शादी और कुछ नहीं
शादी और कुछ नहीं
जब मैं जवां होने लगा तो मेरे घर के लोगों को अब मेरी शादी की चिंता होने लगी, पर क्या किसी ने ये मुझसे नहीं पूछा कि क्या मैं शादी के लिए तैयार हूं और क्या तू और तेरा मन तैयार है शादी के लिए, कि तुझे अब शादी करना है कि नहीं, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
मुझसे किसी ने नहीं पूछा और मेरी मुझसे बिना पूछे शादी कर दी, पर हाय मेरी किस्मत, क्या लिखा था, किसको पता था आज शादी के पूरे 10 सालो तक मेरे साथ जो हुआ उसका बखान कैसे करूँ।
ये बताना मुझे इतना मुश्किल हो रहा है कि क्या करूँ, ये शादी निभाना क्या जरूरी है और मुझे अगर नहीं पता तो क्या मैं छोड़ नही सकती थी।
हां मैं छोड़ सकती थी पर मैंने ऐसा नहीं किया, क्यूँकि मेरे संस्कार ने मुझे रोके रखा। ये ऐसा कुछ कैसे हुआ और मैंने रुक कैसे गई क्यूंकि मेरा मन मेरे पति में जो लग चुका था, पर मेरा पति ना जाने क्या सोचता था, वो बेवड़ा रोज दारू पीकर आता और मुझे प्यार करना तो दूर पर रात बिताने का बस मैं एक जरिया थी।
मैं ओर काम होने के बाद मुझे कचरे की भाँति फेंक देता पर फिर कुछ दिनों बाद मुझे उससे एक संतान हुई और मेरी जिंदगी ही बदल गई, और उसने मुझसे उसके व्यहवार बदल गया और आज तक मेरा बेटा ओर मैं ओर मेरा पति बदल गया और कोई चमत्कार से कम नहीं था, पर दोस्तो ये चमत्कार हर किसी के जीवन में नहीं होता।
आज मैं बहुत बूढ़ी हो चुकी हूं। आज मैं अपने जीवन की अंतिम घड़ी पर हूँ और आज से कई साल पहले जो दस साल तक जो मेरा बेटा होने के पहले निकले, वो नरक से भी बदतर हो चुके थे।
बस मैं मरने पर थी पर जैसे ही उल्टियां होने लगी ओर जब डॉक्टर ने मुझे बताया तो मेरे होश उड़ गए और ऐसा मैंने नहीं किया और आज तक मैं मजे से बीते और आज तक और उसके बात मुझे लगा कि ऐसा करना मेरे लिए गलत होता और अगर उस दिन उल्टियां न होती तो आज मेरा बेटा न होता और मैं भी ना होती।
तो दोस्तो, कभी भी जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए।
