Yogesh Suhagwati Goyal

Tragedy

5.0  

Yogesh Suhagwati Goyal

Tragedy

सच में होली हो जाती

सच में होली हो जाती

4 mins
6.2K


सन १९९२ से सन २००९ तक दुबई में रहे, वहीं के एक शिपयार्ड में काम करते थे। तीनों बच्चों की स्कूली शिक्षा भी वहीँ हुई, एक मुस्लिम देश में होने के नाते दुबई के अधिकतर दफ्तरों में आधा दिन गुरूवार और शुक्रवार की छुट्टी रहती थी। हमारे शिपयार्ड में ५ दिन का हफ्ता चलता था, इसीलिए शुक्रवार और शनिवार दोनों दिन छुट्टी रहती थी। इसी सब को ध्यान में रख कर हम, अधिकतर अपने माँ बाप से और अपने सभी रिश्तेदारों से फोन से हर शुक्रवार या फिर शनिवार को सम्पर्क करते थे, इसके अलावा सभी त्योहारों पर भी सभी बड़ों का आशीर्वाद लेते थे, ये किस्सा सन २००१ की होली का है ।

होली का त्यौहार दुबई में भी मनाया जाता है, लेकिन थोड़ा अलग होता है। होलिका दहन का कार्यक्रम राधे कृष्ण के मंदिर के पास एक छोटे से प्लाट में होता है और बहुत ही छोटे स्तर पर होता है । धुलेंडी यानि रंगों से खेलने वाली होली, अपने देश की तरह हर घर में, हर मोहल्ले में या हर जगह नहीं खेली जाती। दुबई में इसके लिए एक बहुत बड़ा ग्राउंड “अल अवीर“ निश्चित है, ये ग्राउंड शहर से थोड़ी दूरी पर है। एयर इंडिया हर वर्ष गुलाल का इंतज़ाम कर देता है, खाने पीने के लिए उसी ग्राउंड में दुकानें लग जाती हैं। गाने बजाने के लिए यहीं डीजे वगैरह का इंतज़ाम रहता है, यहाँ पर रंगों से होली खेलने का आयोजन धुलेंडी को नहीं होता । सबकी सुविधा का ध्यान कर, इसका आयोजन हमेशा किसी शुक्रवार को होता है, ये शुक्रवार धुलेंडी वाले दिन के पहले या बाद में, कभी भी हो सकता है। सब लोग अपना २ सामान लेकर यहीं आ जाते है, नाचते गाते है और रंगों से खेलते है ।

सन २००१ में धुलेंडी शनिवार दिनांक १० मार्च की थी, दुबई में ये त्यौहार ९ मार्च को मनाया गया। हमने शनिवार की शाम को घर फोन किया, पहले अपने माँ बाप से आशीर्वाद लिया । वहां सब सकुशल थे, त्यौहार शांति से संपन्न हो गया था। उसके बाद अपने ससुराल पक्ष में फोन लगाया वहां भी, अब सब ठीक था, लेकिन एक बड़ा हादसा होने से बच गया । शायद और कोई तो हमको ये बताता भी नहीं, जब हमारी श्रीमतीजी की अपनी माँ से बात हुई तो सासूजी के मुंह से निकल गया, “आज सच में होली हो जाती” बस भगवान ने बचा लिया । इतना कहकर उन्होंने उस दिन सुबह घटा पूरा किस्सा सुनाया, किस्सा आगे बताने से पहले यहाँ घर और उसमें रहने वालों की जानकारी देना आवश्यक है ।

ससुर साहिब का घर दाल मिल के अन्दर ही है, एक मंजिला घर है और उसकी छत बहुत बड़ी है । उस घर में ससुर साहिब, सासूजी, बीच वाला साला और उसका परिवार रहता है, साले साहब के परिवार में उनकी पत्नी, ४ साल का लड़का निक्की और साल भर की बेटी है । निक्की थोड़ा सा चंचल है, घर के बाहर सड़क, घर से एकदम सटी हुई है। बिजली की लाइन इसी सड़क के सहारे २ चलती है, जो घर की छत से डेढ़ से २ फीट की दूरी पर है, घर की छत के चारों ओर की मुंडेर करीब डेढ़ से २ फीट ऊंची है ।

सुबह से ही आस पड़ोस के बच्चे अपनी दाल मिल के ग्राउंड में होली खेल रहे थे, निक्की भी उन सभी के साथ लगा हुआ था। सुबह से ही गुलाल लगाने वालों का आना जाना लगा हुआ था, मैं और मनीषा रसोई में व्यस्त थे तेरे पिताजी कभी बैठक में और कभी बाहर मुडडे पर बैठ जाते थे। मुल्टी अपने दोस्तों के साथ बाज़ार में गया हुआ था, बच्चे छत पर भागदौड़ कर रहे थे । निक्की छत की मुंडेर पर चढ़कर, सड़क पर होली खेलते और आते जाते लोगों को देख रहा था ।

अचानक जाने कैसे, क्या हुआ, निक्की का पैर फिसला और वो सीधा बिजली के दोनों तारों पर अधर झूल गया इतने में ही, जाने कहाँ से, दो लड़के आये और उन्होंने निक्की को तारों से लटकने और फिर धीरे से कूदने को कहा। कूदते ही दोनों ने उसे गोद में संभाल लिया, हमको तो निक्की ने जब घर के अन्दर आकर बताया तो हमारे होश उड़ गए। किस्मत से आज बिजली की लाइनों में करेंट भी नहीं था, वर्ना कुछ भी हो सकता था रामजी भला करे उन दोनों लड़कों का, बाहर जाकर उन दोनों लड़कों को ढूँढा भी, पर कोई पता नहीं चला निक्की को वहीँ छोड़ दोनों लड़के जाने कहाँ ग़ायब हो गए, उनको किसी ने भी नहीं देखा ।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy