STORYMIRROR

सुनील पवार

Drama

1  

सुनील पवार

Drama

पिता का प्रेम

पिता का प्रेम

2 mins
810

मैं अपने घर के बारे में सोच रहा था कि जब मैं छोटा था तो तब कितना अच्छा था। तब मेरे साथ मेरे बापू थे। अरे आप समझे नहीं मैं महात्मा गांधी वाले बापू नहीं, मेरे पिताजी जिसे मैं प्यार से बापू तो कोई बाबा कहते है। मैं तो आपने पिताजी को बापू ही कहता हूँ। मैरे घर में एक माँ मेरा छोटा भाई और उससे छोटी एक बहन थी। उनकी सारी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर थी। अब आप पूछोगे की कैसे? पर आज मेरे बापू मुझे छोड़ बहुत दूर खुदा के पास चले गए। मैं उन्हें बहुत मिस करता हूँ। तब मुझे उनकी वही बाते याद आती है जो उन्होंने मेरे साथ की और मुझे बताई थी।


वो उनकी नसीहतें साथ थी, कुछ समझाते, कुछ के लिए डांटा भी करते। माँ भी उन्हें मेरे बारे में कुछ बताती तो वो कहते कितना होनहार लड़का है मेरा, पर जब मैं उनके सामने आता तो मेरे बारे में कहते मुझसे, "बेटे तुम्हे और मेहनत करनी बाकी है। इसे क्या होगा तेरा? तेरा तो कुछ नहीं हो सकता। जब तक तू मेडल नहीं लाता, तब तक हम कैसे जाने की तू ला भी सकता है मेडल। जब मैं स्कूल जाता तब मेरा वो स्कूल का पहला दिन और उसकी सारी बाते मुझसे सुनने के लिए आतुर रहते। जब मैं ना सुनाता तो वो मुझे सुनाने के लिए लड़ते। जो उन्होंने कहा था और उनके जो यादे थी, वो मैंने संजोए रखे थे। इसलिए जब जब उनकी बात याद आती तो मेरा दिल भर आता। वो पल ऐसे थे ही जिसमे हम अपने फैमिली से बहुत बढ़कर प्यार करते।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama