सेफ्टी फर्स्ट
सेफ्टी फर्स्ट
"विनय जबसे तुमने उस चेन स्नेचर को पकड़ा है उसके साथी तुम्हारे पीछे पड़े हैं, तुम प्लीज अकेले घर से मत निकला करो! मेरा मन घबराता रहता है जब तक तुम वापिस नहीं आ जाते।
इतनी देर से दरवाजे पर खडी इंतजार करती विनती ने विनय को देखते ही कहा तो विनय ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए समझाया-
"अरे! तुम चिंता मत किया करो । उन लोगों का सामना करने की बहुत हिम्मत है मुझ में!"
"विनय प्लीज, कभी तो मेरी कोई बात मान लिया करो । तुम खुले आम घूमकर उनका हौंसला बढ़ा रहे हो ये तो वही बात हुई आ बैल मुझे मार !"
"तो क्या करुँ घर में चूडियांँ पहन कर बैठ जाऊँ!" विनय थोड़ा तैश में आ गया तो विनती ने बात संभालते हुए कहा-
"मैंने ऐसा कब कहा विनय!"
"विनती ! तभी तो ऐसे लोगों की हिम्मत बढ़ती है क्योंकि हम चुप रहते है, डर डर कर जीते हैं।
"पर.....!"
"कायरों की तरह मर मरकर जीने से अच्छा तो वीरता से मारना है विनती !"
"तुम्हारी हर बात सही है पर सेफ्टी फर्स्ट विनय!"
चिंतित स्वर में विनती ने विनय का हाथ थामते हुए कहा तो विनय ने भी कसकर उसका हाथ थाम लिया और हँसते हुए कहा-
"अरे कहा न! डोंट वरी । बचपन से जूडो कराटे सीखे हैं वो किस दिन काम आएंगे । आए नो सेफ्टी फर्स्ट ! अच्छा अब बढ़िया सी चाय पिला दो और हाँ साथ में गर्मा गर्म पकौड़े भी !"
