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Ritu Digraskar

Abstract

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Ritu Digraskar

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शादी

शादी

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शादी का सीजन चल रहा है ! मन में एक बात है ,जो हर बार न चाहते हुए भी सामने आ जाता हैं कि ऐसा क्या हो जाता शादी के कुछ सालो बाद कि पति को अपने पत्नी में लाख बुरायी नजर आने लगती है, अरे !जब शादी के लिए पसंद किए तब नहीं पता था क्या की उसमे क्या कमी हैं क्या खूबी है!

जो बातें तुम्हे उस वक्त पसंद आयी थी फिर आज क्यों वहीं बाते तुम्हे गलत लगने लगा क्या शादी का और तुम्हारे पसंद का यहीं उसुल हैं कि कुछ समय के बाद दोनों ही बदल जाती है?क्या ये बंधन इतना नाजुक था कि आज सबकुछ बदलने के साथ तुम्हे नापसंद भी हो गई,ये बातें बेशक मेरी नहीं हैं ,पर कई औरतों के साथ यही होता हैं,या फिर यूं कह लो कि १०० में से ९०के साथ यहीं होता है।

और आज जो मैंने इस कहानी के माध्यम से कह रही हूं !वो मेरी किसी बहूत करीबी के बारे में है।।

जो कभी बाहर नौकरी करने या बाहर का कुछ भी काम करने के लिए सोची तक नहीं थी ?आज उसे अहसास हो रहा है कि खुद के सिवा दुनिया में कोई अपना नहीं होता एक ना एक दिन सब तुम्हे ये अहसास दिला ही देते है कि! तुम बाहर जाती तब पता चलता कि पैसे कैसे आते है, तुम्हारे बस की बात नहीं पैसे कमाना,तुमसे ये नहीं होगा,तुमसे वो नहीं होगा!तुम क्या जानो घर के बाहर की दुनिया,तुम बस घर में बैठ कर बातें कर सकती हो ,तुमसे कुछ ना हो पाएगा,यहीं सब सुनने को मिलता है अब तो,

क्यों तुम जब शादी के लिए उसे पसंद किए तब नहीं पता था कि वो कैसी है क्या है, पहले ही सबकुछ जान लेना चाहिए और फिर सब जानकर शादी करने के बाद तुम उसके वजूद पे ऊंगली नहीं उठा सकते।कल तक तो तुम्हे उसकी हर बात पसंद थी फिर आज क्यों नहीं ।आज क्यों उसकी तुलना तुम दूसरो से कर रहे, सबकी अपनी अपनी पसंद होती है किसी को कुछ पसंद होता h तो किसीको कुछ । किसी की तुलना किसी से नहीं करनी चाहिए ।और फिर क्या जो घर में औरत रहती है वो कुछ काम नहीं करती,ऐसा क्यों सोचते है लोग की जो अौरत घर में रहती है उसे कुछ नहीं आता।उसे पैसो का महत्व नहीं है जबकि उसे तुमसे ज्यादा पैसों के महत्व के बारे में पता है,वो ही है जो सारा दिन तुम्हारे घर में,तुम्हारे मां बाप को,तुम्हारे बच्चे को पूरे घर को संभालती है,तुम एक दिन भी उसकी जगह रहकर देखलो समझ आ जाए ।सुबह उठने के बाद से रात को सबके सोने के बाद सोने तक सबकी पसन्द नापसंद का खयाल रखती है।किसको क्या पसंद ,किसके लिए क्या सही है।क्या ग़लत है।सबका ख्याल वहीं रखती है।एक औरत शादी के दिन से ही अपने लिए नहीं अपनी के लिए जीती है,दिन के 24घंटे ,पुर हफ्ते, पूरे महने कोई छुट्टी नहीं,लगातार काम करती है,ना कोई वीकेंड ना कोई पेमेंट। फ़िर भी काम करती है, अगर वो एक भी दिन बीमार हो जाए तो पूरा घर हील जाता है।लेकिन तुम्हे क्या, आैरत है उसका तो काम है ना ये सब करना,तुम आदमी हो ।तुम्हारा काम है घर के बाहर अपना मन लगाना।उसे तो तुमने उसकी औकात दिखा दी,उसकी झूठे सपनों की नींद को तुमने तोड़ दी ,जिसमें वो ये सोच रही थी कि ,मेरा पति ही मेरी दुनिया है,मेरा पति ही मेरा सबकुछ है,अच्छा किया तुमने जो उसे झूठे सपनों से जगा दिया,कम से कम इसी वजह से ही सही पर उसे अपने वजूद का अहसास तो हुआ।तभी तो आज वह जग गई है।अपने सपनों की दुनिया से,

ऐसा क्यों सोचते है लोग की एक औरत की ज़िंदगी एक पुरूष तक ही सीमित होती है,क्या उसका अपना खुदका कोई अस्तत्व नहीं होता ,होता है बेशक होता है,ऐसे मर्दों से दूर ही होंजना सही,कम से कम अपने लिए तो ज़ी सकोगे,अब जब वह अपने लिए जीना शुरू की तब भी तुमको वो ही गलत लग रही है।कल तक तुम बोल रहे थे कि तुम ग्वार हो ,मूर्ख हो ,तुमसे न हीं हो पाएगा, अब आज अगर वह अपने पैरों पे खड़ी है खुद पे निर्भर है।तब भी तुम्हे रास नहीं आ रहा,अब तुम उसे और उसके चरित्र पे सवाल उठा रहे , उसके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे ।हद है ये तो क्या एक मर्द को क्यों ये सब सहन नहीं होता कि ।एक औरत उसके आगे ना झुके,ऐसा क्या है,तुम में जो एक औरत में नहीं, वो भी आज के ज़माने में ,जब लड़कियां क्या नहीं कर रही। इतनी आगे बढ़ गई दुनिया ,और कई लोगो की सोच अभी भी वही कि वहीं,वहीं दकियानुसी सोच ।की औरत हो तो औरत के जैसे रही ।।


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