दादी मां की सीख
दादी मां की सीख
अनमोल वचन,
एक बार की बात है वीणा और उसकी दादी कहीं जा रही थी। वीणा को भूख लगी। वीणा ने दादी से कहा- दादी मुझसे और नहीं चला जाता, बहुत तेज भूख लगी है। कुछ खाने को दो।दादी ने कहा, वहां पेड़ की छांव में बैठकर खाएंगे। जैसे खाने की पोटली खोली और खाने के लिए रोटी का टुकड़ा तोड़ा आवाज आई ठहरो, पहले आपने मुझसे पूछा? दादी बोली आप कौन हो भाई
फिर आवाज़ आई बोला जिसके छांव में आप दोनों बैठी है। मैं बरगद दादा हूं। मुझे पहचाना नहीं आपने याद करो, कई वर्ष बीत गए, उन बातों को आप बहुत छोटी थी। आप अपने पापा के साथ आई थी। मुझे लगाया था बड़े प्यार से पाला था।
मुझे सब याद है आप मुझे पहले खाना खिलाती थी बाद में खुद खाती थी। अब खिलाइए। परन्तु अब मैं अपनी पोती वरुणा के हाथ से खाऊंगा। आगे दादी रुक गई, अब कहानी आप पढ़िए और सार्थक कीजिए इसका मोरल क्या होगा.........
लिखकर भेजना कमेंट बॉक्स में........
