी बजाई और प्रकट हुए कुरियर पंतेलिमोन से कहा:

“मैनेजर के पास दस्तखत के लिए.”

पंतेलिमोन ने अपने होंठ चबाये, कागज़ लिया और निकल गया.

इसके चार घंटे बाद करत्कोव अपने कमरे से बाहर निकले बिना, कान देकर सुन रहा था, इस उम्मीद से, कि अगर नया मैनेजर दफ्तर का राउण्ड लेने की सोचे, तो उसे काम में डूबा हुआ पाए. मगर भयानक कमरे से किसी भी तरह की आवाजें नहीं आ रही थीं. सिर्फ एक बार अस्पष्ट सी फौलादी आवाज़ आई थी, जैसे किसी को नौकरी से निकालने की धमकी दे रही हो, मगर किसे, ये करत्कोव ने नहीं सुना, हालांकि उसने चाभी के छेद से कान चिपका लिया था.

दोपहर को साढे तीन बजे दफ्तर में पंतेलिमोन की आवाज़ गूँजी:

“कार में चले गए.”

दफ्तर में फ़ौरन शोर-गुल होने लगा और सब भाग गए. सबसे अंत में कॉम्रेड करत्कोव अकेला घर गया.


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