रुफस होम की दास्तां
रुफस होम की दास्तां
ये कहानी है 'रुफस होम' नामक एक पुस्तकालय की, जिसके बनने के अगले दिन ही उसके मालिक 'रुफस स्टोन' ने वहीं आत्महत्या कर ली थी। अब तक ये किसी को भी नहीं पता चल पाया है कि क्यों रुफस ने अचानक इतना विशाल पुस्तकालय बनवाया और खुशहाल जीवन होने के बावजूद वहीं आत्महत्या कर ली। उसकी मृत्यु के 1 साल तक वो पुस्तकालय बंद रहा। परंतु फिर सरकार ने उसे खरीदकर जनमानस के लिए खोल दिया। उस पुस्तकालय में हर विषय पर पुस्तकें थी व प्रतिदिन बहुत लोग वहाँ पढ़ने आते थे। कुछ सालों तक सब कुछ सही चला। परंतु अब से लगभग 2 साल पहले रुफस होम से जुड़ी पहली घटना बाहर आई। सुबह जब रुफस होम को खोला गया तो लोगों ने वहाँ एक लाश को पाया जो 1 दिन पूर्व ही गायब हुए 12 साल के बच्चे की थी। बहुत जाँच के बाद भी ये नहीं पता लग पाया कि उस बच्चे की मृत्यु किस प्रकार हुई। उस घटना के बाद लोगों का वहाँ जाना कम हो गया और शायद इसी कारण कुछ समय कोई और घटना नहीं हुई परंतु ये तो महज़ एक बड़े तूफ़ान के आने से पहले की शांति थी। 1 महीने बाद फिर रुफस होम में दो लड़कों की लाश मिली। उनकी मृत्यु का कारण भी अज्ञात था। उस घटना के बाद 6 महीने के अंदर-अंदर रुफस होम में से 50 लाशें और मिली जिनकी मृत्यु भी समान रूप से हुई थी। इसको रोकने के लिए सरकार ने उस पुस्तकालय को पूरी तरह से बंद कर दिया व वहाँ हुई सभी मौतों को आत्महत्या करार कर दिया। परंतु तब तक लोगों में रुफस होम का डर पूर्णतया फैल चुका था तथा कोई भी व्यक्ति उसके आसपास जाने की सोचता भी नहीं था। फिर कुछ महीनों तक सब कुछ शांत रहा। लोगों में डर भी कम हो गया व सरकार ने भी रुफस होम को दोबरा खोलने का निर्णय लिया। मैं सरकार के लिए बतौर एक 'डिटेक्टिव' का काम करता था। इसलिए कुछ 2 दिन पहले सरकार ने मुझे रुफस होम की जाँच करने के लिए आग्रह किया।
मुझे भी उस पुस्तकालय की सच्चाई जाननी थी अतः मैंने उस आग्रह को स्वीकार किया और उस पुस्तकालय की जाँच करने चला गया। इतने महीनों से बंद होने के कारण वहाँ हर जगह धूल जम चुकी थी। मैं वहाँ पुस्तकों की जाँच करने लगा कि कोई सुराग ही मिल जाए। कुछ देर घूमने के बाद मुझे 'रुफस स्टोरी' नामक एक पुस्तक मिली। आश्चर्य की बात तो यह थी कि वो पुस्तक बिल्कुल साफ थी। मैंने उस पुस्तक को पढ़ना आरंभ किया। रुफस स्टोरी में एक कहानी लिखी थी जिसमें रुफस होम के बारे में लिखा था। उस कहानी को 'गौरव' नामक एक लड़के ने लिखी थी।
उसमें गौरव ने अपने बारे में बताते हुए कहा, "मुझे रुफस होम में जाना पसंद था क्योंकि मैं वहाँ जाकर शांति से पढ़ पाता था। वहाँ हुई अविश्वसनीय घटनाओं के बाद भी मेरा मन रुफस होम की तरफ ही आकर्षित रहता था अतः हफ्ते में एक बार तो मैं वहाँ जाता ही था। वैसे तो मेरे साथ कभी कुछ अजीब नहीं हुआ परंतु एक दिन सभी पुस्तकों में कुछ नया ढूँढ़ते वक्त मुझे एक पुस्तक मिली जिसका नाम था- 'रुफस स्टोरी'। उस पुस्तक में भी एक कहानी थी जिसको तनीषा नाम की लड़की ने लिखा था। पूरी कहानी पढ़कर मैं डर के मारे सहम गया क्योंकि तनीषा ने उस कहानी में लिखा था कि जो भी उस पुस्तक को पढ़ेगा वो अगले कुछ क्षणों में मर जायेगा क्योंकि उसकी मृत्यु भी ऐसे ही हुई थी। मैंने जल्दी से वो पुस्तक वहीं फैंक दी और बाहर की ओर भागने लगा कि तभी मेरे सामने एक काला साया आ गया। मैं जोर से चिल्लाया और बेहोश हो गया। होश आने पर मैंने खुद के सामने अपने ही मृत शरीर को पड़ा पाया। मैं ये सब देखकर हैरान था। कुछ क्षण बाद वही साया मेरे पास आता है और मुझे अपने साथ जबरन उस पुस्तक में ले जाता है।
मैं अब एक आखरी संदेश के रूप में यही कहना चाहूँगा कि जो भी व्यक्ति अभी इस कहानी को पढ़ रहा है, उसके लिए अब बचने का कोई भी रास्ता नहीं है।" मैं ये सब पढ़कर बहुत डर चुका था परंतु इस सब को एक मज़ाक समझकर मैनें मेरी जाँच जारी रखी। मैंने उस पुस्तक को उसके स्थान पर रख दिया और बाकी पुस्तकों को जल्दी-जल्दी देखने लगा। एक पुस्तक को पढ़ते हुए मुझे बार-बार आभास हुआ कि जैसे कोई मेरे पीछे खड़ा है। परंतु पीछे देखने पर मुझे कोई भी नहीं मिला। इन सब बातों को नज़रअंदाज़ करते हुए, मैं अपने काम में लगा रहा। अलमारी से किताबों को निकलते वक्त मेरे हाथ एक पुस्तक लगी जिसको निकलने पर पता चला कि वो तो रुफस स्टोरी ही थी परंतु अबकी बार वो बिल्कुल खाली हो चुकी थी। मैं और कुछ सोचूँ, उससे पहले ही मेरे पीछे से एक आवाज आई- "अब इस पुस्तक में लिखने की बारी तुम्हारी है।" तभी अचानक मुझे किसी ने पीछे से खींच लिया और मैं वहाँ मौजूद अंधेरे में कहीं लुप्त हो गया। सरकार को मेरी लाश कल ही मिली और उन्होंने पहले की ही भाँति मेरी मृत्यु को भी आत्महत्या का नाम दे दिया। मैं अब इस पुस्तक 'रुफस स्टोरी' में कैद हो चुका हूँ। मैंने व बाकी लोगों ने भी यहाँ से निकलने के बहुत प्रयत्न किए परंतु रुफस की आत्मा ने वो सभी विफल कर दिए। मुझे रुफस के वश में आकर ही ये कहानी लिखनी पड़ रही है ताकि इसे पढ़कर और लोग रुफस के शिकार बन सकें। जो भी व्यक्ति इस कहानी को पढ़ रहा है वह यह समझ ले कि इस पुस्तकालय में आना उसकी आखरी गलती थी और अब किसी भी पल उसका सामना रुफस से हो सकता है।

