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सुनील पवार

Drama

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सुनील पवार

Drama

होस्टल का जीवन,प्यार और शादी

होस्टल का जीवन,प्यार और शादी

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इस कहानी से मुझे वो बीते दिनों की बात हो आई जो मैंने छुटपन में बिताए थे वो छोटी बहन का चिल्लाना ओर मुझे मैगी के लिए कहना बस 2 मिनिट मेरा उससे कहना वो याद आने लगा

      दोस्तो बात ज़रा उन दिनों की है जब मैं होस्टल से घर आया था और माँ मुझे अक्सर कहती बबुआ क्यू रे हॉस्टल में तुझे खाना नही मिलता क्या बहुत रुखा सूखा दिख रहा है पहले से बहुत बारीक हुआ जा रहा है या ऐसा तो नही की तू पढ़ाई के कारण तो खाता पिता ही नही हो बेटा तू ऐसा ना किया कर देख न तेरी हालत

मुझसे देखी नही जाती मेरा मोटा सा लड़का दुबला हुआ जाता है तभी मैने माँ को शांत करते हुए बोला क्या माँ तुम भी ना मैं आया नही कि आप फिर से शुरू हो गए

          तब माँ ने मुझे बिठाया ओर कहा बेटा ओर बता न वह पर तेरा कैसे पढ़ाई चल रही है मैं बताने वाला था कि वह से रिदिमा मेरे लाडली बहन ने आवाज लगाई की माँ भैया को हाथ मुह तो साफ करने दो थक गए होंगे आते आते तब मा को याद आया ओर मा ने भी मुझे जाने को कह दिया जा बेटा हाथ मुह धो ले फिर हम बात करगे रात को तो मैंने भी हा में मूडी हिला दी और चल दिया उस दिन जब मैं आया मेरे गाव के सब मित्र मुझसे मिलने आये और वो मुझे अपने साथ ले गए और गाव

            की वो शांता बुआ की लड़की सुनीता की बात करने लगे जो मुझे हमेशा से ही अच्छी लगती थी ओर हम गांव के बाहर किसी को ना बताते हुए मिला भी करते थे उस दिन भी सुनीता से मिलने का बहोत जी कर रहा था पर वो मुझे बस स्टॉप पर मिला करती थी मैने उसे पत्र भी लिखा था मुझे ऐसा लगा की शायद उसे मिला ही ना हो मेरा खत

               पर ऐसा नही था उसे खत तो समय पर मिला था जो रमेश मुझे बता रहा था कि पता नही सुनीता को जब कोई देखने आता तो वह साफ शादी से इनकार कर देती ओर इसबार भी यही हुआ भी पर माँ बाप इस बार कहा मानने वाले थे तो मुनहोने उससे कहा कि तू ईसबार ऐसा न करना नही तो तू हमारा मरा मुह देखेगी

इतना सुनते ही उसने अपनी मन की बात बतादी ओर इसी कारण तुझे यहाँ बुलाया है ये सही है क्या श्रवण ओर मैने भी हा में सर हिला दिया तो सब ने शादी की मुबारक बाद देना शुरू कर दिया तो

दोस्तो जब मैं घर गया तो माँ ने भी उन के लोगो (सुनीता के माँ ,बाबू) के सामने पूछा तो मैं ना नही कर पाया और हमारी शादी की तारीख निकलने लगा तो मैंने उन्हें मेरी ओर सुनीता की इस साल की एग्जाम (परीक्षा ) तक रोक लिया तो पंडित जी ने मुजसे पूछा बेटा तुम्हारी परीक्षा कब होगी तो मैंने भी मई के दूसरे हप्ता बता दिया तो पण्डित जी ने कहा तो ठीक है हम मई के 25 तारीख तय करते है तो मैंने मना किया और कहा कि तयारी के वजह से मेरा मन न उड़ जाए इस लिए जून की कोई भी तारिक रख लो

         तो फिर 10 तारिक तय की गई तो मैंने भी हामी भर दी

   तो दोस्तो फिर रात को जब खाना खा लिया तो रिदिमा ओर माँ और बाबूजी भी मेरे पास आ कर मुझे पूछने लगे बताओ कि तुम कैसे रहते हो कैसे दिन जा रहे है इन सब बातें पूछने लगे जैसे कि एक दोस्त आपने बाकी दोस्तो से बाते बताता हो हम सब घर में एक दूसरे के बहोत करीब थे और मैं आपने मन की हर बात बता दिया करता था

            ।।   आज भी मैं वो बाते जो होस्टल की है वो सुनाने लगा कहा बाबुजी हुआ यू की पहले मैंने कहा मैं उठता बहोत ही देर से हु क्युकि वह माँ जो नही मुझे उठाने को है ना तो सब बढ़ी ही ध्यान से मेरा कहना सुनने लगे फिर हॉ में सीर हिला दिए उतने में जीवन बोल पढा क्यू भैया आप फिर परीक्षा के समय भी लेट उठते हो क्या तब मैंने सोचा अगर मैने हा में सर् हिला दिया तो बच्चे पर बुरा असर पड़ेगा तो मैंने उसे समजाया नही जीवन मे परीक्षा के समय मैं जलदी उठता हु ये तो मेरा विद्यालय जाना होता है तब ही मैं लेट उठता हु जो कि सब उठते है

         फिर हमारा सुबह नास्ता होता है पर मैं लेट उठने के कारण नास्ता तो मुझे मिलता ही नही वो मैं मिस कर जाता हूं

तभी बाबूजी बोल पढ़े ये तो श्रवण तुम्हारी गलत बात है सुबह उठना ओर उसके बराबर नष्ता करना ये सेहत के लिए अच्छा होता है बेटा । मैने उनके शबदो का मान रखते हुए कुछ भी नही कहा क्युकि वो मेरे पिता से कही बढ़कर वो मेरे दोस्त थे जो मुझे हर बातो में सही करने की प्रेरणा देते रहते थे और हा सभी को ये भी बोल को की हम जब दोपहर हो जाती और सब कॉलेज (कक्षा ) से आ जाते तो दोपहर का भोजन साथ मे करते क्युकि होस्टल का खुद का कोई कॉलेज नही होता था इसलिए हम सब दोस्त लोग अलग अलग कॉलेज की बजाय एक कॉलेज में जाना उचित समजा ओर सुबह ही जाते थे 10 से 2 तक तो बाकी समय हम गटर मस्ती करते थे किसी की चेढ़ी जाना और मस्ती वगेरे ही सभी मेरी तरफ ऐसे घूर रहे थे मानो उनको मुझपर विश्वास ही नही हो रहा था तभी जीवन फिर बोला मामू आप लगते नही हो वैसे पर हो जरूर छुपे सुस्ताम जो ठहरे मैने इन बातो से समाज की आगे की बाते इन्हें या इन सब के सामने बताना उचित नही होगा तो मैंने सबसे कहा कि अब मुझे नीद आ रही है तो बाकी बाते कल बताउगा आप सभी जाओ तो रिदिमा ओर जीवन ये सोने चले गए माँ को भी जाने के लिए कहा तो माँ ने जाने से मना कर दिया और बाबूजी भी बोल पढ़े और रात वाली बात कु चिपता है हमे सब मालूम है कि होस्टल में क्या होता है हम बस तेरे मु से सुनन्ना चाहते है क्युकि मैने तेरे मा को वही से पटाया था ये तो मुझे प्यार नही करते थी पर जब हम होस्टल के वो डार्क रूम में मिले तो उसके

बाद से ये मुझे प्यार करने लगे

          अब तुम बताओ बेटा तुम गाव की छोरी के चक्कर के अलावा और क्या किया उस होस्टल के डार्क रूम में क्या कभी ऐसा मौका नही आया तुम्हें जाने का तो मैंने भी शुरू कर दिया

कहा हा पिताजी हमारे होस्टल में भी पहले ऐसा कभी नही हुआ पर पिछले दो साल पहले सभी की रजा मंदी से बनाया गया क्युकि हमारे होस्टल के पीछे बहोत ज्यादा लोग पकड़े जाने लगे थे और उससे होस्टल का नाम खराब होने लगा था तब यूनियन का मैं भी एक सदस्य होने के नाते मैन ही सुजाव दिया था और सभी को वो पसंद भी आ गया और उसमें रूल बनाने का काम भी मुझे ही सौप दिया गया तब मैंने सभी यूनियन के सदस्य और सभी लोगो को बैठक लेकर उनकी मर्जी से रूल बनाये ओर उसमे ये तय हुआ कि एक लड़का और एक लड़की जिसको किसी से कोई एकेले में कोई बात करनी हो वो होस्टल के बाहर न मिलकर उस डार्क रूम में मीले और अपनी बाते बोले वहाँ पर कोई प्यार नही करेगा या ओर कोई बाते नही करेगा और उनको पूरा 1 हॉर्स मिलेगा (1 घंटा) समय मिलेगा उससे ज्यादा या उससे कम का समय नही दिया जायेगा तो पिताजी एक बार की बात है मैं अपने होस्टल की लड़की से प्यार करने लगा था और मुझे उससे बात करना था पर उसे मुज़स लगाव ना होकर रोहित से था और वो उससे नही किसी ओर से लगाओ था तब मैंने उसे उस डार्क रूम में बुलाया दोस्त

(वो पिताजी को पिता न बोलकर इस बार मैंने उन्हें दोस्त कहा )पर वो आना ही नही चाहती थी तब उन्होंने मुझे पूछा क्या नाम था उसका क्या वो आई मैन उन्हें कहा हा आई अगर वो नही आती तो उससे 5000 रु दंड भरना पड़ता था इसलिए वो आई और उस रूल में हमने जो न आये या आने से मना कर दे उसे उस बार का 5000 रु देना हो ये भी तो पास हुआ था मेरे दोस्त इसलये वो आई पर वो मुज़स कहने लगी कि मुझे तुमसे कुछ भी बात नही करनी पर तुमने मुझे बुलाया तो मुझे आना ही पढ़ रहा है बोलो क्या कहना है तो मैंने उससे बताया की मैं उससे कितना प्यार करता हु पर वो साली मानने को खाली नही थी तभी पिताजी दोस्त के रूप में बोल पढ़े दोस्त तुझे किसी लेडिज दोस्त के सामने गाली नही देना चाहिए उन का मानना था कि माँ के सामने तभी मा बोली जाने दो एक दोस्त ने दोस्त के सामने एक दोस्त को गाली दी है ना कि माँ के सामने अच्छा अच्छा है तो आगे बताओ बेटा उसने क्या बोली वो बोली माँ वो बोली कि मुझे तुम नही पर सुरेश को करती हूं तब मैंने उससे उससे कहा पर सुरेश तो स्मिता को लाइक करता है और डेट करता है क्या मुझे तो वो बोला मैं पढ़ाई में ध्यान देना चाहता हु पर अभी ऐसा कोई इरादा नही है कितना जूट बोला उसने मुज़स पर वो अपने आप मुझे कुछ बोलना ही नही पढ़ा मा वो मुज़स आ कर चिपक गई और वो मुज़स फिर प्यार करने लगी और सब ताली बजा रहे थे पर मैन उससे कहा कि मैं तुम्हे सिर्फ प्यार करुगा शादी नही क्युकि मेरे माँ बाप जो बोले वो होगा इसलिए वो नही हो पायेगा पर अब जब मैं आ रहा था तो मुझे ऐसा लगा की उससे शादी कर के उससे आप का आशीर्वाद लेने औ पर मैं आप को ये बात बताने वाला था कि ये आत पता चल गई आब मैं उसे क्या कहुगा ये समाज मे नही आ रहा ऐसा होता है होस्टल में जहाँ लड़का और लड़की का होस्टल एक होता है या की आज बाजू में होता है पर मा जब मैं नया था न जब मेरा पहला दिन था तो रागिग की जाती है तो माँ मेरी भी रागिग की गई मुझे नगा कर के डांस करने के लिए कहा गया था और मैने भी कुछ न बोल के हुये कर लिया और उसके बीच मे मेरे नीचे वाले भाग में हाथ भी लगाया गया मुझे बड़ा ही गन्दा लगा पर क्या करता माँ नही तो मुझ वह रहने तो दिया जाता पर बराबर का दर्जा नही दिया जाता इसलिए करना पड़ा तब बाबूजी ने बोला हम भी बेटा हम भी तो यही सब से गुजरे है ये तो कुछ भी नही हमे तो 1पूरी रात भर नागा रखा गया था और कपड़े नही पहने दिया गया था और हम सब को शेविंग करने के लिए खुद की कहा गया था पर हमारे ग्रूप में ऐसा था कि किसी को शेविंग आती ही नही थी तो वो लोगो ने पौवड़ा कभी चलाया नही था तो करना पड़ा और दूसरों को देखकर करना पड़ा वो भी नगा ये सभी होस्टल में रागिग के नाम पर करना पड़ता है पर अभी रागिग पर बैन आया है और नए आने वाले लोगो को राहत पहुची है और जो ऐसा करता पाया रु जुर्माना लिया जायेगा ऐसा रहा दोस्तो इस साल का मेरा सफर बस अब परीक्षा का सफर ओर फिर हम शादी के बंधन में बंधे ओर सिर्फ फिर पढ़ाई और पढ़ाई ऐसे दिन बीते थे मेरे होस्टल में ओर आज मेरे साथ जो आज का दिन है जब मेरे साथ सिर्फ बाबूजी है माँ हमारे बीच नही है उनका देहांत हो गया था और आज मेरा एक बेटा भी है और मैने गांव की लड़की सुनीता से ही शादी की ओर उस होस्टल की लड़की से मैने उसे समजाया फिर वो समाज भी गई और आज उसकी भी एक लड़की है और वो जिस लड़के से प्यार करति थी उससे शादी करने के लिए हमने सुरेश को भी समजाया आज सुरेश रेलवे में ड्राइवर है और जीवन भर ही सुखी हुई ओर मैं भी आज एक प्लेन ड्राइवर हूँ  मैं भी सुखी है और हम अब भी मिलते है और मेरी पत्नी और मेरा दोस्त दोनों को कोई एतराज नही है दोस्तो हम दोस्त बनकर ही मिलते है ओर सभी ठीक है

तो दोस्तो आपकी प्रतिकिया का इंतजार रहेगा


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