शायद-12
शायद-12


आंटी, तन्वी और मैं , अब तन्वी के रूम में थे। आंटी जी ने तन्वी के लिए अपनी पसंद बता दी थी।जिसे तन्वी ने सीधे सीधे नकार दिया। मयंक, उसकी नजरों में सिर्फ एक प्यारा सा दोस्त ही था।"सो जाओ दोनो" कह कर आन्टी जी नाराजगी में कमरे की लाइट ऑफ करके चली गईं।
आंटी जी के जाने के बाद तन्वी ने खिड़की का पर्दा खोल दिया ,सारी चांदनी कमरे में भर गई।मैंने कहा
"कोई बढ़िया सी गजल लगा दे यार।",
" किसकी ग़ज़ले सुनोगी?"
"...हम्म.. जगजीत सिंह जी "।
" ठुकराओ अब के प्यार करो में नशे में हूँ
जो चाहे मेरे यार करो में नशे में हूँ।"
ये ग़ज़ल चलते ही माहौल बन गया, मैंने तन्वी से पूछ ही लिया। "सच बता ये क्या चल रहा है ?! मैंने तन्वी को सवालिया निगाहों से देखा। तन्वी मेरे पास आकर बैठ गयी। उसने मेरे हाथ को अपनी बांह के घेरे में लिया और मेरे कंधे पर सर रख कर बोली
" मैं रुचिर के अलावा किसी को नहीं सोचती ।रहे प्रियम सर, वो मेरे लिए मेरे मेंटर है यार... ।बहुत गहरी रेस्पेक्ट है मेरे मन मे उनके लिए।",
"लेकिन मुझे उनके बेहवीयर में तेरे लिए एक प्यार और परवाह दिखी ",
"सिर्फ परवाह है वो.. उसे कुछ और मत समझो। वो अपनी निवेदिता के साथ ताउम्र प्यार में रहेंगे। "
"तुम्हे कैसे पता?",
"वो काफी कुछ मेरी तरह हैं।"
तन्वी ने मुस्कराते हुए बड़े प्यार से टेबल पर रखी रुचिर की तस्वीर को देखा।
"तभी तो कह रही हूँ कि प्रियम इस गुड फ़ॉर यू तन्वी..।तुम्हे गलतफहमी हुई है। उसकी आँखों मे मैंने वो देखा जो आज रुचिर की आंखों में होना चाहिए था।"
"वो बिजी है आज कल यार। मैं उसे समझती हूँ। वो अपने मुकाम के लिए जद्दोजहद कर रहा है।उसके साथ के एवरेज लोग कितना आगे निकल गए ,ये उसे परेशान करता है।इसलिए तुम्हे उसकी आँखों मे प्यार नहीं दिखा।"
एकाएक कहते कहते तन्वी मेरी ओर मुड़ी और बोली
"उसे प्यार न होता तो वो रिसोर्ट क्यों आता? क्यों हॉस्पिटल में मेरे लिए आंसू बहाता? आने के बाद भी कुछ दिनों तक रोज फोन करता था।ये प्यार नहींं तो क्या है।वो सेटल हो जाय बस फिर तुम्हे अपनी शादी में बुलाऊंगी" कहते हुए वो शर्मा सी गयी।
"अरे ! ये क्या मोहतरमा आप गुलाबी हो रहीं हैं, ओके सॉरी ,मान लिया कि मुझे समझने में गलती हुई..।"
मैं तन्वी को छेड़ ही रही थी कि मेरे फोन पर किसी की कॉल आयी। तन्वी ने मुस्कराते हुए मुझे फोन उठा कर दिया। देखा रुचिर का था। मैंने कॉल लाउडस्पीकर पर कर दिया।
रुचिर और मेरी दोस्ती, तन्वी से भी पुरानी थी।वो और मैं कॉलेज टाइम से एक दूसरे को जानते थे । हम कई बार आपस मे बहस किया करते थे ।लेकिन एक मेन्टल रेपो बना हुआ था। कई बार हमने एक दूसरे की प्रोब्लेम्स सॉल्व भी की थीं। तन्वी ये सब जानती थी।लेकिन रुचिर आज शायद गफलत में था कि मैं होटल में हूँ।
बात करते वक्त आभास हुआ कि रुचिर नशे में था। मैं हैरान थी कि उसने किस चीज का नशा किया होगा क्योंकि उसकी आवाज सुनकर मैं और तन
्वी बेहद शॉकड हो गये।रुचिर को सपने में भी ये ख्याल नहीं होगा कि वो जो-जो कह रहा था, वो तन्वी भी सुन रही होगी।
बहरहाल उससे नार्मल हाय हेलो के बाद मैंने उस से तन्वी और उसके फ्यूचर प्लान के बारे में पूछा। उसके जवाब रूम में गूंज रहे थे
"यार ..तन्वी ऑलवेज हैस बीन अ गलिबल बट टेम्प्टिंग बट बर्डन। हहहहहह मुझे ख़ुद नहीं पता कि क्यों उसके फेर में आया।बट एट द सेम टाइम ,सी इस लाइक ' इजी हाईड आउट' ...वरुणा डियर। शी इस होपलेस रोमांटिक, टोटल इडियट ... आई कान्ट हैंडल सो मच इमोशनल ड्रामा "
तन्वी के चेहरे को पीला पड़ते देख ,मैंने फोन डिसकनेक्ट करना चाहा लेकिन तन्वी ने रोक दिया। वो कहे जा रहा था कि उसके शौकिया आर्ट फील्ड में तन्वी का अपने कलीग से दोस्ताना व्यवहार उसे 'फिशि' लगता था। तन्वी का रुचिर से 'अटेंशन चाहना' उसके लिये एक बंधन भी होने लगा था।
मेरे यह कहने पर की तन्वी ने बताया कि उस दिन वो रिसोर्ट में आदि रात पहुंचा था।रुचिर हंसा और बोला कि तब वो " उसकी तरफ से इमोशनल अबैण्डनमेन्ट " फील कर रहा था। नशे में था।अकेलापन था। उसे अननेसेसरी गिल्ट भी था कि उसने, तन्वी के घर पर झगड़ा किया।उसकी लाइफ है वो किसी को भी घर पर बुलाये,किसी के साथ कहीं भी जाये।
मैंने पूछा "अगर वो तुम्हारे साथ लाइफ में आगे बढ़ना चाह रही हो तो ?!फिर वह बेशर्मी से हंसते हुए बोला "कैसी बात करती हो यार! अब चेहरा- फिगर देखा है उसका। पहले तो वैसे भी एवरेज ही लगती थी।और अब वो भद्दे निशान ..जाने के भी नहींं। और यार सच बताऊँ ...प्रक्टिकल्ली लेना तुम , तब मैंने सोचा था की इसके बेकार के शौक ... कॉन्टेक्ट्स का फायदा मेरे वेंचर में मिल जाएगा, तो दुबारा इसका चक्कर लगाना शुरू कर दिया।लेकिन कमबख्त प्रियम उसे ऐसे क्लाइंट ही नहीं देता। बहुत टाइम वेस्ट हो गया मेरा यार...।", मैंने दिल कड़ा करके पूछा "तो अब क्या करोगे?!उसे कैसे बताओगे !", " अवॉयड ... हहहह , मेन्टल कुछ दिन रोयेगी धोएगी फिर कह दूंगा की.." , "क्या कि.." मैंने उसे कुरेदा। "यही कि..इट्स ओवर और क्या ..वैसे तुम्हे सच बताऊँ डियर... एक पुरानी कलीग मिली है , काफी इंफ्लुएंशियल है, सिंगल , हॉट भी , इसकी तरह ओवर इमोशनल नहीं ...अच्छी दोस्त बन गयी है। अब उसी के साथ ....हहहहह " कहते ही उसका फोन डिसकनेक्ट हो गया। तन्वी चुपचाप अपने बिस्तर पर जा कर लेट गई।
सुबह सुबह मयंक फिर हाजिर था। आंटी जी गुमसुम सी थीं। तन्वी और मैंने रात से एक दूसरे से आंख नहीं मिलाई थी। मेरे मन मे मलाल था कि काश उसे रुचिर की सच्चाई मेरे जरिये न पता चलती।
मयंक चहकते बोला " शायद आज तुम ऑफ लेने के मूड में होगी.. तन्वी डार्लिंग!!"
"अब कोई शायद नहीं....पक्का ऑफ" तन्वी ने मेरी ओर देखा।
" कहो किधर चलें?"
"आर यू श्योर तन्वी"
"ऑफ कोर्स वरुणा , कहा न अब कोई शायद नहीं।"
उस वक्त उसकी आंखें अलग लग रही थी।वो नार्मल जरूर बिहेव कर रही थी पर तन्वी नार्मल नहीं लग रही थी।
"क्या मैं भी साथ आ सकता हूँ?" दरवाजे पर प्रियम सर खड़े थे।