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Dileep Agnihotri

Abstract

3  

Dileep Agnihotri

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साम्राज्य

साम्राज्य

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आजकल फिर याद मुझे तेरी ऐसी आयी

मजबूर हुआ राह बदमाशी समझ आयी

सुना पापा चाचा तेरे रखते हैं हथियार

मेरे पास कुछ दोस्त कुछ साथ में है यार

रोका अब तक तभी तुझे देते थे दुहाई 

मजबूर हुआ राह बदमाशी समझ आयी


मेरा पाते ही इशारा घर से वो उठा लेंगे

आके घर तेरे वहाँ पे वो बाम फोड़ देंगे

होगा क्या पता नहीं मेरी बात मानले

इग्नोर मत कर तू मुझे जानले

तेरे घर आके बस अब होनी है तबाही

मजबूर हुआ राह बदमाशी समझ आयी


ना ही हूँ मैं शैतान ना ही मेरा कोई गैंग

दो चार यार साथ मेरे देते है चैलेंज

तेरा छोटा सा है कद तेरी उनकी बड़ी सोच

क्या चाहता जो तूने किया बेहोश

अब होगी नहीं रोक यारों करो मनआयी

मजबूर हुआ राह बदमाशी समझ आयी

आज कल फिर मुझे तेरी याद ऐसी आयी

मजबूर हुआ राह बदमाशी समझ आयी।



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