"सबक"
"सबक"
ओ विक्की कहाँ जा रहे हो ?
चाचा ने अपने पट्टीदार के लड़के से मजा लेने के उद्देश्य से पूछा।
विक्की - चाचा बाजार जा रहा हूँ।
चाचा- कल तो न्यौता गये थे ? खूब झोरे (खाए) होगे ?
विक्की ये सुनकर शांत हो गया। क्या जवाब देता ? ओहदे में चाचा थे। उनका उद्देश्य समझ गया था। चुपचाप वहाँ से चला गया
फिर एक दिन विक्की चाचा के घर के सामने से जा रहा था।
तभी एक और आदमी के साथ बैठे चाचा, विक्की को चिड़ाने लग गये..... भुरर्रर्ररर्र... गाड़ी के एक्सीलेटर की स्टाइल में हाथ कर के.....
विक्की वहाँ पर यह देखकर चुपचाप शर्म के मारे निकल गया।
अब एक दिन पास में बैठा व्यक्ति भी विक्की को रास्ते में गाड़ी की एक्सीलेटर की स्टाइल में हाथ घुमा कर चिड़ाने लगा।
अब विक्की से रहा नहीं गया। उस बंदे को उसने कुछ नहीं बोला और चला गया।
एक दिन विक्की अपने चाचा के दरवाजे पर ही बैठा था। साथ में एक और परिवार का ही लड़का मोलू बैठा था। वो थोड़ा दिमाग से कम था।
चाचा घर के अंदर थे। वो चाचा थोड़ा अधिक सांवले थे। विक्की ने मोलू को सिखा दिया कि चाचा जब घर से निकले तो उनको कल्लू गुरु बोल देना।
थोड़ी देर बाद जैसे ही चाचा घर से बाहर निकले, वैसे ही मोलू ने कहाँ " और कल्लू गुरु"
इतना सुनते ही चाचा ऊपर से नीचे तक तिलमिला गए। वो जान गये कि ये खुराफात विक्की ने ही सिखाई है।
वही पर मौजूद वो विक्की से बोले तुम बहुत खुराफाती हो गये हो।
विक्की - चाचा अपने पर आई तो तकलीफ हुई ? वैसे ही हमको भी तकलीफ होती है।
इस तरह विक्की के चाचा को अच्छा सबक मिल गया।
