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rohit mishra

Children Stories Drama

3  

rohit mishra

Children Stories Drama

वो बचपन में गर्मियों की छुट्टी

वो बचपन में गर्मियों की छुट्टी

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बचपन में वार्षिक परीक्षा खत्म होते ही ऐसा लगता था, जैसे कोई बड़ा बोझ सर से हट गया हो। गर्मियों की छुट्टियां मनाने हम हमेशा अपने ननिहाल जाते थे। ननिहाल के गाँव में हम पेड़ो से आम तोड़ा करते थे। पेड़ से आम तोड़ने का जो मजा था शायद ही वो किसी और में मुझे मिला हो। हमारे नाना के पेड़ में "शीकल" आमों का ढेर था। गाँव के बच्चों की नजर मेरे नाना के पेड़ में लगी रहती थी। जिस कारण मेरे नाना सुबह 4 बजे ही आमों के पेड़ के पास चले जाते थे। उधर ही दिशा मैदान और दातुन कर लेते थे। सुबह 9 बजे घर आते थे नहाते धोते, खाते पीते और फिर 11 बजे आम के पेड़ के नीचे चल देते फिर वो शाम को सात बजे ही घर आते। गाँव में अधिकतर संयुक्त परिवार ही रहता है। नाना के भाई यानी चचेरे नाना के दुआरे कई चारपाई में परिवार के अधिकतर लोग सोते थे। नात पनात सारा परिवार ही था जिसे गाँव में टोला कहा जाता है। परिवार के लड़के परेशान थे कि ताऊ जी , दादा जी सुबह से शाम तक अपने आमों की रखवाली करते रहते है। उनके पेड़ में आम खूब फरहा है।


तो लड़कों ने तय किया कि जब सब सो जाए तो चल कर अँधेरे में ही आम तोड़ा जाए, ताऊ भी घर में रहेंगे। तो मुझे भी बोला गया तो मैंने मना कर दिया और बात को भूल गया।

रात होते ही परिवार के चार पाँच लड़के आम के बाग जाने की तैयारी करने लगे। दो लाठी, चचेरे नाना का टार्च, रात में चलने के लिए मिलेट्री वाला जूता, जो नाना का था पहनकर चल दिए। रात को मैं सो रहा था। तो नींद खुली लघुशंका करने के लिए, तो देखा कि कई चारपाई से लड़के गायब थे। तो मैं समझ गया।

मैं इतना तो समझता था कि वो मेरे पेड़ से आम तोड़ने गये है, न कि दूसरे के।

मैंने फैसला किया कि गद्दारी अपने नाना से नहीं करूंगा। मैंने रात में चचेरे मामा को लड़कों के खेत जाने की बात चुपचाप बता दी।

सुबह सबको खूब डाँट पड़ी.... कि रात में डाकुओं की तरह अपने ही आम की बगिया गये थे ?

आज भी वो पल याद करके मन रोमांचित हो जाता है।



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