सावरकर का माफीनामा
सावरकर का माफीनामा
गांधी जी ने 1920 में सावरकर बंधुओं के भाई के कहने पर एक राजनीतिक कैदी की हैसियत से सावरकर की रिहाई की मांग की थी ना कि माफीनामा लिखने को बोला गया था |
गांधी जी तो 1920 में सावरकर को पत्र लिखते है,
जबकि उससे पहले सावरकर अंग्रेजों को 1911, 1913,1917 में माफीनामा लिख चुके थे|
जब सबसे पहले 1911 और 1913 में सावरकर ने माफीनामा लिखा तब तो गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे| गांधी जी तो भारत 1915 में आये थे ।।
सावरकर ने अपने माफीनामा में लिखा था कि "मैं ब्रिटिश हुकूमत का 'वफादार' रहूंगा"|
सावरकर ने माफी मांगकर रिहा होने के बाद एक शब्द भी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ नहीं बोला और ना ही भारत की आजादी के संघर्ष में भाग लिया | वो तो ब्रिटिश हुकूमत की 'विभाजनकारी नीति' (बांटो और राज करो) पर चलकर मुस्लिम विरोध की नीति के तहत "द्विराष्ट्र थ्योरी" को जन्म दे रहा था,|जिसका उद्देश्य था धर्म के आधार पर मुल्क का विभाजन करना, वही काम मोहम्मद अली जिन्ना कर रहा था, जिन्ना का उद्देश्य भी धर्म के आधार मुल्क का विभाजन करना था।
अगर मोहम्मद अली जिन्ना और सावरकर इन दोनों के उद्देश्य एक जैसे नहीं थे, तो 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब कांग्रेस के सभी नेता जेलों में बंद कर दिए गए थे और कांग्रेस की सभी प्रान्तों की सरकारें गिर गई थी, तब सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, और मोहम्मद अली जिन्ना इन तीनों ने पंजाब प्रांत, बंगाल प्रांत, और सिंध प्रांत, में साझा सरकार क्यों बनाई थी, हकीकत यही है कि मोहम्मद अली जिन्ना और सावरकर एक ही सिक्के के दो पहलू थे..।
सबसे अहम पहलू 1924 में सावरकर के जेल से रिहा होने के बाद से 1947 तक अंग्रेज सावरकर को 60 महीना पेंशन क्यों देते थे.?
सावरकर अंग्रेजों के लिए ऐसा क्या काम करता था जिसके लिए अंग्रेज उसे पेंशन देते थे..।
गांधी, पटेल, नेहरू,भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खान, राजगुरु, सुखदेव, राम प्रसाद बिस्मिल, बटुकेश्वर दत्त, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, मौलाना आजाद, खान अब्दुल गफ्फार खान (सीमांत गांधी) इन सभी स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनकारियों को तो अंग्रेज पेंशन नहीं देते थे..?
सावरकर कोई 'वीर' नहीं था,यदि सावरकर वीर था तो भगतसिंह,
राजगुरु,जतींद्रनाथ दास,चंद्रशेखर आजाद,रामप्रसाद बिस्मिल,सुखदेव,अशफाक उल्ला,शचींद्रनाथ सांयाल आदि क्या थे...?
सावरकर के माफीनामा के दस्तावेज..