कवि हरि शंकर गोयल

Abstract

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कवि हरि शंकर गोयल

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सच में , डर का माहौल है

सच में , डर का माहौल है

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वो कब से कह रही थी कि डर का माहौल है , डर का माहौल है । मगर लोग समझ ही नहीं पाए कि वह कौन से डर की बात कह रही है । लोग तो यह समझे कि जब से मोदीजी इस देश के प्रधानमंत्री बने हैं तब से ही देश में डर का माहौल है । पूरा बॉलीवुड उसके पीछे खड़ा होकर चिल्लाने लगा कि देखो , डर का माहौल है । खैराती मीडिया ने भी पूरा आसमान सिर पर उठा लिया था । बुद्धिजीवी भी अपने नमक का हक अदा करने के लिए अपने अपने "बिलों" से निकल पड़े और जहर उगलने लगे । बड़ी बिंदी गैंग अपनी बड़ी बड़ी बिंदियों को और बड़ा करते हुए "रूदाली" बन गई । मोमबत्ती गैंग भी "कहीं दीप जले कहीं दिल" की तरह "राग दीपक" गाते हुए निकल पड़ी । 

आज पता चला कि सच में , गजब का डर का माहौल है । बेचारी इतने सालों तक "डर के माहौल" में जिंदा रही और यह भी कहने का साहस / दुस्साहस नहीं कर पाई कि डर का माहौल देश में नहीं अपितु "घर के अंदर" है । 


हमें बहुत सहानुभूति है उन महोदया से । पंद्रह सालों तक साथ निभाने के बाद कोई इस तरह बीच बाजार छोड़कर भागता है क्या ? और जाते जाते भी उससे यह कहलवा रहा है कि रजामंदी से "तलाक" हुआ है । वैसे यही बात उसने पिछले तलाक के समय भी कहीं थी । 


क्या ? आपको नहीं पता ? अरे , बच्चा बच्चा जानता है । फिर आपने तो प्यार किया है , इसलिए आपको तो सब कुछ पता होगा ? क्या कहा ? इश्क अंधा होता है ? हां , आज पता चल रहा है कि इश्क अंधा ही नहीं होता , बहरा भी होता है , गूंगा भी होता है और लूला लंगड़ा भी होता है । अगर ऐसा नहीं होता तो आप ये देख लेती कि उसने अपनी पहली पत्नी जिसने कि प्रेम विवाह किया था , को भी तलाक दे कर बीच बाजार छोड़ दिया था । पर तब आप प्यार में अंधी थी इसलिए "उसकी" बेवफाई नजर नहीं आई । 


आपको लगा होगा कि आप सब सैटल कर लेंगी । और सैटल करने में पंद्रह साल गुजार दिए । अब आपको पता चल गया कि ये तो किसी और की "गिरफ्त" में है । जो कसमें वादे किये थे वे सब हवा हवाई थे । ऐसे कसमें वादे पहली पत्नी से भी किए ही होंगे । लेकिन क्या उन्हें निभाया ? नहीं ना ! फिर क्या सोचकर "निकाह" किया ? 


जब गलती की है तो भुगतनी तो पड़ेगी ना । मगर बच्चों का क्या कसूर जो मम्मी या पापा किसी एक के बिना रहेंगे । हमें उन बच्चों से पूरी हमदर्दी है । 


एक मूवी आई थी "फना" । इन्हीं महाशय की थी । उसमें तो बड़े जोर जोर से कह रहे थे "मेरे हाथ में तेरा हाथ हो , सारी जन्नतें तेरे साथ हों । तू जो साथ हो फिर क्या ये जहां , तेरे प्यार में मैं हो जाऊं फना" । और असल जिंदगी में जिससे प्यार हुआ उससे तलाक हो गया । पहली गलती तो गलती होती है ,मगर जब ये स्थितियां बार बार होने लगतीं हैं तो समझो कि "सिक्का ही खोटा" है । 


सच में , आपका डर एकदम सही था मगर आप में यह कहने की हिम्मत नहीं थी कि डर का माहौल देश में नहीं , वरन घर में है " । लेकिन अब क्या हो सकता है जब चिड़िया चुग गई खेत । और वह भी एक बार नहीं बल्कि बार बार । 


इन लोगों के लिए फिल्मों में इश्क अलग होता है और असल जिंदगी में और ! जनता को बरगलाने के लिए "सत्यमेव जयते" नाम से नौटंकी कर अपनी ब्रांडिंग करते हैं । 


पर मैडम जी , एक बात हमें समझ नहीं आई कि जब ये जनाब भारत के शत्रु और पाकिस्तान के परम मित्र, टर्की के राष्ट्रपति की पत्नी से मिलकर अपनी देशद्रोही वाली छवि सबको बता रहे थे तब भी आपने अपने शौहर को नहीं पहचाना ? जो आदमी अपने देश का नहीं हो सका वह तुम्हारा क्या होगा ? इस बात पर भी विचार नहीं किया तुमने ? 



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