रोटी की महत्ता
रोटी की महत्ता
रामेश्वर ने पत्नी के स्वर्ग वास हो जाने के बाद अपने दोस्तों के साथ सुबह शाम पार्क में टहलना और गप्पें मारना दिनचर्या बना लिया था। हालांकि घर में उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी थी।एक दोस्त को वृद्धाश्रम भेजने की बात से सभी दु:खी थे।आप सब हमेशा मुझसे पूछते थे कि मैं भगवान से तीसरी रोटी क्यों माँगता हूँ? आज बतला देता हूँ।कमल ने पूछा "क्या बहू तुम्हें सिर्फ तीन रोटी ही देती है ?बड़ी उत्सुकता से एक दोस्त ने पूछा?असल में "रोटी, चार प्रकार की होती है।पहली "सबसे स्वादिष्ट" रोटी "माँ की "ममता" और "वात्सल्य" से भरी *दूसरी रोटी पत्नी की होती है जिसमें अपनापन और "समर्पण होता है *फिर "तीसरी रोटी बहू की होती है जिसमें सिर्फ "कर्तव्य" का भाव होता है।चौथी रोटी नौकरानी की होती है। जिससे ना तो "पेट"भरता है न ही मन तृप्त होता है। फिर हमें क्या करना चाहिये? माँ की हमेशा पूजा करो, पत्नी को सबसे अच्छा दोस्त।, बहू को अपनी बेटी समझो।*यदि हालात चौथी रोटी तक ले ही आयें तो भगवान का शुकर करो कि उसने हमें ज़िन्दा रखा हुआ है।
