मां का दिल
मां का दिल
बैठी थी पत्नी मुंह फुला के
पूछा हुआ क्या हुआ ?
किसी ने कुछ कहा क्या ?
अगर इसे किसी ने कुछ कहा
तो मै खुश हो जाता हूँ।।
मेरी तो उतनी औकात कहाँ।
बोली तुम्हारे माँ ने बुलाया है।
वो भी तुरंत। पक्का पैसा वसूलने के लिये।
जाओ पिछवाड़े पैसे का पेड़ उगा है।
हिलाओ और भर दो उनकी झोली।
मै परेशान था बेटे के कालेज की फीस भरनी थी।
सोचा अब माँ को कुछ खरी खोटी सुनाऊँ।
पैसा मंगाने से मना कर दूँ।
जाते हीे माँ खुश हो गयी।
भरपेट चाय नास्ता कराया।
माँ को पैसा ऐंठना है।
रिश्वत तो देगी ही।
माँ बोली कुछ मेरा काम था।
ये पैसे जरा गिन के बताना।
चार सौ चालीस का शाॅक लगा मुझे।
पूरै पाँच लाख रुपये थे।
ले जा बेटे की इंजीनियरिंग की फीस भरना।
इतने साल से जो पैसा भेजता रहा ।
और जो मैं बचत करती रही।
ये वो पूरा पैसा है।
आँखों मे मेरे पानी उमड़ा।
बिना कुछ कहे घर से निकला।
पत्नी के हवाले पैसा कर दिया।
और बच्चे जैसे मैं रो पड़ा।
