सफ़ल स्वास्थ शिविर

सफ़ल स्वास्थ शिविर

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शहर के जाने माने नेत्र विशेषज्ञ निजी नर्सिंग होम पर मरीज़ों का परीक्षण कर रहे थे...अपने अधीनस्थों से जानकारियां भी लेते जा रहे थे और साथ-साथ आगे के कार्यक्रमों की योजना भी बनाते जा रहे थे..

सब कुछ पूर्व नियोजित कर चाकचौबंद कर लेना चाहते थे.. अचानक याद कर बोले

“तुम कितने दिन की छुट्टी जा रहे हो मोहन ?”

“सर दो दिन की..”

किसी सहकर्मी ने चुटकी ली.. “सर ससुराल जा रहा है बीवी को लेने..”

“अच्छा? कहां है ससुराल?”

“गुरसहायगंज मे सर”

“गुरसहायगंज.. अरे वहां तो शिविर लगना था... कब लगना है ?”

डॉक्टर ने अपने अधीनस्थ से पूछा सब एक दूसरे का मुंह ताकने लगे...

“ बहुत निकम्मे हो सब के सब कुछ याद नही रखते..”

एक ने मेज के कागज़ उलट पलट कर निकाला “सर कल परसों दो दिन है..”

“अब कल परसों तो ऑपरेशन बुक हो गए हैं सर क्या करें?” डरते डरते पूछा..

“मै वहां देहात मे जाकर अपने दिन ख़राब नहीं करूंगा.. ऐसा करो मोहन तुम तो जा ही रहे हो एक किसी को और साथ लगा लो.. गाड़ी से जाना आना है और खाना मुफ़्त और वापसी मे बीवी को गाड़ी से लेते आओगे आराम से..”

“पर सर मै ? मै वहां क्या करूंगा ?”

अरे यार कोई समझाओ इसको.. करना क्या है वहां मेरे नाम की टेबल होगी.. सफ़ेद कोट पहन कर बैठना और तीन मे से दो मरीज़ों को यहां क्लीनिक मे आकर मशीन से जांच करवाने की सलाह देनी है और कुछ जो दवाओं के सैम्पल पड़े हैं उनको बांट आना है.. अगर बीस मरीज़ भी ऑपरेशन के मिल गए तो शिविर सफल..    


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